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Jammu Kashmir Killing: टारगेटेड किलिंग से दहला कश्मीर,जनवरी से 17 लोगों की हत्या

Vinay Beniwal की 10 दिन पहले कुलगाम बैंक में पोस्टिंग हुई थी, जिन्हें आतंकियों ने मार दिया.

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जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) टारगेटेड किलिंग (Targeted Killings) से दहल उठा है. जनवरी से लेकर अब तक 17 लोगों का मर्डर हो चुका है. सिर्फ मई में 8 लोगों की हत्या हुई है. 2 जून को एक आतंकी (Terrorist) ने एक बैंक कर्मचारी को मौत के घाट उतार दिया. लगातार हो रही टारगेटेड किलिंग से स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है. इस बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए हिंदू सरकारी अधिकारियों का ट्रांसफर करने का फैसला किया है. जो भी कर्मचारी दूर दराज इलाकों में काम कर रहे हैं, उन्हें कश्मीर के जिला मुख्यालय लाने की तैयारी है.

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टारगेटेड किलिंग से दहला कश्मीर

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को काबू करने के सरकार के तमाम दावे फेल साबित हो रहे हैं. सरकार आतंकवाद पर लगाम लगाने में नाकाम दिख रही है. आतंकवादी लगातार आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवादियों ने जनवरी से लेकर अब तक 17 लोगों को मौत के घाट उतारा है. मृतकों में सरकारी कर्मचारी, कश्मीरी पंडित और अन्य हिंदू भी शामिल हैं.

8 जून 2021 को कश्मीर में सरपंच अजय पंडित की हत्या से टारगेट किलिंग का सिलसिला शुरू हुआ था. इसके बाद 5 अक्टूबर को श्रीनगर के केमिस्ट एमएल बिंद्रू की हत्या कर दहशत फैला दी गई. दो दिन के बाद ही यानी 7 अक्टूबर को आतंकियों ने एक स्कूल की प्रिंसिपल सतिंदर कौर और टीचर दीपक चंद की हत्या कर दी. मई में टारगेट किलिंग की 8 घटनाएं सामने आईं.

2 जून: विजय कुमार को गोलियों से भूना

जम्मू कश्मीर में आतंकी लगातार हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं. गुरुवार, 2 जून को आतंकियों ने कुलगाम में एक बैंक मैनेजर पर फायरिंग कर दी. इस हमले में बैंक मैनेजर विजय कुमार की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि विजय कुमार राजस्थान के रहने वाले थे.

31 मई: रजनी बाला की हत्या

आतंकवादियों ने 31 मई को कुलगाम के गोपालपोरा में हाई स्कूल टीचर रजनी बाला की हत्या कर दी थी. 36 साल की रजनी को सिर में गोलियां लगी थी. कुलगाम की रहने वाली टीचर ने अस्पताल ले जाते वक्त दम तोड़ दिया. 20 दिन में दूसरी हत्या को लेकर कश्मीरी पंडित विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

25 मई: अमरीन भट्ट को मारी गोली

25 मई को कश्मीर के बडगाम जिले के हिशरू इलाके में आतंकवादियों ने टीवी एक्ट्रेस अमरीन बट की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हमले में अमरीन का भतीजा गोली लगने से घायल हो गया था.

श्रीनगर के बडगाम में टीवी एक्ट्रेस अमरीन भट्ट की हत्या का बदला सुरक्षाबलों ने 24 घंटे के अंदर ही ले लिया था. अंवतीपोरा में सुरक्षाबलों ने हत्या में शामिल लश्कर के दो आतंकियों को मार गिराया था.

12 मई: राहुल भट्ट का मर्डर

कश्मीर के बडगाम जिले में 12 मई को तहसील ऑफिस में घुसकर लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों ने एक कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट्ट की गोली मारकर हत्या कर दी थी. 35 वर्षीय राहुल भट चादूरा के तहसील ऑफिस में प्रवासी कश्मीरी पंडितों के रोजगार के लिए दिए गए विशेष पैकेज के तहत तैनात थे.

