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Yashwant Sinha:वाजपेयी के खास, आडवाणी के ‘दिवाली गिफ्ट’, कैसे बने BJP के दुश्मन?

विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे

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भारत
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यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha Profile) राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार हैं. आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. बीजेपी के दिग्गज नेता रहे यशवंत सिन्हा आखिर कैसे अपनी ही पार्टी के खिलाफ हो गए?

1993 की बात है. यशवंत सिन्हा बीजेपी में शामिल होने वाले थे. तब लाल कृष्ण आडवाणी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था सिन्हा पार्टी के लिए दिवाली गिफ्ट हैं. आज की तारीख में वही दिवाली गिफ्ट विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार है. यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी के खास रहे, लेकिन मोदी सरकार बहुत पसंद नहीं आई. उन्होंने 2018 में ये कहते हुए पार्टी छोड़ दी थी कि आज पार्टी का जो स्वरूप है वह लोकतंत्र के लिए खतरा है.

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एक आईएएस के रूप में करियर की शुरुआत करने वाले यशवंत सिन्हा ने 1984 में सर्विस से इस्तीफा दे दिया. फिर राजनीति में आ गए. जनता दल से शुरुआत की. बीजेपी से होते हुए टीएमसी में आ गए. लेकिन जहां भी रहे. मुखर होकर बोलते रहे. पार्टी में रहते हुए उन्होंने कहा था, आज की बीजेपी वह बीजेपी नहीं रह गई है जो अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के जमाने में थी.

पटना से रखते हैं ताल्लुक 

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का जन्म पटना के 6 नवबंर 1937 को पटना के चित्रगुप्तवंशी कायस्थ परिवार में हुआ था. यशवंत सिन्हा ने पटना में स्कूल और विश्वविद्यालय में पढ़ाई की. 1958 में, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में परास्नातक पूरा किया. राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के बाद पटना विश्वविद्यालय में 1960 तक बतौर शिक्षक काम किया.

1960 में बने IAS 

1960 में यशवंत सिन्हा का चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में हुआ. उन्होंने बतौर प्रशासनिक अधिकारी 24 साल तक काम किया. इस दौरान वह कई अहम पदों पर काबिज रहे. उन्होंने चार साल तक उप-मंडल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में काम किया. दो साल तक बिहार सरकार के वित्त विभाग में अवर सचिव और उप सचिव थे. इसके बाद उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय में भारत सरकार के उप सचिव के रूप में काम किया. इसके बाद वह साल 1971 से 1974 तक जर्मनी में भारतीय दूतावास के पहले सचिव नियुक्त किए गए थे.

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1984 में राजनीति में एंट्री हुई

यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए. इसके बाद 1986 में उन्हें जनता पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया. 1988 में राज्यसभा सदस्य चुने गए. इसके बाद 1989 में जब जनता दल का गठन हुआ, तो उसके महासचिव चुने गए.

सिन्हा 1990 से लेकर 1991 तक चंद्रशेखर मंत्री मंडल में वित्त मंत्री के रूप में काम किए. जून 1996 में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने और मार्च 1998 में उन्हें भारत का वित्त मंत्री नियुक्त किया गया. साल 2018 में बीजेपी छोड़ने के बाद 2021 में वह ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी में शामिल हो गए.

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