पिंजरा तोड़ की सदस्य देवांगना कालिता और नताशा नरवाल को 23 मई को जाफराबाद में फरवरी महीने में हुए एंटी-CAA प्रदर्शन में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था. 24 मई को दिल्ली के एक कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी.
हालांकि जमानत मिलने के कुछ ही मिनटों बाद क्राइम ब्रांच की SIT ने दोनों महिलाओं को गिरफ्तार करने के लिए याचिका दायर कर दी. याचिका में दोनों पर हत्या की कोशिश, दंगा करना और आपराधिक साजिश के आरोप थे.
दोनों महिलाओं को फिर से क्यों गिरफ्तार किया गया?
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के जांच अधिकारी ने देवांगना और नताशा के खिलाफ 14 दिन की कस्टडी की याचिका दायर की. ये याचिका एक अलग FIR से संबंधित थी.
नई FIR में IPC सेक्शन 307 (हत्या की कोशिश), सेक्शन 120B (आपराधिक साजिश), आर्म्स एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ डेस्ट्रकशन ऑफ पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.
दोनों महिलाओं की तरफ से पेश हुईं वकील अदित पुजारी और तुशरिका मट्टू ने गिरफ्तारी और FIR का विरोध किया. वकीलों ने कहा कि देवांगना और नताशा को गलत इरादे से केस में फंसाया गया है.
लेकिन कोर्ट ने दोनों एक्टिविस्टों को 26 मई तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया. मामले की अगली सुनवाई भी उसी दिन होगी.
कोर्ट ने पहले जमानत किस आधार पर दी थी?
कोर्ट ने कहा था कि IPC सेक्शन 353 (हमला या आपराधिक ताकत से पब्लिक सर्वेंट को ड्यूटी करने से रोकना) के तहत दर्ज केस को जारी नहीं रखा जा सकता, क्योंकि दोनों महिलाएं 'सिर्फ NRC और CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं थीं'.
ड्यूटी मजिस्ट्रेट अजित नारायण ने कहा था कि कालिता और नरवाल काफी पढ़ी-लिखी हैं.
मजिस्ट्रेट ने कहा, "केस के तथ्य बताते हैं कि आरोपी केवल CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं और किसी भी हिंसा में शामिल नहीं थीं. दोनों आरोपी काफी पढ़ी-लिखी हैं. आरोपी जांच में पुलिस की मदद के लिए तैयार हैं."
जज ने ये भी कहा था कि आरोपियों को गिरफ्तार करने से वो कोरोना वायरस महामारी के चपेट में आने के खतरे में आ जाएंगी.
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