"साहब मेरे मित्र नीरज ने मुझे कहा था कि मैं प्रश्नपत्र हल सहित उपलब्ध करा दूंगा"
"12.56 पर उसने हल भेज दिया था, उसी पेपर से मैंने पर्ची बनाई"
ये लाइनें उसी FIR कॉपी की हैं जो यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पेपर लीक (UP Police Paper Leak) को लेकर दर्ज कराई गई. 17 और 18 फरवरी को परीक्षा थी. 19 फरवरी को लखनऊ के कृष्णा नगर थाने में केस दर्ज हुआ. अभी तक सरकार या प्रशासन इस बात से इनकार कर रहा है कि पेपर लीक हुआ है लेकिन FIR में दर्ज बातें गवाही दे रही हैं कि शायद सबकुछ ठीक नहीं है. क्योंकि FIR दर्ज कराने वाला कोई और नहीं बल्कि परीक्षा सेंटर के निरीक्षक रामबाबू सिंह ही हैं.
ऐसे में बताते हैं कि FIR के मुताबिक, पेपर कैसे लीक हुआ? आरोपियों का क्या हुआ? FIR में दर्ज कराए गए नंबर गलत हैं? जांच अधिकारी ने क्या बताया?
परीक्षा केंद्र- सिटी माडर्न एकेडमी, पहला आरोपी- अमन कुमार: FIR के मुताबिक, लखनऊ के कृष्णा नगर स्थित परीक्षा केंद्र सिटी माडर्न एकेडमी में अभ्यर्थी सत्य अमन कुमार को नकल करते हुए पकड़ा गया, जिसके बाद उसने दोस्त नीरज की ओर से पेपर लीक करने की बात स्वीकारी. इसकी एफआईआर खुद वहां मौजूद निरीक्षक रामबाबू सिंह ने कृष्णा नगर थाने में परीक्षा के एक दिन बाद दर्ज करवाई.
4.55 पर मिली नकल की जानकारी: निरीक्षक रामबाबू सिंह ने एफआईआर में लिखवाया कि केंद्र में मौजूद हॉल 24 सी के कक्ष निरीक्षक वंदना कनौजिया व विश्वनाथ सिंह ने बताया कि हॉल 24 सी में परीक्षा दे रहे एक परीक्षार्थी सत्य अमन कुमार (रोल नंबर 7761894) पर्ची से नकल करते हुए ओएमआर शीट भरता हुआ पाया गया है.
पर्ची के उत्तर और प्रश्नपत्र के उत्तर एक से थे: सरकारी दस्तावेज के तौर पर मौजूद इस एफआईआर में निरीक्षक ने दर्ज कराया कि सूचना मिलने पर जब स्टेटिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार वर्मा और सौरभ यादव समेत बाकी स्टॉफ हॉल में पहुंचा तो परीक्षार्थी सत्य अमन कुमार सीट नंबर 8 पर बैठा था. उसी मेज में एक हस्तलिखित पर्ची थी जिसमें दिए गए जवाब प्रश्न पत्र के सही जवाबों से बिल्कुल मेल खा रहे थे.
पहले ही पेपर के आंसर मिलने की बात स्वीकारी: इसके आगे एफआईआर में लिखा है कि कार्रवाई के लिए जब अभ्यर्थी सत्य अमन कुमार को कंट्रोल रूम में लाया गया तो पहले तो उसने कुछ भी नहीं कहा. लगातार सख्ती से पूछने पर उसने बताया,
"साहब मेरे मित्र नीरज ने मुझे कहा था कि मैं प्रश्नपत्र हल सहित उपलब्ध करा दूंगा, जिससे तुम्हारी नौकरी लग जाएगी तब मुझे पैसा देना. आज मेरी परीक्षा थी. दोपहर 12.56 बजे नीरज ने अपने मोबाइल नंबर से हाथ से लिखा हुआ पेपर व्हाट्सएप पर भेजा था जिसमें सही उत्तर पर टिक लगे हुए थे. उसी पेपर से मैंने पर्ची बनाई."
मोबाइल में क्या मिला: निरीक्षक ने दर्ज कराया कि अभ्यर्थी ने इसके बाद सबूत भी उपलब्ध करवाया. सत्य अमन कुमार ने बताया कि उसका मोबाइल स्ट्रांग रूम में जमा है. जमा रसीद क्रमांक 147 है.
"जब मोबाइल मंगाकर चेक किया गया तो व्हाट्सएप में एक नंबर Neeraj Kumar UP नाम से सेव था जिसे खोलकर देखा गया तो उसी दिनांक के 12.56 PM पर परीक्षार्थी के मोबाइल पर हस्तलिखित पेपर उत्तर में टिक लगे थे."
150 में से 147 प्रश्नों के थे जवाब: पेपर लीक के मामले को सिरे से नकारने वाले प्रशासन के ही दस्तावेज में साफ साफ दर्ज है कि मोबाइल में मिले जवाब और हस्तलिखित पर्ची में जवाब एक से थे. इसे परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का मिलान किया गया तो सभी के सही जवाब पर्ची के जवाब से पूरी तरह मेल खा रहे थे. कुल मिलाकर 150 में से 147 प्रश्नों के जवाब स्पष्ट पढ़ने में आ रहे थे.
घटना की पुष्टि हो जाने पर अभ्यर्थी का आसमानी रंग का मोबाइल नंबर और हस्तलिखित साल्व्ड प्रश्न पत्र का प्रिंट आउट निकलवाकर कब्जे में ले लिया गया. इसी के साथ स्ट्रांग रूम की पर्ची और ओएमआर शीट भी जब्त करते हुए कार्रवाई की मांग की गई.
क्विंट हिंदी ने FIR में दर्ज नंबर पर कॉल कर बात करने की कोशिश की तो पता चला कि जो नंबर रामबाबू सिंह के नाम के आगे लिखा हुआ है वह अयोध्या में रहने वाली शिवानी का है. शिवानी ने फोन उठाते ही कहा,
"तीन दिनों से मेरे नंबर पर किसी राम बाबू सिंह के लिए फोन आ रहे है. क्या किया है उन्होंने और मेरा नंबर क्यों दिया गया. मैंने भी पुलिस की परीक्षा दी थी. लेकिन मैं किसी रामबाबू, या सत्य अमन कुमार या नीरज को नहीं जानती हूं."
क्विंट हिंदी ने कृष्णा नगर थाने के एसएचओ कैलाश दुबे से बातचीत की उन्होंने कहा कि आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया है. आगे की जांच जारी है. एफआईआर में दर्ज नंबरों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
फिलहाल यूपी पुलिस पेपर लीक मामले पर सरकार और अभ्यर्थी आमने-सामने हैं. प्रदेश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. दोबारा परीक्षा कराए जाने की मांग हो रही है. इस बीच प्रशासन छात्रों से पेपर लीक के सबूत भी मांग रहा है, लेकिन सबूतों की कड़ी में दर्ज FIR और उसमें लिखी गई बातें बड़ी मदद कर सकती हैं.
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