कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से नेशनल हेराल्ड मामले (National Herald Case) में ED पूछताछ कर रही है. तीन दिनों (सोमवार, मंगलवार, बुधवार) तक चली पूछताछ के बाद उन्हें शुक्रवार को भी पूछताछ के लिए ED ने बुलाया है. लेकिन, एनडीटीवी के मुताबिक राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े कथित धनशोधन मामले में उनकी पूछताछ को सोमवार तक के लिए टाल दिया जाए. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों सोनिया गांधी के साथ अस्पताल में हैं.
दरअसल, ED ने तीन दिनों में 30 घंटे से अधिक समय तक राहुल गांधी से पूछताछ की है और शुक्रवार को भी पूछताछ के लिए तलब किया है. दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में अपनी मां सोनिया गांधी के साथ रहने के उनके अनुरोध पर गुरुवार को उन्हें छुट्टी की अनुमति दी गई थी. एनडीटीवी के मुताबिक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों सोनिया गांधी के साथ अस्पताल में हैं.
बता दें, 75 साल की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 2 जून को कोरोना पॉजिटिव पाई गईं थीं. नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी को भी पूछताछ के लिए तलब किया गया है.
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
दरअसल, साल 1938 जवाहर लाल नेहरु ने नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत की थी. आजादी के बाद यह अखबार कांग्रेस का माउथपीस बना रहा. साल 2008 में अखबार छपना बंद हो गया. इस अखबार का मालिकाना हक एसोसिएट जर्नल्स (Associated Journals Limited) के पास था. इसी के तहत नेशनल हेराल्ड अखबार निकाला जाता था. AJL पर 90 करोड़ से ज्यादा का कर्ज था और इसी को खत्म करने के लिए एक और कंपनी बनाई गई, जिसका नाम था यंग इंडिया लिमिटेड. इसमें राहुल और सोनिया की हिस्सेदारी 38-38% थी, जबकि कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास 24 फीसदी हिस्सेदारी थी.
एसोसिएटेड जर्नल्स ने 2010 में अपने 10-10 रुपए के 9 करोड़ शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिए. कहा गया कि इसके एवज में यंग इंडिया AJL की देनदारियां चुकाएगी, लेकिन शेयर की हिस्सेदारी ज्यादा होने की वजह से यंग इंडिया को मालिकाना हक मिला. AJL की देनदारियां चुकाने के लिए कांग्रेस ने जो 90 करोड़ का लोन दिया था, वह भी बाद में माफ कर दिया गया.
इसके बाद साल 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने पार्टी फंड से राहुल और सोनिया को 90 करोड़ रुपए दिए थे. इसका मकदस एसोसिएट जर्नल्स की 2 हजार करोड़ की संपत्ति हासिल करना था. इसके लिए गांधी परिवार ने महज 50 लाख रुपए की मामूली रकम दी थी.
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