एक प्रगतिशील किसान होने के नाते पाकिस्तान (Pakistan) के किसान रिजवान ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के वैज्ञानिक प्रोफेसर एसके सिंह से बीज मुहैया कराने का अनुरोध किया, इसके लिए उन्होंने प्रोफेसर को व्हाट्सएप (Whatsapp) पर मैसेज किया.
बीएचयू के प्रोफेसर सिंह ने रिजवान को पाकिस्तान में मनीला स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) से संपर्क करने के सुझाव दिए.
पाकिस्तान के रिजवान ने पहले 6 जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से वॉयस कॉल किया. रिजवान को जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने फिर एक वॉयस मैसेज भी भेजा, जिसमें प्रोफसर सिंह से बात करने की अपील की थी. रिजवान की मांग पूरी करने में असमर्थ होने के कारण उन्होंने पाकिस्तान में ही मनीला स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) से संपर्क करने के सलाह दी.प्रोफेसर एसके सिंह, कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू
प्रोफेसर सिंह ने आगे कहा कि, रिजवान ने जिस किस्म की धान का अनुरोध किया है वो आईआरआरआई मनीला के एक संयुक्त उद्यम में उसका बीज का प्रजनन किया है और जिसका वाराणसी के बीएचयू में भी एक केंद्र है.
इसके अतिरिक्त कहा कि धान की अन्य किस्मों के मुकाबले इस बीज की प्रजनन 135 से 140 दिनों के बजाय 115 से 118 दिनों में ही हो जाती है. यह बीज धान की एमएमएसडी-1 किस्म की होती है. इस किस्म के बीज के उपयोग करके किसान एक साल में चार से अधिक फसल उपजाने में सक्षम होंगे और तीन गुना अधिक तक मुनाफा कमा पाएंगे.
बीएचयू के प्रोफेसर सिंह का मानना है कि रिजवान एक प्रगतीशील किसान हैं क्योंकि पहली बातचीत के दौरान ही उन्होंने खास किस्म के बीज की मांग की.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)