जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के पुलवामा (Pulwama) जिले में आतंकवादियों ने सोमवार, 30 अक्टूबर को एक गैर-स्थानीय मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी. मजदूर की पहचान उत्तर प्रदेश के मुकेश कुमार के रूप में हुई है.
मुकेश उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के असोहा थाना इलाके में भटपुरा गांव के रहने वाले थे और 5 महीने पहले ही ईंट भट्ठे में काम करने के लिए जम्मू-कश्मीर गए थे.
पुलिस ने कहा, “आतंकवादियों ने पुलवामा की त्राल तहसील के नौपोरा इलाके के तुमची गांव में गैर-स्थानीय मजदूर पर गोलीबारी की. बाद में उसकी मौत हो गई. पुलिस ने घटना का संज्ञान लिया है और जांच शुरू कर दी गई है.”
परिवार में 4 बच्चे, सबसे छोटा बच्चा 4 साल का
मुकेश कुमार के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा, दो बेटी और 2 बेटे हैं. सबसे बड़ी बेटी की उम्र 19 साल है, जबकि सबसे छोटा बेटा 4 साल का है. परिवार को मुकेश के मौत की सूचना उसके साथ काम करने गए साथियों ने दी. मृतक के भाई हरिराम ने बताया कि वे रोज परिवार से फोन पर बात करते थे और मृतक मुकेश तीन भाईयों में सबसे छोटे थे.
क्विंट हिंदी ने मुकेश के भतीजे उमेश से बात की. उन्होंने कहा कि मुकेश काफी मेहनती थे और बस अपने काम से काम रखते थे. पिछले 15 सालों में वे कई ईंट भट्ठों पर काम कर चुके थे. उन्होंने आगे कहा कि घर की हालत बहुत खराब है. घर के लिए भरपेट भोजन जुटाना भी मुश्किल हो रहा है.
पुलिस ने UAPA के तहत मामला दर्ज किया
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस हमले के बाद अपना बयान जारी कर पूरी जानकारी साझा की है. पुलिस ने कहा कि मुकेश कुमार तुमची नोवपोरा के एक ईंट भट्ठा में काम करते थे और कुछ सामान खरीदने के लिए बाजार गये थे. वापस लौटते समय आतंकवादियों ने उन्हें निशाना बनाया, जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गए.
पुलिस ने इस संबंध में पुलवामा थाने में धारा इंडियन आर्म्स एक्ट की धारा 7/27 और UAPA की धारा 16, 18, 20, 23, 39 के तहत मामला दर्ज किया है. इलाके की घेराबंदी कर दी गई है और इलाके में तलाशी जारी है.
इससे पहले आतंकवादियों ने एक दिन पहले रविवार को श्रीनगर जिले के ईदगाह इलाके में एक पुलिस इंस्पेक्टर को उस समय गोली मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था, जब वह स्थानीय युवाओं के साथ क्रिकेट खेल रहा था.
पुलिस इंस्पेक्टर की पहचान मसरूर अहमद वानी के रूप में हुई जो तब से अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं और डॉक्टरों ने उनकी हालत गंभीर बताई है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस साल घाटी में बाहरी कामगारों पर यह दूसरा आतंकवादी हमला था. 13 जुलाई को, दक्षिण कश्मीर के शोपियां के गगरान गांव में आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में बिहार के तीन गैर-स्थानीय कामगार घायल हो गए थे.
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद जहां 2019 में घाटी में गैर-स्थानीय मजदूरों पर हमले शुरू हुए, वहीं 2022 में हमलों में तेज वृद्धि देखी गई है. पिछले साल, खासकर दक्षिण कश्मीर में राजस्थान के एक बैंक मैनेजर समेत 10 गैर-स्थानीय मजदूरों की मौत हो गई थी. आतंकवादी हमलों में एक शिक्षक की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे.
पुलवामा और श्रीनगर के आतंकी हमलों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा,
"अगर स्थिति सामान्य है तो चुनाव क्यों नहीं हो रहे, क्या बहाना है? कल श्रीनगर में एक पुलिस इंस्पेक्टर को गोली मार दी गई, आज सुन रहा हूं कि पुलवामा में कुछ हुआ... अगर ये सामान्य स्थिति है तो ठीक है... कुछ दिन पहले यहां एलजी आए थे, लोगों को घरों में बंद कर दिया गया...मैं सीएम के रूप में यहां आता था लेकिन मैंने कभी शहर को बंद नहीं किया... जब हम सड़कों पर यात्रा करते थे तो हमने कभी लोगों को उनके घरों में बंद नहीं रखा..."
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