पिछले कई दिनों से लगातार छापेमारी और सैकड़ों गिरफ्तारियों के बाद पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर भारत सरकार ने 5 साल का बैन लगा दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में पीएफआई को गैर-कानूनी संस्था घोषित करते हुए यूएपीए एक्ट के तहत इस पर बैन लगाया गया है. इस बैन के बाद तमाम रिएक्शन भी सामने आ रहे हैं. RJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा-
PFI पर जांच हो रही है, PFI की तरह जितने भी संगठन हैं सभी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जिसमें RSS भी शामिल है. सभी पर प्रतिबंध लगाया जाए, सबसे पहले RSS को बैन करिए, ये उससे भी बदतर संगठन है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एक नाथ शिंदे ने कहा-
PFI के लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं, उनको इस देश में ऐसे नारे लगाने का अधिकार नहीं है. केंद्र सरकार ने ये अच्छा फैसला किया है, ये देश भक्तों का देश है और यहां देशद्रोही बयान कोई किसी पर नहीं कर सकता.
कांग्रेस सांसद ने की आलोचना
वहीं केरल के कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश ने कहा है कि पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना कोई उपाय नहीं है. हम आरएसएस पर भी बैन लगाने की मांग करते हैं. आरएसएस पूरे देश में हिंदू सांप्रदायिकता फैला रहा है, पीएफआई और आरएसएस एक समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर बैन लगाना चाहिए.
वहीं सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया SDPI ने इसे देश में अघोषित आपातकाल बताया है.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पीएफआई पर बैन लगाने के गृह मंत्रालय की अधिसूचना की कॉपी को शेयर करते हुए ट्वीट कर कहा, बाय बाय पीएफआई!
बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा-
पीएफआई पर प्रतिबंध का स्वागत करते हैं, महागठबंधन के नेता शिवानंद तिवारी ने पीएफआई द्वारा पाकिस्तान जि़ंदाबाद नारे का समर्थन किया था. सिद्धारमैया सरकार ने पीएफआई के 1600 लोगों पर 160 एफआईआर वापस लिया था. बिहार सरकार ने फुलवारी मामले को एनआईए को देने का विरोध कर रही थी.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर 5 साल के लिए बैन
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 5 साल के लिए बैन कर दिया है. केंद्र सरकार ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है कि वैश्विक आतंकी संगठनों के साथ संबंध और कई आतंकी मामलों में शामिल होने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाया गया है.
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