Bihar: बिहार में BJP के लंबे समय के साथी अजय निषाद ने आज 2 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस (Congress) का दामन थाम लिया है. BJP ने लोकसभा उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की जिसमें मुजफ्फरपुर से पार्टी ने अपने दो बार के सांसद अजय निषाद का टिकट काट दिया. उनकी जगह पर 2 साल पहले बीजेपी ज्वॉइन करने वाले VIP के पूर्व नेता राज भूषण चौधरी को टिकट दिया है. अजय निषाद ने इसे विश्वासघात करार दिया और इसी नाराजगी के चलते कांग्रेस ज्वॉइन कर ली है.
अजय निषाद कौन हैं?
अजय निषाद ने 2014 में बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने राजभूषण चौधरी को 4 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था. राज भूषण चौधरी को ही BJP ने इनकी जगह पर टिकट भी दिया है.
अजय निषाद के पिता कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद 4 बार मुजफ्फरपुर सीट से सांसद रहे. 2004 में जॉर्ज फर्नांडिस की जमानत जब्त होने के बाद इन्हें JDU के टिकट पर चुनाव लड़ने का मौका मिला जिसके बाद से अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर ये चुनाव लड़ते रहे. इस सीट पर निषाद परिवार का बोलबाला रहा है. साल 2013 में JD(U) ने कैप्टन निषाद को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. इनके पार्टी से निकाले जाने का कारण इनका मोदी प्रेम था. जिसके बाद इन्होंने बीजेपी का हाथ थाम अपने बेटे अजय निषाद को मुजफ्फरपुर सीट से टिकट दिलवाया.
कौन हैं राज भूषण चौधरी निषाद?
बिहार की मुजफ्फरपुर सीट से BJP ने अपने 2 बार के MP का टिकट काट कर राज भूषण चौधरी पर भरोसा जताया है. चौधरी भी निषाद समुदाय से आते हैं इसलिए ऐसा करने से BJP के जातिगत समीकरण बिगड़ने का खतरा नहीं है. राज भूषण चौधरी VIP के फाउंडिंग मेम्बर थे लेकिन 2 साल पहले ही इन्होंने BJP ज्वॉइन कर ली थी. इनके BJP में आने में बड़ा हाथ खुद अजय निषाद का माना जाता है.
साल 2019 के चुनाव में चौधरी ने VIP के टिकट पर मुजफ्फरपुर से ही चुनाव लड़ा था और अजय निषाद ने इन्हें 4 लाख से ज्यादा वोट से हराकर कड़ी शिकस्त दी थी.
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी बताते हैं कि BJP के इन पर भरोसा जताने की एक बड़ी वजह ये भी है कि एक समय में ये मुकेश साहनी के राइट हैंड थे, उन्हें आगे लाने में इनका बड़ा हाथ है. चौधरी और उनकी पत्नी दोनों पेशे से डॉक्टर हैं और क्षेत्र में उनकी प्रतिष्ठा है.
क्यों कटा अजय निषाद का टिकट?
इस सवाल का जवाब अजय निषाद ने खुद ही अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया है. उन्होंने बताया है कि पार्टी ने उन्हें कहा है कि उनकी सर्वे रिपोर्ट खराब आयी है. बीजेपी (BJP) पिछले साल हुए जातिगत जनगणना के आंकड़ों को देखते हुए और विपक्ष के एक बड़े मुद्दे को अपने पक्ष में करने की कोशिश में है. ऐसे में पार्टी कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती.
ETV के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी बताते हैं कि BJP और RSS के आंतरिक सर्वे में ये बात सामने आई कि अजय निषाद पर लोगों का भरोसा घटता जा रहा है. दूसरा इन पर ये भी आरोप है कि ये अपने लोकसभा क्षेत्र में समय नहीं देते हैं.
BJP इस चुनाव में पहले से ज्यादा सतर्क नजर आ रही है. पार्टी लगातार आंतरिक सर्वे कर रही है, इससे पहले भी कुछ ऐसे टिकट कटे हैं जो हैरान करने वाले हैं.
कांग्रेस में शामिल होने पर अजय निषाद ने क्या कहा ?
दिल्ली में कांग्रेस ज्वॉइन करते वक्त अजय निषाद ने बताया कि उन्हें BJP ने टिकट काटने की कोई जानकारी नहीं दी. जब उनसे पूछा गया राहुल गांधी से मुलाकात में टिकट मिलने पर क्या बात हुई. इसके जवाब ने अजय निषाद ने कहा कि राहुल ने अपने बयानों में पहले ही कहा है कि जहां कांग्रेस की सरकार आएगी, वहां हम जातिगत जनगणना करायेंगे. टिकट दिये जाने के सवाल पर अजय निषाद ने बात टाल दी.
