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क्या फारुक और महबूबा को संसद में आने देगी मोदी सरकार ? 

महबूबा मुफ्ती को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया.  फारुक को गुरुवार को बाहर निकलने दिया गया लेकिन फिर नजरबंद हो गए

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संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर से शुरू हो रहा है. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने सत्र से पहले 16 नवंबर को सभी दलों के सांसदों की बैठक बुलाई है. इस बीच,जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म किए 100 दिनों से ऊपर हो चुके हैं. संसद सदस्य फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के अलावा उमर अब्दुल्ला और घाटी के कई नेता नजरबंद हैं. सवाल ये है कि क्या सरकार फारुक और महबूबा को संसद के शीतकालीन सत्र में हिस्सा लेने की इजाजत देगी?

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क्या फारुक और महबूबा की नजरबंदी खत्म होगी?

कांग्रेस ने पूछा है कि क्या सरकार फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी खत्म करेगी ताकि वो संसद सत्र में हिस्सा ले सकें. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा के नेताओं की आवाज संसद के भीतर उठाएगी. उन्होंने कहा,

कश्मीर में पिछले 103 दिनों से एक पाबंदी की स्थिति में है. प्रधानमंत्री पूरे विश्व में ‘सब चंगा सी’ और ‘ऑल इज वेल’, कहते हुए घूम रहे हैं. वहीं कश्मीर में न मंदिरों में घंटे बज रहे हैं, न आरती की मधुर वाणी सुनाई दे रही है, न मस्जिदों से अजान की आवा सुनाई दे रही है, न मोबाइल फोन बज रहे हैं, न बिजली आ रही है, न ही अस्पतालों में दवाइयां एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं.

इस बीच महबूबा मुफ्ती को चश्मे शाही से श्रीनगर में दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है. उनकी बेटी इल्तिजा ने ठंड को लेकर पूर्व सीएम को दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग की थी. उनकी इस मांग को मान लिया गया है. महबूबा मुफ्ती को चश्मे शाही गेस्ट हाउस से लालचौक इलाके में शिफ्ट किया गया है.

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फारुक थोड़ी देर के लिए बाहर निकाले गए, फिर नजरबंद

इस बीच, फारुक अब्दुल्ला उनकी बड़ी बहन खालिदा शाह, छोटे भाई शेख मुस्तफा कमाल और भतीजे मुजफ्फर अहमद शाह को गुरुवार को तीन महीने में पहली बार अपने घरों से बाहर निकलने की इजाजत दी गई. लेकिन शाम होते ही उन्हें फिर से हिरासत में ले लिया गया. महबूबा, फारुक और उमर को उनके घरों में नजरबंद किया गया था. राज्य के कई दूसरे बड़े नेताओं को सेंटॉर होटल में रखा गया है.

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सरकार के रवैये से ऐसा लगता नहीं है कि फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को संसद में आने की इजाजत दी जाएगी. क्योंकि संसद में बोल कर वह कश्मीर मुद्दे पर अपनी बात रख सकते हैं. इससे सरकार की खासी किरकिरी हो सकती है.

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