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MVA की विरासत को खत्म करने में समय नहीं गंवा रही शिंदे-फडणवीस सरकार

Maharashtra: Shinde Government ने उद्धव सरकार के आरे कॉलोनी में मेट्रो शेड बनाने पर रोक वाले फैसले को पलट दिया.

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(आईएएनएस)। महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने 30 जून की शाम को शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद संकेत दे दिया था कि वह कड़े फैसले लेने में देर नहीं करने वाले हैं।

महाराष्ट्र की नई सरकार ने सत्ता संभालते ही पूर्ववर्ती उद्धव सरकार के आरे कॉलोनी में मेट्रो शेड बनाने पर रोक वाले फैसले को पलट दिया। शिंदे सरकार ने ऐलान किया है कि मेट्रो कार शेड आरे कॉलोनी में ही बनेगा। जबकि इससे पहले उद्धव सरकार ने आरे कॉलोनी में मेट्रो शेड के भारी विरोध के बाद शेड को ट्रांसफर करने का फैसला लिया था।

यह नई सरकार के पहले बड़े फैसलों में से एक माना जा रहा है, जब उसने हरी-भरी आरे कॉलोनी के बजाय कांजुरमार्ग में मुंबई मेट्रो 3 कार-शेड के निर्माण के लिए तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के प्रस्ताव को रद्द कर दिया। अब प्रोजेक्ट पर काम वहीं होगा, जहां मूल रूप से फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर (2014-2019) अपने कार्यकाल के दौरान इसकी योजना बनाई थी।

शिंदे-फडणवीस के इस कदम ने पर्यावरण के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं और यहां तक कि पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे - जो आरे कॉलोनी के गॉडफादर की तरह हैं - और उनके बेटे पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे के विरोध को आकर्षित किया है। हालांकि यह विरोध प्रत्याशित भी था।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को राज्य की नई सरकार से अपील की कि वह मुंबई के हरे-भरे आरे कॉलोनी इलाके में मेट्रो कार शेड बनाने की अपनी योजना को आगे नहीं बढ़ाए।

फैसले से उदास ठाकरे ने सार्वजनिक रूप से शिंदे-फडणवीस से हाथ जोड़कर अपील करते हुए कहा कि मुंबई और शहर के पर्यावरण के हित में आरे कॉलोनी के जंगलों में मेट्रो कार-शेड को वापस न लाया जाए। जबकि आदित्य ने नए शासन से ठाकरे का गुस्सा मुंबईकरों पर नहीं निकालने का आग्रह किया।

फडणवीस ने हालांकि जवाब दिया कि वह कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले ठाकरे की भावनाओं का सम्मान करेंगे और कुछ ही दिनों बाद, अतिरिक्त नगर आयुक्त अश्विनी भिड़े को मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) की प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी सौंप दी।

अक्टूबर 2019 में, तत्कालीन एमएमआरसीएल एमडी, भिड़ेको अक्सर प्रकृति प्रेमी के तौर पर माना जाता था, मगर उन्होंने तब देश को चौंका दिया था, जब आरे कॉलोनी में रातों-रात बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई कराई गई थी। बमुश्किल 40 घंटों में ही 2,141 पेड़ काटे गए थे। यानी करीब एक मिनट में एक पेड़ की बलि चढ़ गई थी।

ठाकरे जूनियर, कांग्रेस कार्यकर्ता, हरित समूह और कार्यकर्ता नए शासन के नवीनतम उलटफेर पर नाराज हैं और वे इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन भिड़े को विवादास्पद प्रस्ताव को आगे बढ़ाने का काम सौंपा गया है।

एमवीए गठबंधन के बाद, शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए टर्मिनस के निर्माण की केंद्र की योजना को विफल कर दिया था, वहीं अब शिंदे-फडणवीस मंत्रालय ने विलंबित मेगा-प्रोजेक्ट पर फिर से विचार किया है।

उन्होंने मूल इच्छित बीकेसी साइट पर बुलेट ट्रेन टर्मिनस बनाने का संकल्प लिया है और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को सितंबर तक 2 महीने के भीतर अपने 2 साल पुराने कोविड जंबो फील्ड अस्पताल को वहां से बंद करने और पैक करने का आदेश दिया है।

एक और झटके वाले निर्णय में सरकार ने राज्य में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की 4,000 से अधिक बड़ी और छोटी जल संरक्षण परियोजनाओं को रद्द कर दिया है, जिसे 2025 तक राज्य को सूखा मुक्त बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।

हालांकि, इसके विपरीत, सरकार ने जलयुक्त शिवर परियोजना को पुनर्जीवित करने का फैसला किया है। जब फडणवीस मुख्यमंत्री थे, तो यह उनकी प्रिय योजनाओं में से एक थी, लेकिन इसे एमवीए ने रोक दिया था।

कैग द्वारा जेएसटी की प्रभावशीलता के बारे में संदेह व्यक्त करने के बाद ठाकरे शासन ने परियोजना की खुली जांच का निर्णय लिया था और बाद में एक जांच पैनल ने उस योजना में विभिन्न अनियमितताओं को उजागर करते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

सरकार ने 2018 में फडणवीस द्वारा शुरू की गई आपातकालीन पेंशन योजना को वापस लाने का विकल्प भी चुना था, जो भारतीय इतिहास में एक काला अध्याय माने जाने वाले आपातकाल (1975-1977) के दौरान जेल की सजा काट चुके लोगों को पुरस्कृत करने के लिए निर्धारित थी।

एमवीए सरकार ने ईपीएस को हटा दिया था - फडणवीस को संदेह है कि यह कांग्रेस के दबाव में किया गया था। इसके तहत लाभार्थी को कारावास की अवधि के आधार पर 5000 रुपये से 10,000 रुपये के बीच पेंशन का हकदार बनाने की बात कही गई है।

शिंदे ने गांव के सरपंचों और नगर परिषद अध्यक्षों के प्रत्यक्ष चुनाव को रद्द करने के फैसले को भी रद्द कर दिया - जिसे फडणवीस द्वारा 2017 में पेश किया गया था और जिसे 2020 में ठाकरे सरकार ने हटा दिया था।

ये उलटफेर या रद्दीकरण शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा आश्वासन के बावजूद हुआ है कि वे एमवीए की किसी भी नीतियों, परियोजनाओं या योजनाओं को डंप करने से परहेज करेंगे, जब तक कि उन्हें पूरी तरह से अनिवार्य नहीं पाया जाता है।

हालांकि, एक छोटी सी रियायत देते हुए, तीन सप्ताह पुरानी सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने के एमवीए के प्रस्ताव की समीक्षा करेगी। एआईएमआईएम ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने मूल कदम से खुद को अलग कर लिया है।

अब, शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन चिंतित है कि 31 महीने के लंबे एमवीए शासन के दौरान शुरू की गई कई अन्य मेगा परियोजनाओं पर कैंची चल सकती है।

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