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5 साल में शिक्षा बजट में भारी गिरावट आई, अब कांग्रेस करेगी भरपाई?

मोदी सरकार के शासन में शिक्षा  पर खर्च लगातार घटा है

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भारत
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चुनाव से पहले जारी कांग्रेस के मेनिफेस्टो में एजुकेशन पर जीडीपी का 6 फीसदी खर्च करने का वादा किया गया है. केंद्र सरकार फिलहाल शिक्षा पर जीडीपी के ढाई फीसदी से थोड़ा ही ज्यादा खर्च करती है. राहुल गांधी ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, वह 2023-24 तक शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी का 6 फीसद रकम खर्च करेगी. हालांकि यह जगजाहिर है एजुकेशन पर खर्च न बढ़ाने से युवा आबादी वाले भारत के ह्यूमन रिसोर्स का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है.

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शिक्षा के लिए फंड में कटौती, पढ़ाई की तरीकों की समस्याएं, मूल्यांकन के खराब तरीकों और टीचर्स की कमी की वजह से भारत अपने डेमोग्राफिक डिविडेंड (जब देश की कामकाजी आबादी में ज्यादातर लोग 15 से 64 साल के बीच के हों) का फायदा नहीं ले पा रहा है.

मोदी सरकार के शासन में शिक्षा  पर खर्च लगातार घटा है
शिक्षा पर सरकार के खर्च में कटौती से भारत अपने डेमोग्राफिक डिविडेंड से महरूम हो जाएगा
(फोटो: PTI)
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मोदी सरकार में लगातार घटा है शिक्षा पर खर्च

कांग्रेस के घोषणा पत्र में एजुकेशन पर जीडीपी का छह फीसदी खर्च करने का वादा किया गया है. कांग्रेस ने कहा कि वह मौजूदा खर्च से दोगुना खर्च करेगी. फिलहाल मोदी सरकार इस पर जीडीपी के ढाई फीसदी से थोड़ा ही ज्यादा खर्च कर रही है. मोदी सरकार में शिक्षा पर खर्च लगातार घटा है. 2014-15 में शिक्षा पर देश की आय का 1 फीसदी खर्च हो रहा था लेकिन 2017-18 तक यह घट कर 0.62 फीसदी हो गया. बजट में इसका शेयर 6.15 फीसदी से घट कर 3.7 फीसदी हो गया.

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सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के विश्लेषण के मुताबिक 2015-16 में सर्व शिक्षा अभियान में कुल शिक्षा आवंटन का 33 फीसदी खर्च किया गया था जो 2016-17 में 31 और 2017-18 में 29 फीसदी हो गया. सेकेंडरी स्कूलों के लिए चलने वाले इंटिग्रेटेड नेशनल प्रोग्राम राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के लिए भी फंड घट गया है. 2015-16 में यह खर्च 78 फीसदी था जो 2016-17 में घट कर 54 फीसदी हो गया. ( 5 दिसंबर 2017 तक)

मोदी सरकार के शासन में शिक्षा  पर खर्च लगातार घटा है
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बड़ी तादाद में शिक्षकों के पद खाली

12 दिसंबर 2016 की इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एलिमेंट्री और सेकेंडरी स्कूलों को मिलाकर शिक्षकों के दस लाख पद खाली हैं. डेलॉयट इंडिया के लीड इकोनॉमिस्ट अनीस चक्रवर्ती के मुताबिक आने वाले दशक में पूरे एशिया में कामकाजी लोगों की आबादी जो बढ़ोतरी होगी, उसमें आधा से ज्यादा भारत में होगी.

मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स में सुधार की वजह से नौकरियों पर जो संकट आया है उसमें वर्कफोर्स को स्किल और री-स्किल करने की जरूरत और बढ़ गई. ऐसे में एजुकेशन में और खर्च करना होगा.लेकिन यह विडंबना है कि इसमें खर्च घटता जा रहा है.

IndiaSpend के इनपुट के साथ

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