ADVERTISEMENTREMOVE AD

ओडिशा: नियमगिरि पहाड़ी बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे 9 आदिवासी एक्टिविस्टों पर लगा UAPA

सरकार और वेदांता समूह के बीच नियमगिरि पहाड़ी में मौजूद एल्युमिनियम के खनन के समझौते के बाद से लगातार आदिवासी प्रदर्शन कर रहे हैं.

Published
न्यूज
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

ओडिसा (Odisha) में नियमगिरि पहाड़ी को बचाने और बॉक्साइट (bauxite) के अवैध खनन के खिलाफ आंदोलन कर रहे 9 आदिवासी (Adivaasi) एक्टिविस्टों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 400 किलोमीटर दूर कालाहांड़ी और रायगढ़ा जिले में खनिज पदार्थ की खदान के खिलाफ वहां के आदिवासी संगठन काफी लंबे समय से विरोध करते आ रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

9 आदिवासी एक्टिविस्टों के खिलाफ UAPA का मामला दर्ज 

बीते 6 अगस्त को रायगढ़ा जिले के कल्याण सिंह थाने में प्रभारी सुमन्ति मोहन्ती की तहरीर पर एक एफआईआर दर्ज की गई. दर्ज एफआईआर में आदिवासी एक्टिविस्टों लिडा सिकोका, द्रन्जु कृष्णा, सम्बा हुईका, मनु सिकोका, उपेद्र भोई, लेनिन कुमार, लिंगाराज आजाद, बिट्रिश नाइक और गोबिन्द बाग के नाम हैं.

पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 294, 188, 353, 352, 307, 149, 148 समेत यूएपीए की तीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है.

दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि...

"लगभग 200 लोगों की भीड़ अपने हाथों में हथियार, जैसे-लाठी और कुल्हाड़ी लेकर आंदोलन के उद्देश्य से निकली थी. यह भीड़ रायगढ़ा जिले के कल्याण सिंह थाने में विरोध प्रदर्शन करने जा रही थी. एफआईआर में आगे लिखा है कि पुलिस को इन लोगों से जान का खतर था क्योंकि इन लोगों के पास हथियार मौजूद थे और थाने में आग लगाने की भी धमकी दे रहे थे."
0

पुलिस पर आरोप, 'प्रदर्शन में मौजूद न रहने वालों पर हुई FIR'

उड़ीसा के दलित एक्टिविस्ट लिंगाराज आजाद ने द क्विंट से बताया कि,

" हमारे साथी कृष्णा सिकाका, बारी सिकाका को 9 अगस्त को ‘विश्व आदिवासी दिवस’ की तैयारी के लिए लांजीगढ़ भेजा था. इसी दौरान वहां एक गाड़ी आई और उसमें पुलिस के सिविल ड्रेस में मौजूद लोग उन्हें जबरन गाड़ी में डालकर अपने साथ ले गए. लांजीगढ़ के कुछ आदिवासी लांजीगढ़ थाने पहुंचे और उनको छोड़ने की मांग की. पुलिस ने यूएपीए की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है".
लिंगाराज आजाद, दलित एक्टिविस्ट

आजाद के मुताबिक बारी सिकाका बाद में घर लौट आए और कृष्णा अभी भी पुलिस की गिरफ्त में हैं, उन्हें 2018 के रेप के एक मामले में गिरफ्तार दिखाया गया है. आजाद ने द क्विंट से बताया कि...

"आदिवासी हमेशा से अपने साथ कुल्हाड़ी रखते हैं, कुल्हाड़ी रखना यहां का कल्चर है. अब पुलिस कुल्हाड़ी को ही हमारे खिलाफ इस्तेमाल कर रही है. जिन लोगों पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है वो तो उस भीड़ का हिस्सा भी नहीं थे जो थाने के बाहर प्रदर्शन करने पहुंची थी".

आजाद ने बताया कि, "यहां काफी लंबे समय से नियमगिरि पहाड़ी को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. कॉरपोरेट के लोग इसको छीनना चाहते हैं. यहां लोगों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा रहा है ताकि डर जाएं. यह सब डराने की साजिश है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

"चुनाव में फायदे के लिए सरकार की साजिश" 

मूलनिवासी समाजसेवक संघ के मधुसूदन सेठी ने इसको सरकार की साजिश बताया है. उन्होंने कहा कि, "यह सरकार की साजिश है दलित आदिवासियों की जमीन को हड़पने की. लोकसभा चुनाव होने हैं उसके लिए पैसा चाहिए, इसलिए सरकार जमीन और खनिज कॉरपोरेट को देना चाहती है."

लंबे समय से चल रहा नियमगिरि को बचाने का आंदोलन

नियमगिरि पहाड़ी में मौजूद खनिज पदार्थ के खनन का विरोध वहां के स्थानीय लोग कर रहे हैं. 2003 में सरकार और वेदांता समूह के बीच हुए नियमगिरि पहाड़ी में मौजूद एल्युमिनियम के खनन के समझौते के बाद से लगातार सरकार और कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×