निषाद ने कहा कि उन्हें बताया गया कि उनकी सर्वे रिपोर्ट सही नहीं है. निषाद ने आगे कहा कि जब उन्होंने बताया कि वो 4 लाख से ज्यादा वोट से चुनाव जीते हैं तो पार्टी ने कहा कि ये उनकी वजह से नहीं 'ऊपर वाले' की वजह से हुआ.
बिहार में निषाद जाति के समीकरण
बिहार में जातिगत समीकरण काफी जटिल हैं. निषाद जाति बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ी निर्णायक भूमिका निभाती आयी है. लेकिन UP हो या बिहार इस जाति को उससे हिस्से की राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं मिल पाई है. बिहार में पिछले साल जातिगत जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि बिहार की कुल आबादी में निषाद आबादी का कुल प्रतिशत 2.6% है जो कुर्मी आबादी से कुछ ही कम है (कुर्मी आबादी-2.87%). लेकिन जहां एक तरफ कुर्मी जाति से आने वाले नीतीश बिहार की राजनीति में करीब 2 दशक से छाए हुए हैं वहीं निषाद जाति के पास उस तरह का राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं रहा है. निषाद जाति अति पिछड़ा वर्ग में आती है जिसकी राज्य में कुल आबादी 36.01% है.
साल 2018 में बॉलीवुड फिल्मो के सेट डायरेक्टर मुकेश साहनी ने एक नयी पार्टी का गठन किया. इस पार्टी का नाम है विकासशील इंसान पार्टी यानी VIP. मुकेश साहनी खुद को 'सन ऑफ मल्लाह' कहते हैं. बिहार में इनकी पार्टी मल्लाह ( निषाद, केवट) जाति के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए मोर्चा संभल रही है.पार्टी को झटका तब लगा जब 2022 में इसके तीनों निर्वाचित विधायकों ने BJP का दामन थाम लिया. फिलहाल मुकेश साहनी BJP के साथ जाने के मूड में नहीं लग रहें हैं. VIP ने किसी भी पार्टी से गठनबंधन नहीं किया है.
बिहार में मुजफ्फरपुर सीट के साथ ही बिहार की कई अन्य सीटें जैसे दरभंगा, चंपारण, जैसी सीटें सीधे-सीधे निषाद आबादी के प्रभाव क्षेत्र में आती हैं.
मुजफ्फरपुर सीट का इतिहास क्या रहा है?
मुजफ्फरपुर सीट का इतिहास बताता है कि इस सीट पर हमेशा बिहार की निषाद आबादी का दबदबा रहा है. इसी सीट से कैप्टन निषाद ने 4 बार सांसद रहे उनके बाद इस सीट से उनके बेटे अजय निषाद बीजेपी के सांसद रहे.
इस सीट पर कैप्टेन निषाद का दबदबा हमेशा रहा चाहे वो किसी भी पार्टी में रहें हो. इस सीट पर कभी चुनाव पार्टी के चेहरे पर नहीं लड़ा गया बल्कि हमेशा लोकल चेहरे पर लड़ा गया है. अगर ऐसा होता है और कांग्रेस यहां से अजय निषाद को टिकट देती है तो इस सीट से अजय निषाद के चुनाव जीतने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं.
किसके खाते में जा सकती है मुजफ्फरपुर सीट
इस सीट से अभी कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है लेकिन अजय निषाद के पार्टी में शामिल होने के बाद से लगभग तय ही माना जा रहा है कि इन्हें पार्टी टिकट दे सकती है. राजनीतिक मामलों के जानकार पत्रकार आदित्य मेनन बताते हैं कि इस सीट से अगर मुकाबला अगर कैंडिडेट फेस पर हो तो बहुत हद तक ये सीट अजय निषाद के खाते में जा सकती है. मगर इस बार के चुनाव एक बिग पिक्चर के साथ लड़ा जा सकता है. ऐसे में ये सीट राज भूषण चौधरी के खाते में भी जा सकती है. मल्लाह वोट का असर भी नहीं पड़ेगा क्योंकि ये दोनों ही इसी समुदाय से आते हैं.
ये पूछे जाने पर कि क्या राज भूषण चौधरी को टिकट मिलने के बाद VIP के INDIA गठबंधन में जाने के चांस बन सकते है प्रवीण बागी कहते हैं कि VIP की स्थिति काफ़ी खराब है. उनसे उनकी पार्टी का सिंबल भी छीन लिया गया है ऐसे में उनसे इस चुनाव में बहुत उम्मीदें नहीं हैं.
वो आगे कहते हैं कि इस सीट पर चुनाव लोकल नेताओं और मुद्दों की जगह शीर्ष नेतृत्व को ध्यान में रखते हुए लड़ा जाएगा. ऐसे में BJP की संभावनाएं बढ़ सकती हैं मगर अजय निषाद को हल्के में नहीं आंका जा सकता.
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