हाल ही में पीएम मोदी (PM Modi) के लक्षद्वीप (Lakshdweep) दौरे पर जाने के बाद से सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप और मालदीव की तुलना की जा रही है, कई भारतीय मालदीव का बहिष्कार कर रहे हैं और लक्षद्वीप जाने की बात कर रहे हैं. अब अचानक से सुर्खियों में आए लक्षद्वीप के बारे में कितने लोग जानते हैं? वहां कैसे पहुंचा जा सकता है? कनेक्टिविटी कैसी है? पर्यटन को लेकर स्थिति कैसी है? आइए यहां सबकुछ जानते हैं.
लक्षद्वीप भारत का केंद्र शासित प्रदेश है जो भारत के पश्चिम में अरब सागर में है. केरल के कोच्चि से लक्षद्वीप की दूरी 440 किलोमीटर है.
लक्षद्वीप 36 द्वीपों का समूह, आबादी सिर्फ 10 पर
लक्षद्वीप 36 द्वीपों का समूह है, जिसमें से एक द्वीप डूबा हुआ है, ज्यादातर द्वीपों पर लोग नहीं रहते. लक्षद्वीप की आबादी केवल 10 द्वीपों पर ही बसती है.
इनमें कवाराट्टी (लक्षद्वीप की राजधानी), अगाट्टी, अमिनी, कदमत, किलातन, चेतलाट, बिट्रा, आनदोह, कल्पनी और मिनिकॉय हैं.
लक्षद्वीप में 96% मुस्लिम आबादी
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, लक्षद्वीप में 96 फीसदी मुस्लिम आबादी है. वहीं यहां की कुल आबादी 64 हजार है. लक्षद्वीप का क्षेत्रफल करीब 32 वर्ग किलोमीटर है, जो मालदीव से काफी कम है.
लक्षद्वीप के ज्यादातर लोग मलयालम भाषा बोलते हैं कुछ लोग मह्हे और कुछ धिवेही भाषा भी बोलते हैं जो मालदीव में भी बोली जाती है.
यहां के लोग मछली पकड़ने का काम, नारियल की खेती और पर्यटन पर निर्भर करते हैं, हाल फिलहाल में ही लक्षद्वीप के पर्यटन में थोड़ी तेजी आई है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले साल लक्षद्वीप पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या 25 हजार है.
लक्षद्वीप जाने के लिए लेनी होती है सरकार की अनुमति
पहले तो ये जान लीजिए कि लक्षद्वीप पहुंचने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होती है. भारतीय और विदेशी लोगों को अनुमति के लिए आवेदन देना होता है तभी लक्षद्वीप जाया जा सकता है.
भारत के किसी भी कोने से लक्षद्वीप सीधे नहीं पहुंचा जा सकता है. लक्षद्वीप पहुंचने से पहले आपको केरल के कोच्चि पहुंचना होगा. कोच्चि ही लक्षद्वीप तक पहुंचने का एकमात्र जरिया है.
अब कोच्चि से लक्षद्वीप पहुंचने के लिए केवल दो जरिए हैं एक फ्लाइट दूसरा शिप. फ्लाइट की बात करें तो भारतीय एयरलाइन की केवल एक ही फ्लाइट है जो कोच्चि से अगाट्टी और बंगाराम द्वीपों तक पहुंचा सकती है. इस फ्लाइट के जरिए 90 मिनटों में पहुंचा जा सकता है. इसमें 10 से 11 हजार का खर्च आता है.
लक्षद्वीप के लिए सिर्फ एक ही फ्लाइट
ध्यान रहे कि लक्षद्वीप के लिए चूंकी एक ही फ्लाइट है इसलिए इसमें बुकिंग को लेकर दिक्कत रहती है.
इसके अलावा 6 से 7 शिप्स हैं जो कोच्चि से लक्षद्वीप के अलग-अलग द्वीपों तक पहुंचाती है, ये 14-18 घंटे का समय लेती है.
लक्षद्वीप जाने के लिए क्यों लेना पड़ता है परमिट?
लक्षद्वीप पर्यटन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, लक्षद्वीप जाने या वहां रहने के लिए पूर्व अनुमति (परमिट) लेना जरूरी है. दरअसल परमिट के पीछे का कारण वहां रहने वाली अनुसूचित जनजातियों की रक्षा करना है.
प्रवेश परमिट नियम के अनुसार, ऑनलाइन उपलब्ध प्रवेश परमिट फॉर्म को भरकर प्रशासक के पास जमा करना पड़ता है. फॉर्म का आवेदन शुल्क ₹50 है. भारतीयों को परमिट के लिए पुलिस आयुक्त से पुलिस क्लीयरेंस प्रमाणपत्र होना जरूरी है. यात्री को लक्षद्वीप पहुंचने पर इसे जमा करना होता है.
लक्षद्वीप द्वीप की यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए ePermit की आधिकारिक वेबसाइट epermit.utl.gov.in पर जा सकते हैं.
मालदीव के बारे में जानिए
मालदीव भारत से नीचे और केरल से करीब 1000 किलोमीटर दूर है. मालदीव एक वीजा फ्री देश है, यानी यहां पहुंचने से पहले अनुमति नहीं लेनी होती है. ये देश 1200 द्वीपों का समूह है लेकिन ज्यादातर द्वीपों पर कोई नहीं रहता.
मालदीव की कुल आबादी 4 लाख है और यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है. मालदीव का क्षेत्रफल 300 वर्ग किलोमीटर है.
मालदीव तक भारत के कई जगहों से पहुंचा जा सकता है और कई सारी फ्लाइट्स मालदीव के लिए उपलब्ध हैं. मालदीव पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक़, मालदीव में 175 रिसॉर्ट, 14 होटल, 865 गेस्ट हाउस, 156 जहाज़, 280 डाइव सेंटर्स, 763 ट्रेवल एजेंसी और पांच टूर गाइड्स हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, मालदीव पहुंचने वाले पर्यटकों में भारतीय सबसे ज्यादा हैं. भारत से मालदीव जाने वाले लोगों की संख्या 2 लाख से ज्यादा रहती है. फिर रूस, चीन, यूके, जर्मनी और इटली से मालदीव पहुंचने वालों की संख्या भी लाखों में हैं. यानी कई देशों से लाखों पर्यटक मालदीव पहुंचते हैं.
भारत में अन्य द्वीपों और मालदीव के ऊपर लक्षद्वीप को चुनने के लिए सोशल मीडिया पर कई लोग अपनी राय रख रहे हैं लेकिन लक्षद्वीप में पर्यटन को तेजी बढ़ाने के लिए वहां की सुविधाओं को बेहतर करने की ज्यादा जरूरत है.
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