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दिल्ली सरकार की ‘चुनौती-2018’: ठीक से पढ़ेगा, तभी तो बढ़ेगा इंडिया

दिल्ली में लॉन्च किया गया नया एजुकेशन प्लान, 6ठी से 9वीं क्लास तक के स्टूडेंट्स का होगा बेसलाइन असेसमेंट

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भारत
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शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए तैयार किए गए प्लान ‘चुनौती-2018’ के टार्गेट:

  • 2018 में 10वीं का एग्जाम देने वाले 100 पर्सेंट स्टूडेंट्स पास हो जाएं.
  • बच्चों की बेसिक लर्निंग स्किल्स ऐसी हो जाएं कि उन्हें अपने सब्जेक्ट्स की पूरी नॉलेज हो.
  • सरकार के नए प्लान में बेसलाइन असेसमेंट और स्टूडेंट्स की री-ग्रुपिंग अहम कड़ियां हैं. क्लास 6 से 9 के लिए री-ग्रुपिंग का अलग-अलग फॉर्म्युला बनाया गया है.
  • बच्चों को अलग-अलग ग्रुप में बांटा जाएगा ताकि टीचर्स को यह पता रहे कि एक क्लास में अलग-अलग ग्रुप के स्टूडेंट्स का लर्निंग लेवल क्या है.
  • 6ठी से 10वीं क्लास तक पढ़ाने वाले 24 हजार टीचर्स को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है और टीचर्स ने अडिशनल लर्निंग मटीरियल भी तैयार कर लिया है.
  • स्टूडेंट्स को यह मटीरियल भी दिया जाएगा.
  • टीचर्स अलग-अलग ग्रुप को समझेंगे और उसके हिसाब से पढ़ाएंगे.
  • बेस्ट टीचर्स को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया जा रहा है और प्रिंसिपल्स को कहा गया है कि वे चाहें तो गेस्ट टीचर्स भी रख सकते हैं.

चुनौतियां देने के लिए चर्चित दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने इस बार खुद को चुनौती दी है. सरकार ने दिल्ली के गवर्नमेंट स्कूलों में क्वॉलिटी एजुकेशन मुहैया कराने को लेकर एक नया अकैडमिक प्लान ‘चुनौती-2018’ तैयार किया है.

इस प्लान को स्कूल प्रिंसिपल्स, टीचर्स और स्टूडेंट्स से चर्चा करने के बाद तैयार किया गया है. दिल्ली सरकार का मानना है कि ‘राइट टु एजुकेशन एक्ट’ कई मायनों में अच्छा है, लेकिन नो डिटेंशन पॉलिसी जैसे कुछ प्रावधानों से बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता को नुकसान भी हो रहा है.

2013 से लेकर 2015-16 में नवीं क्लास के रिजल्ट को देखें तो फेल होने वाले स्टूडेंट्स का नंबर 50 पर्सेंट तक पहुंच गया है. नो डिटेंशन पॉलिसी भी इसका एक कारण है और देखने में आया है कि 6ठी से लेकर 10वीं क्लास तक में एजुकेशन की क्वॉलिटी काफी खराब है. इस स्थिति को बदलना होगा.
मनीष सिसोदिया, डिप्टी सीएम, दिल्ली

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ जैसी नीतियों को हटाने के लिए कई राज्य सरकारों समेत केंद्र को पत्र लिखा है. साथ ही इस पॉलिसी में संशोधन को लेकर दिल्ली विधानसभा में भी बिल पास किया है.

10वीं क्लास के बच्चों में तेजी से बढ़ा है ड्रॉप-आउट रेट

आंकड़े बताते हैं कि नो डिटेंशन पॉलिसी के चलते स्टूडेंट्स 8वीं से 9वीं क्लास में जैसे-तैसे प्रमोट हो जाते हैं. लेकिन उनकी शिक्षा का स्तर खराब होने का कारण वे 10वीं में फेल होने के बाद स्कूल छोड़ देते हैं. ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ रही है.

2,09,533 स्टूडेंट्स
साल 2013-14 में 9वीं क्लास में एग्जाम में अपीयर हुए. इनमें 44.04 पर्सेंट फेल हुए.
48.26 परसेंट
बच्चे साल 2014-15 में फेल हुए. इस साल 2,46,749 स्टूडेंट्स ने एग्जाम दिया था.
2015-16 में 2,69,703 स्टूडेंट्स एग्जाम में अपीयर हुए और फेल होने वाले स्टूडेंट्स का पर्सेंटेज बढ़कर 49.22 तक पहुंच गया. 

यानी हर साल फेल होने वाले स्टूडेंट्स का नंबर बढ़ रहा है. इस बात को डिप्टी सीएम सिसोदिया ने बेहद साफगोई से स्वीकार किया और बताया कि ऐसे स्टूडेंट्स की कमी नहीं है जो दो-दो बार भी फेल हुए हैं.

लेकिन यह भी बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उन स्टूडेंट्स का 6वीं से 8वीं क्लास तक में फाउंडेशन कमजोर है. साल 2018 तक इसी स्थिति को सुधारने के लिए दिल्ली सरकार ने खुद को चुनौती दी है.

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