पिछले कुछ हफ्तों में टारगेट किलिंग (Kashmir Target killings) की कम से कम 8 घटनाओं और विरोध प्रदर्शन के बाद कश्मीर डर के साये में है.
इनमें से सबसे ताजा हमला गुरुवार 2 जून का है, जब बडगाम एक हिंदू बैंक मैनेजर और कुलगाम में एक प्रवासी मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी गई. सरकारी कर्मचारियों और जम्मू में डोगरा फ्रंट के सदस्यों सहित सैकड़ों कश्मीरी पंडितों ने गुरुवार को श्रीनगर में हिंदुओं की टारगेट किलिंग के विरोध में प्रदर्शन किए और जम्मू में पलायन करने की धमकी दी.
डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक, टारगेट किलिंग में करीब 4,000 प्रवासी कर्मचारी हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री योजना के तहत बसाया गया है और वे जिला या नगर पालिका क्षेत्रों में तैनात हैं. टारगेट किलिंग में वृद्धि से जम्मू-कश्मीर प्रशासन अब कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों के विरोध से जूझ रहा है. प्रदर्शनकारी कश्मीर घाटी से अपने तबादले की मांग कर रहे हैं. गुरुवार को श्रीनगर में प्रदर्शन में बैठे एक प्रदर्शनकारी ने स्थिति की निंदा की और कहा,
"कश्मीर घाटी न केवल कश्मीरियों का है, बल्कि कश्मीरी पंडितों का भी है. लेकिन हिंदू अब यहां से भाग रहे हैं, क्योंकि वे सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे. प्रशासन खोखले वादे करने के अलावा क्या कर रहा है? हम चाहते हैं कि सरकार पंडितों को सुरक्षा प्रदान करे."
कश्मीर में विरोधों का सिलसिला 12 मई से जारी है, जब सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों सहित कई लोगों ने अनंतनाग जिले में प्रवासी कॉलोनियों को विरोध स्थलों में बदल दिया था. इलाके के अल्पसंख्यक समुदायों ने राज्यपाल से यह सुनिश्चित करने की अपील की थी कि कश्मीरी पंडित घाटी में सुरक्षित रहें. बडगाम में तहसीलदार ऑफिस के एक कर्मचारी राहुल भट्ट की गोली लगने से मौत हो गई थी, तब से ये विरोध लगातार जारी है.
2 दिनों में, 100 से ज्यादा कश्मीरी पंडित घाटी से भागे
गुरुवार को कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने कहा कि बुधवार से करीब 165 कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ चुके हैं. टिक्कू ने कहा,
"यह असुरक्षा है जो उन्हें छोड़ रही है. सरकार कहती है कि सब कुछ ठीक है, लेकिन कश्मीर की स्थिति 90 के दशक में वापस लौट रही है."
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम के गोपालपोरा इलाके में एक हाई स्कूल में आतंकवादियों ने एक शिक्षक रजनी बाला की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर कुलगाम में एक सड़क को जाम कर दिया.
पीएम योजना के तहत कर्मचारियों को छुट्टी, ट्रांजिट कैंप में रहने को कहा गया
इस बीच, पीएम के पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित शरणार्थियों के एक मंच ने किराए पर रहने वाले कर्मचारियों को घाटी छोड़ने और जम्मू में विरोध करने के लिए कहा है. कुलगाम के वेसु में पीएमपी कर्मचारियों के नेता सनी रैना ने कहा,
"हमने किराए पर रहने वाले परिवारों को घाटी छोड़ने और जम्मू में राहत आयुक्त कार्यालय के बाहर विरोध करने के लिए कहा है." वेसु में एक कश्मीरी पंडित कर्मचारी के पिता अशोक भट ने कहा कि सुरक्षा बल किसी को भी शिविर छोड़ने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. आज उन्होंने हमें शिविर से बाहर नहीं जाने दिया ... पास की दुकानों तक भी नहीं,"
केंद्र ने जहां पीएम पैकेज कर्मचारियों के लिए घाटी में 6,000 ट्रांजिट कैंप बनाने की घोषणा की है, वहीं अब तक सिर्फ 15 फीसदी ही काम पूरा हो पाया है. पीएम पैकेज के तहत केपी शरणार्थियों के लिए घोषित 6,000 नौकरियों में से करीब 5,928 को भरा गया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, "उनमें से 1,037 से अधिक सुरक्षित इलाकों में नहीं रहते हैं."
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