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निघासन गैंगरेप-मर्डर: 'उम्रकैद नहीं फांसी हो', अदालत के फैसले से असंतुष्ट पीड़ित परिवार

Nighasan Gangrape & Murder Case में अदालत ने दो दोषियों को उम्रकैद जबकि दो को 6-6 साल जेल की सजा सुनाई है.

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"निर्भया केस की तरह फांसी होनी चाहिए थी. सिर्फ दो आरोपियों को उम्र कैद हुई है जबकि हमारी बेटियों के साथ दरिंदगी तो सभी ने की थी."

ये कहना है 2 मृत नाबालिग लड़कियों की मां का, जो अपनी बेटियों के लिए अभी भी इंसाफ मांग रही है.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के निघासन (Nighasan Gangrape & Murder Case) में दो नाबालिग लड़कियों के साथ गैंगरेप हुआ फिर हत्या कर दी गई, इस मामले में लखीमपुर खीरी कोर्ट ने चार आरोपियों को दोषी करार दिया है. दो को उम्रकैद जबकि दो को 6-6 साल जेल की सजा हुई है.

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लेकिन पीड़ित मां ने रोते हुए कहा कि वे हाई कोर्ट जाएंगे और सभी को बराबर सजा दिलवाएंगे.

मृतक लड़कियों की मां ने कहा कि, "कोर्ट ने दो आरोपियों को नाबालिग बता दिया है, लेकिन दरिंदगी करते समय वह नाबालिग नहीं थे. वे हमारी बेटियों को उठा कर ले गए थे. तब वे नाबालिग नहीं थे. सबको बराबर सजा हो. हम हाई कोर्ट जाएंगे."

उन्होंने आगे कहा कि, "प्रशासन द्वारा हमसे कई वादे किए गए थे जो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं. न तो हमें आवास मिला है, न जमीन मिली है, न ही शौचालय बनवाया गया और पैसे भी नहीं दिए गए हैं."

पीड़ित मां ने ये भी बताया कि उन्हें अपराधियों से डर हैं कि सजा पूरी होने के बाद वे हमला कर सकते हैं. इसके लिए उन्होंने पुलिस सुरक्षा की मांग की है. उन्होंने कहा कि, "हमको डर है कि वह जब छूट के आएंगे तो हम पर हमला करेंगे. पहले भी उन्होंने कोर्ट में हमें धमकी दी थी. हम बाजार नहीं जा सकते हैं. हम गांव में भी बाहर नहीं निकाल सकते. हमें पुलिस की सुरक्षा चाहिए. जब तक सभी को सजा नहीं हो जाती तब तक हम पेट भर खाना नहीं खा पाएंगे."

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पीड़ित भाई ने भी की निर्भया केस की तरह सजा की मांग

मृत लड़कियों के भाई ने कहा कि, "पुलिस ने दो आरोपियों को नाबालिग बता दिया है. निर्भया केस में जिस तरह से सभी आरोपियों को बराबर सजा मिली थी, इसमें भी बराबर सजा होनी चाहिए. हम हाई कोर्ट जाएंगे. हम मांग करते हैं कि सभी को फांसी हो."

लड़कियों के भाई ने हाथ में प्रशासन द्वारा दिए गए पेपर लेकर कहा कि, "घटना के दिन हमें इस पेपर पर लिखकर कई वादे किए गए थे. लेकिन प्रशासन ने एक भी वादा पूरा नहीं किया है. हमें रहने के लिए घर भी नहीं मिला, न ही शौचालय दिया, ना जमीन का पट्टा. और भी वादे किए थे जो पूरे नहीं हुए हैं. जमीन के पट्टे के सिर्फ कागज मिले हैं. लेकिन हमें अभी तक नहीं पता कि जमीन है कहां?"

पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए पीड़ित भाई ने कहा कि, "हमें अभी भी डर लगता है. हम कहीं जा नहीं सकते हैं. मुख्यालय और बाजार जाने का एक ही रास्ता है जिस पर आरोपियों का घर है. उन्होंने कोर्ट में पहले भी हमें धमकी दी थी."

भाई ने आगे बताया कि, प्रशासन ने हमसे कहा था कोर्ट जाने के लिए जो भी खर्च आएगा वह सरकार देगी. सरकारी गाड़ी से कोर्ट ले जाया जाएगा. लेकिन हमें जो पैसा एससी एसटी एक्ट के तहत मिला था उसमें से आधा पैसा तो कोर्ट आने-जाने में ही खर्च हो गया है. प्रशासन ने कोई मदद नहीं की है. किराए की गाड़ी से हम लोग कोर्ट जाते थे.

लड़कियों के पिता ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन ने हमारे साथ छलावा किया है और पैसे लेकर फर्जी दस्तावेज पेश करके आरोपियों को नाबालिग बताया गया है.

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