प्रारंभिक जांच से पता चला कि दो आतंकवादी अपराध में शामिल थे और उन्होंने भट्ट को गोली मारने के लिए पिस्तौल का इस्तेमाल किया था. मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया था. इसके साथ ही राहुल भट्ट की पत्नी को नौकरी और परिवार को आर्थिक मदद भी मुहैया करवाई गई थी.

इस हत्याकांड का सुरक्षाबलों ने 24 घंटे के भीतर ही बदला ले लिया था. 13 मई को बांदीपोरा में तीन आतंकी ढेर हुए थे. इनमें मारे गए दो आतंकी राहुल भट्ट की हत्या में शामिल थे. मारे गए दोनों आतंकियों की पहचान फैसल और सिकंदर के रूप में हुई थी.

13 अप्रैल: सतीश सिंह का मर्डर

कुलगाम में आतंकवादियों ने सतीश कुमार सिंह राजपूत की हत्या कर दी थी. वह पेशे से ड्राइवर थे. 9 मई को सुरक्षाबलों ने सतीश की हत्या में शामिल आतंकवादी को मार गिराया था.

4 अप्रैल: बाल कृष्ण भट्ट पर फायरिंग

जम्मू-कश्मीर के शोपियां के छोटिगम गांव में आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडित बाल कृष्ण भट पर फायरिंग की थी. इस वारदात में बाल कृष्ण भट्ट गंभीर रूप से घायल हुए थे.

इस हमले के बाद बाल कृष्ण के भाई अनिल कुमार भट्ट ने कहा था कि हमने कश्मीर घाटी में रुककर अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली. 1990 में ही कश्मीर से चले जाना चाहिए था. कश्मीर में रुककर हमने बहुत बड़ी गलती कर दी. कोई नहीं चाहता की कश्मीर में हिंदू रहें.
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कत्लेआम, खौफ और पलायन

कश्मीर में लगातार हो रही हत्या ने एक बार फिर से 90 के दशक की याद दिला दी है. आतंकियों के निशाने पर कश्मीर में बसने आ रहे कश्मीरी पंडित तो हैं ही, बाहरी मजदूर और वो सब हैं जिन्हें आतंकी अपने दहशत भरे राज के लिए खतरा मानते हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुलगाम में शिक्षिका रजनी बाला की हत्या के बाद 100 से अधिक कश्मीरी पंडितों ने घाटी से जम्मू की ओर पलायन किया है.

उत्तरी कश्मीर के बारामुला में एक कश्मीरी पंडित कॉलोनी के अध्यक्ष अवतार कृष्ण भट्ट के अनुसार, 31 मई से इलाके में रहने वाले 300 परिवारों में से लगभग आधे यहां से जा चुके हैं.

हिंदू कर्मचारियों के तबादले का फैसला

पलायन की खबरों के बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हिंदू कर्मचारियों के ट्रांसफर करने का फैसला किया है. इसके अनुसार, जो भी कर्मचारी दूर-दराज के इलाकों में कार्यरत हैं, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ट्रांसफर किया जाएगा. इसके लिए 6 जून तक का समय निर्धारित किया गया है.

लेकिन इस फैसले से हिंदू कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं. उनकी माने तो उन्हें अब सिर्फ जम्मू में अपना ट्रांसफर चाहिए. वे घाटी में काम नहीं करना चाहते हैं. वे मोदी सरकार पर भी उनकी मांगों पर ध्यान ना देने का आरोप लगा रहे हैं. लेकिन सरकार लगातार आश्वासन दे रही है कि कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाएगा. हिंदू कर्मचारियों के ट्रांसफर वाले फैसले को भी इसी दिशा में उठाया गया एक कदम बताया जा रहा है.

क्या फिर कश्मीर में दोहराया जा रहा इतिहास?

कश्मीर में टारगेटेड किलिंग के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या फिर कश्मीर में इतिहास दोहराया जा रहा है. 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा पलायन हुआ था. गृह मंत्रालय के मुताबिक 1990 में 219 कश्मीरी पंडित हमले में मारे गए थे, जिसके बाद पंडितों का पलायन शुरू हुआ. एक अनुमान के मुताबिक 1 लाख 20 हजार कश्मीरी पंडितों ने घाटी से उस समय पलायन किया था.

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