कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर ऐसे असंतोष का सामना करना पड़ रहा है जो उसने आज तक नहीं किया. पार्टी ने जिन मौजूदा सांसदों के टिकट काटे हैं, उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है. सड़कों पर भी इसको लेकर नाराजगी दिखी.
मैसूरु-कोडागु लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान सांसद प्रताप सिम्हा का पार्टी ने टिकट काट दिया है. उनकी जगह मैसूरु के पूर्व शाही परिवार के वंशज यदुवीर कृष्ण दत्त चामराजा वाडियार को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. प्रताप सिम्हा इमोशनल होकर फेसबुक पर लाइव गए और वाडियार पर तंज कसते हुए उनसे "एसी कमरे से बाहर निकलकर सीधे लोगों से मिलने" के लिए कहा.
बेंगलुरु उत्तर के सांसद डीवी सदानंद गौड़ा का भी अब बीजेपी ने टिकट काट दिया है. गौड़ा ने चेतावनी दी थी कि वोक्कालिगा समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले उम्मीदवारों के साथ छेड़छाड़ करने के पार्टी के फैसले से 12 जिलों में बीजेपी पर असर पड़ेगा, जहां वे बड़ी संख्या में हैं.
केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे को स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी उम्मीदवारी का विरोध करने के बाद उडुपी-चिकमगलुरु की जगह बेंगलुरु उत्तर से टिकट दिया गया है. शोभा करंदलाजे ने इसे अपने खिलाफ एक "राजनीतिक साजिश" बताया है.
बीजेपी ने बुधवार, 13 मार्च को कर्नाटक की कुल 28 लोकसभा सीटों में से 20 पर अपने उम्मीदवारों के नाम जारी किए. जिन आठ निर्वाचन क्षेत्रों में नामों की घोषणा होनी बाकी है, उनमें बीजेपी की सहयोगी पार्टी, जनता दल (सेक्युलर) को दो से तीन सीटें मिलने की उम्मीद है.
अभी जिन 8 सीटों पर उम्मीदवार का ऐलान बाकी हैं, वे कोलार, चिकबल्लापुर, मांड्या, हसन, चित्रदुर्ग, बेलगावी, रायचूर और उत्तर कन्नड़ हैं. जेडीएस ने कोलार, मांड्या और हासन सीटें मांगी हैं.
वाडियार ने सिम्हा की जगह ली
20 उम्मीदवारों की सूची में, पार्टी ने आठ नए चेहरे लाए हैं और नौ मौजूदा सांसदों को बदल दिया है.
यदुवीर कृष्ण दत्त चामराजा वाडियार दिग्गज उम्मीदवारों की सूची में सबसे आगे हैं; उनकी उम्मीदवारी मैसूर-कोडगु निर्वाचन क्षेत्र को महत्वपूर्ण बनाती है.
कथित तौर पर कांग्रेस ने भी वाडियार से संपर्क किया था क्योंकि इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके चाचा श्रीकांत दत्त नरसिम्हराजा वाडियार ने किया था, जो चार बार कांग्रेस के सांसद थे. 1991 के संसदीय चुनावों में जब वह बीजेपी में चले गए तो वह सीट हार गए थे.
मार्च 2015 में यदुवीर गोपाल राज उर्स का नाम बदलकर यदुवीर कृष्ण दत्त चामराजा वाडियार कर दिया गया, जब श्रीकांत दत्त वाडियार की पत्नी महारानी प्रमोदा देवी ने उन्हें अपने बेटे के रूप में गोद लिया था. यदुवीर 700 साल पुराने वाडियार राजवंश के 27वें महाराजा हैं.
वाडियार को प्रताप सिम्हा की जगह टिकट दिया गया है. दिसंबर 2023 में जब संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई थी तब प्रताप सिम्हा को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. वजह थी कि घुसपैठ करने वालों के पास पर उन्हीं के हस्ताक्षर थे.
सिम्हा पहले एक पत्रकार थे और उन्हें 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी द्वारा चुना गया था. उन्हें 2019 में फिर से टिकट मिला था. स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता उनसे नाराज थे क्योंकि वह लोगों से मिलते-जुलते नहीं थे. हालांकि सिम्हा ने सीट पर फिर से अपना दावा पेश करने के लिए एक सांसद के रूप में अपने प्रदर्शन का रिपोर्ट कार्ड पेश किया.
इस बीच प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ और पूर्व प्रधान मंत्री एचडी देवेगौड़ा के दामाद डॉ सी. एन. मंजूनाथ को बेंगलुरु ग्रामीण से टिकट मिला है. यह सीट डीके ब्रदर्स - उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और उनके भाई सांसद डीके सुरेश का गढ़ है. डीके सुरेश को कांग्रेस ने बेंगलुरु ग्रामीण से चुनाव लड़ने के लिए फिर से टिकट दिया है.
जनवरी 2024 में जब मंजूनाथ बेंगलुरु के श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज में 35 साल के लंबे करियर के बाद रिटायर हुए, तो उनके चुनावी राजनीति में उतरने की अटकलें थीं.
