सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को क्लीन चिट देने के प्रोसेस के खिलाफ महिला वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं.जस्टिस एस.ए.बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी ने CJI के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को खारिज कर दिया था.
महिला वकील और आंदोलनकारी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप की जांच के लिए अपनाई गई प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं. इसके विरोध में मंगलवार को कुछ महिला वकील, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं और नारे लगाने लगीं. पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया है. इन लोगों को मंदिर मार्ग थाना ले जाया गया. पुलिस का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के बाहर धारा 144 लागू है. प्रदर्शनकारी यहां विरोध नहीं कर सकते. पुलिसकर्मियों ने महिलाओं को जंतर-मंतर पर जाकर प्रदर्शन के लिए कहा लेकिन वे नहीं मानीं. हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.
इकतरफा सुनवाई में हुआ फैसला
सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के ऑफिस की एक नोटिस में कहा गया है कि जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी. समिति में दो महिजा जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी शामिल थीं.
कमेटी ने एकपक्षीय रिपोर्ट दी क्योंकि इस महिला ने 3 दिन जांच कार्यवाही में शामिल होने के बाद 30 अप्रैल को इससे अलग होने का फैसला कर लिया था. महिला ने इसके साथ ही एक प्रेस रिलीज जारी करके समिति के माहौल को बहुत ही भयभीत करने वाला बताया था और अपना वकील ले जाने की अनुमति नहीं दिए जाने समेत कुछ आपत्तियां भी उठाई थीं.
महिला ने कहा, घोर अन्याय हुआ
क्लीन चिट दिए जाने पर शिकायतकर्ता महिला ने नाराजगी जताई है. महिला ने कहा है कि जांच समिति के फैसले से वह बेहद निराश है. महिला ने जांच समिति पर उसके साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है.
शिकायतकर्ता महिला ने प्रेस नोट जारी कर पूरे मामले पर प्रतिक्रिया दी है. महिला ने कहा है कि तमाम तथ्यों और सबूतों को पेश करने के बावजूद जांच समिति ने आरोपों को निराधार करार दे दिया. महिला का कहना है कि उसके साथ घोर अन्याय हुआ है.
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