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नई संसद की जरूरत-सेंगोल लगाने की वजह, PM ने एक-एक कर बताया- लेकिन क्या सबसे खास?

PM Modi ने कहा, हमारे पास 25 वर्ष का अमृत कालखंड है. इन 25 वर्षों में हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 28 मई को नई संसद भवन (New Parliament House) के उद्घाटन के बाद कहा, "देश आजादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है. आज सुबह ही संसद भवन परिसर में सर्व पंथ प्रार्थना हुई है. मैं सभी देशवासियों को इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बधाई देता हूं. यह सिर्फ भवन नहीं है यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है. यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन से स्मारक डाक टिकट भी जारी किए.

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  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को साकार करने का साधन बनेगा. यह नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा. यह नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धी होते हुए देखेगा. नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं. आज नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है. नया जोश है, नई उमंग है, दिशा नई है, दृष्टि नई है.

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि, आज इस ऐतिहासिक अवसर पर कुछ देर पहले संसद की नई इमारत में पवित्र सेंगोल की भी स्थापना हुई है. महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ का, सेवा पथ का, राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था. राजा जी और अधिनम के संतों के मार्ग दर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तातंरण का प्रतीक बना था. तमिलनाडु से विशेष तौर पर अधिनम के संत भवन में हमें आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हुए थे.

  • पीएम मोदी ने कहा, आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है. इसमें वास्तू, विरासत, कला, कौशल, संस्कृति और संविधान भी है. लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पंक्षी मोर पर आधारित है, राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है. संसद के प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है.

  • उन्होंने कहा कि, संसद भवन ने करीब 60,000 श्रमिकों को रोजगार देने का काम किया है. इनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलेरी भी बनाई गई है. आज जब हम लोकसभा और राज्यसभा को देखकर उत्सव मना रहे हैं तो मुझे संतोष है कि हमने देश में 30,000 से ज्यादा नए पंचायत भवन भी बनाए हैं. पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक हमारी निष्ठा एक ही है.

  • उन्होंने आगे कहा कि, हमारे पास 25 वर्ष का अमृत कालखंड है. इन 25 वर्षों में हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है.

  • गुलामी के बाद हमारा भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी. वो यात्रा कितने ही उतार-चढ़ावों से होते हुए, कितनी ही चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है.

  • आजादी का यह अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए, विकास को नए आयाम गढ़ने का अमृतकाल है.

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