शनिवार को ही रिजर्व बैंक ने बैंक अकाउंटस को आधार कार्ड से जोड़ना मेंडेटरी बताया था. रिजर्व बैंक ने कहा था बैंक अकाउंट और आधार की लिंकिंग प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग कानून के तहत जरूरी है.
लेकिन आरबीआई के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है. फीमेल एक्टिविस्ट कल्याणी मेनन सेन की ओर से दायर की गई रिट में आरबीआई के फैसले के अलावा, टेलीकम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट के उस सर्कुलर को भी चुनौती दी गई है, जिसमें मोबाइल नंबरों को आधार से जोड़ना मेंडेटरी किया गया है.
SC ने कहा था- राइट टू प्राइवेसी है मौलिक अधिकार
सेन के मुताबिक, इन दोनों फैसलों से राइट टू प्राइवेसी का हनन होता है. अगस्त में ही सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकार करार दिया था. आधार योजना को राइट टू प्राइवेसी के आधार पर चुनौती दी गई थी.
सरकार ने अपने तर्क में राइट टू प्राइवेसी के मौलिक अधिकार होने पर ही सवाल उठाया था. इसके बाद आधार मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने राइट टू प्राइवेसी के मामले को 9 जजों वाली संवैधानिक बेंच के पास भेजा था.
RBI नेे शनिवार को ये कहा था...
सरकार ने बैंक खातों के लिए 12 अंकों के बॉयोमीट्रिक पहचान संख्या (आधार) को जोड़ना अनिवार्य कर दिया है और इसके लिए लास्ट डेट 31 दिसंबर 2017 तय की गई है. मामले पर टिप्पणी करते हुए शनिवार को आरबीआई ने कहा था,
जून 2017 में जारी किए गए ऐंटी-मनी लॉन्ड्रिंग नियम वैधानिक रूप से मानने होंगे. ये वैधानिक नियम है और बैंकों को इस संबंध में आगे किसी निर्देश का इंतजार किए बिना इसे लागू करना है. प्रिवेंशन ऑफ मनी लॅान्ड्रिंग (मेंटनेंस ऑफ रिकार्डस) द्वितीय संशोधन नियम, 2017 के तहत आधार नंबर को बैंक खातों से जोड़ना अनिवार्य है.
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