लेकिन जिस बात ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है वह यह है कि वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि वह JD(S) के संरक्षक देवेगौड़ा के परिवार से हैं. मंजूनाथ ने मीडिया को बताया कि इसका कारण यह था कि बीजेपी ने उन्हें "एक बड़ा मंच प्रदान किया, जहां कोई भी विचारों को पेश कर सकता है और उन्हें वास्तविकता में बदलने के लिए काम कर सकता है."
मुख्य मुकाबला
उडुपी-चिक्कमगलुरु सीट भी मौजूदा सांसद शोभा करंदलाजे और पूर्व विधायक सीटी रवि के बीच विवाद का कारण बन गई है. विधानसभा चुनावों में हारने के बाद, रवि को कथित तौर पर पार्टी द्वारा दरकिनार कर दिया गया है, जबकि करंदलाजे को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा. जब उन्होंने हाल ही में अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा किया था तो पार्टी कार्यकर्ताओं ने "शोभा वापस जाओ" के नारे लगाए.
ऐसी खबरें थीं कि सूची से बाहर होने वालों में करंदलाजे भी शामिल होंगी. लेकिन पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, जो सत्ता विरोधी लहर का भी सामना कर रहे थे, को हटाकर उन्हें बेंगलुरु उत्तर में स्थानांतरित कर दिया और साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि वोक्कालिगा नाराज न हों. उनके नाम की घोषणा के बाद बेंगलुरु नॉर्थ में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए.
हावेरी में पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने अपने बेटे केई कांतेश के लिए टिकट मांगा था. लेकिन यहां से पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को टिकट दे दिया गया है. कुरुबा समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले परेशान ईश्वरप्पा ने बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा पर "उन्हें धोखा देने" और अनिच्छुक बोम्मई, करंदलाजे और बलराज को टिकट दिलाने का आरोप लगाया.
ईश्वरप्पा ने शुक्रवार, 15 मार्च को अपने समर्थकों की एक बैठक बुलाई है और उनके बेटे के हावेरी से निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावना है.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, येदियुरप्पा ने भी अपनी कोशिशों से चामराजनगर और करंदलाजे से बोम्मई और बलराज को टिकट दिलाने में कामयाबी हासिल की है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष के येदियुरप्पा के साथ राजनीतिक मतभेद सार्वजनिक हैं और उनको टिकट बंटवारे में झटका लगा है. इसकी वजह है कि ईश्वरप्पा और दक्षिण कन्नड़ से हटाए गए सांसद नलिन कुमार कतील उनके समर्थक हैं.
बीदर में केंद्रीय मंत्री भगवंत खुबा की उम्मीदवारी का विरोध हो रहा था. लेकिन बीजेपी नेतृत्व को यहां उनका कोई अच्छा रिप्लेसमेंट नहीं मिला और उसी के अभाव में पार्टी ने एक बार फिर उन्हें टिकट दिया है.
नए चेहरों में दक्षिण कन्नड़ से चुनाव लड़ रहे 43 वर्षीय ब्रिजेश चौटा भी शामिल हैं. उन्होंने 2003 से 2010 तक भारतीय सेना में सेवा की और असम और मणिपुर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे.
चौटा ने एक्स पर लिखा, "मुझे यह अवसर देने के लिए मैं इस मिट्टी का आभारी हूं और एक फौजी के रूप में अपने सभी भाइयों का आभारी हूं जिन्होंने भारत के लिए अपना जीवन लगा दिया. इसलिए शरवु महागणपति और अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेने के बाद घोषणा होने पर मैं जिस पहली जगह पर गया, वह कादरी (दक्षिण कन्नड़) में विजय दिवस युद्ध स्मारक है."
दावणगेरे में, पार्टी ने एक और नया चेहरा गायत्री सिद्धेश्वर को मैदान में उतारा है, जो मौजूदा सांसद जीएम सिद्धेश्वर की पत्नी हैं. जीएम सिद्धेश्व की उम्र अब 71 वर्ष है. यहां, राजनीतिक लड़ाई दो व्यावसायिक परिवारों के बीच रही है - सिद्धेश्वर और अनुभवी कांग्रेस विधायक शामनूर शिवशंकरप्पा. कांग्रेस शिवशंकरप्पा के परिवार की किसी महिला को टिकट दे सकती है.
मैदान में दिग्गजों में छह बार के सांसद रमेश सी जिगाजिनागी शामिल हैं, जिन्होंने चिक्कोडी और बीजापुर से तीन-तीन बार चुनाव लड़ा, और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, जो 2004 से धारवाड़ में सांसद हैं.
बीजेपी ने 2019 में 25 सीटें जीतीं, जो 2004 के बाद से सबसे अधिक सीट थी. 2024 में पार्टी क्लीन स्वीप करना चाहती है. हालांकि, पार्टी के भीतर विद्रोह नेतृत्व के लिए चिंता का कारण है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)