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महिला आरक्षण बिल पेश: 15 साल तक 181 सीटें आरक्षित, नारी शक्ति वंदन अधिनियम क्या?

Nari Shakti Vandan Act: 128वां संविधान संशोधन के तहत महिलाओं को मिलेगा आरक्षण.

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नए संसद भवन की लोकसभा की कार्यवाही के पहले दिन केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने महिलाओं को आरक्षण देने वाले 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' संशोधन का प्रस्ताव पेश किया. इस दौरान मेघवाल ने कहा कि ये महिला सशक्तिकरण से संबंधित बिल है. इस बिल के माध्यम से सरकार आर्टिकल 239 (AA), 330 (A), 332 (A) और 334 (A) में संशोधन करने जा रही है. पीएम मोदी ने कहा कि "हमें मानव जाति की विकास यात्रा में नए पड़ाव को अगर प्राप्त करना है तो ये आवश्यक है कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास को हम बल दें."

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'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' बिल में क्या है?

केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बिल के बारे में सदन को इंट्रोड्यूस कराते हुए कहा कि

  • 239 (AA) के माध्यम से 33 फीसदी सीटें नेशनल कैपिटल टेरेटरी ऑफ दिल्ली के लिए महिलाओं के लिए रिजर्व होगी.

  • 330 (A) के माध्यम से रिजर्वेशन ऑफ सीट फॉर SC-ST के लिए संसद में महिलाओं के लिए जो प्रावधान पहले से था उसी में 33 फीसदी आरक्षण होगा.

  • 332 (A) के जरिए राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है.

  • 334 (A) में एक नया क्लॉज जोड़ा जाएगा जिसमें महिलाओं के आरक्षण की अवधि 15 साल होगी और इसको आगे बढ़ाने का अधिकार संसद का होगा.

  • अभी 543 में से महिलाओं की संख्या 82 है, लेकिन जब यह संशोधन होगा तब इसकी संख्या बढ़कर 181 हो जाएगी.

मेघवाल ने बताया कि "सबसे पहले ये बिल सितंबर 1996 में एचडी देवगौड़ा जी के समय 11वीं लोकसभा में आया था. उसके बाद दिसंबर 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार की 12वीं लोकसभा में आया. फिर, अटल जी की सरकार में 13वीं लोकसभा में आया, लेकिन मनमोहन सिंह की सरकार में जो महिला आरक्षण पर बिल आया था वो साल 2008 में राज्यसभा में आया था."

"इसके बाद इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया और 9 मार्च साल 2010 में राज्यसभा ने इसे पास किया. उसके बाद राज्यसभा ने लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल को रिपोर्ट किया तब यह बिल लोकसभा की प्रॉपर्टी बन गई और 15वीं लोकसभा जैसे ही भंग हुई उसके साथ ही ये बिल भी लैप्स हो गया. कांग्रेस ने इसे जानबूझकर लोकसभा में पारित नहीं किया."

वहीं, महिला आरक्षण बिल पेश किए जाने पर पीएम मोदी ने कहा कि "महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं. 1996 में इससे जुड़ा बिल पहली बार पेश हुआ था. अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण का बिल पेश किया गया. लेकिन उसे पारित कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और सपना अधूरा रह गया. महिलाओं को अधिकार देने के और ऐसे कई पवित्र काम के लिए ईश्वर ने मुझे चुना है."

"एक बार फिर हमारी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया. कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी गई. आज 19 सितंबर की ये तारीख इसीलिए इतिहास में अमरत्व को प्राप्त करने जा रही है. ये बहुत जरूरी है कि नीति निर्धारण में सारी शक्ति अधिकतम योगदान दें. महत्वपूर्ण भूमिका निभाए. आज नए संसद भवन में सदन की पहली कार्यवाही के रूप में देश के इस नए बदलाव का आह्वान किया है."

पीएम मोदी ने आगे कहा कि "हमारी सरकार संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत कर रही है. इसका लक्ष्य लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है. हम नारी शक्ति वंदन अधिनियम पेश कर रहे हैं. सिर्फ महिलाओं के विकास की बात पर्याप्त नहीं है, हमें मानव जाति की विकास यात्रा में नए पड़ाव को अगर प्राप्त करना है, राष्ट्र की विकास यात्रा में नई मंजिलों को अगर पाना है, तो ये आवश्यक है कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास को हम बल दें. महिला सशक्तीकरण की हमारी हर योजना ने महिला नेतृत्व करने की दिशा में बहुत सार्थक कदम उठाए हैं. लोकतंत्र में राजनीति, नीति और शक्ति का इस्तेमाल समाज में प्रभावी बदलाव का एक बहुत बड़ा माध्यम होता है."

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