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शरद पवार को फिर से झटका, महाराष्ट्र स्पीकर ने भी अजित पवार गुट को ही 'असली NCP' बताया

चुनाव आयोग ने पिछले हफ्ते कहा था कि अजित पवार गुट ही 'असली एनसीपी' है- उसे पार्टी के नाम (NCP) और चुनाव चिन्ह (घड़ी) पर नियंत्रण मिल गया है

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महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शरद पवार (Sharad Pawar) गुट की सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि अजित पवार (Ajit Pawar) का गुट ही असली 'एनसीपी (NCP)' है. राहुल नार्वेकर ने गुरुवार, 15 फरवरी को चुनाव आयोग के पिछले हफ्ते के आदेश का हवाला दिया, जिसमें उप मुख्यमंत्री अजीत पवार को 'असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी' के नेता के रूप में मान्यता दी गई थी.

नार्वेकर ने एनसीपी के दोनों गुटों द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को भी खारिज कर दिया और कहा कि वे संविधान की 10वीं अनुसूची के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं, जो निर्वाचित विधायकों और सांसदों के दलबदल से संबंधित है.

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स्पीकर ने संविधान की 10 वीं सूची का दिया हवाला

स्पीकर नार्वेकर ने संविधान 10 वीं सूची का हवाला देते हुए कहा, पार्टी की लीडरशिप इस बात पर तय होगी कि विधायक दल किसके पास है और उसके आधार पर ही पार्टी किसकी होगी ये तय हो सकेगा. उन्होंने चुनाव आयोग के आदेश का भी जिक्र किया, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के गुट को 'असली एनसीपी' के रूप में मान्यता दी गयी है और शरद पवार के गुट से पार्टी का नाम और चिन्ह छीन लिया गया.

जिसके बाद शरद पवार की पार्टी का नाम बदलकर 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदचंद्र पवार' कर दिया गया.

उन्होंने कहा, ''मेरा मानना है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP ही असली पार्टी है. अजित पवार के पास 41 विधायकों के साथ विधायी बहुमत है और यह निर्विवाद है.'' नार्वेकर ने आगे कहा, ''अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं.''

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने राहुल नार्वेकर को अजीत पवार के गुट से जुड़े विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के लिए 15 फरवरी तक का समय दिया था.

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चुनाव आयोग का फैसला क्या था? 

चुनाव आयोग ने बीते 6 फरवरी को अजित पवार गुट को असली NCP बताया था. चुनाव आयोग ने 6 महीने तक चली लंबी सुनवाई के बाद पार्टी का नाम 'NCP' और चुनाव चिह्न 'घड़ी' अजित गुट को दे दिया था. चुनाव आयोग ने कहा था कि विधायकों की संख्या के बहुमत ने अजित गुट को असली करार देने में मदद ली.

शरद पवार गुट ने इसे "लोकतंत्र की हत्या" बताया था

पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने कहा, "पूरी दुनिया जानती है कि एनसीपी की स्थापना किसने की. इसके बावजूद चुनाव आयोग ने जो फैसला किया, वह लोकतंत्र की हत्या है."

इसके बाद शरद पवार के गुट ने चुनाव आयोग के आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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