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अजित पवार गुट ही असली NCP, चुनाव आयोग ने सौंपा नाम और चिह्न, शरद पवार को बड़ा झटका

Maharashtra NCP Row: पार्टी छिनने के बाद शरद पवार को कल शाम 4 बजे तक चुनाव आयोग को 3 नाम देने हैं.

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को लेकर चल रहे विवाद में चुनाव आयोग का फैसला आ गया है. चुनाव आयोग ने अजित पवार (Ajit Pawar) गुट को ही असली एनसीपी माना है. आयोग ने 10 से अधिक सुनवाई के बाद अजित पवार को NCP का नाम और चिह्न सौंपा है. वहीं लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार (Sharad Pawar) को बड़ा झटका लगा है.

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चुनाव आयोग ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा?

6 महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने एनसीपी विवाद का निपटारा करते हुए अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया है. पोल पैनल ने कहा कि निर्णय याचिका की स्थिरता के निर्धारित परीक्षणों के बाद लिया गया, जिसमें पार्टी संविधान के लक्ष्यों और उद्देश्यों का परीक्षण, पार्टी संविधान का परीक्षण और संगठनात्मक और विधायी दोनों बहुमत के परीक्षण शामिल थे.

चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को अपने नए राजनीतिक गठन के लिए एक नाम का दावा करने और आयोग को तीन प्राथमिकताएं प्रदान करने का एक बार का विकल्प प्रदान किया है. आयोग ने बुधवार शाम 4 बजे तक 3 नाम देने को कहा है.

चुनाव आयोग के मुताबिक शरद पवार गुट समय पर बहुमत साबित नहीं कर सका, इसके चलते चीजें उनके पक्ष में नहीं गईं. महाराष्ट्र से राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव की समयसीमा को ध्यान में रखते हुए शरद पवार गुट को चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 39AA का पालन करने के लिए विशेष रियायत दी गई हैं. उन्हें 7 फरवरी शाम तक नई पार्टी गठन के लिए तीन नाम देने को कहा गया है.

बता दें कि शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले गुटों के बीच पिछले साल 1 जुलाई को सुनवाई शुरू हुई थी. याचिकाकर्ता की ओर से मुकुल रोहतगी, नीरज किशन कौल और मनिंदर सिंह और प्रतिवादी की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और देवदत्त कामत ने पैरवी की.

क्या बोले अजित पवार?

चुनाव आयोग के फैसले के बाद NCP प्रमुख और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, "चुनाव आयोग ने हमारे वकीलों की दलीलें सुनने के बाद हमारे पक्ष में फैसला सुनाया है. हम इसका विनम्रतापूर्वक स्वागत करते हैं."

वहीं पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा, "हम चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं. किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए चुनाव चिह्न महत्वपूर्ण होता है. हो सकता है कि कल इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट में चुनौती दी जाए. इसमें हमें कुछ कहना नहीं है. हम चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं."

पिछले साल अजित ने की थी बगावत

बता दें कि पिछले साल शरद पवार की नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में फूट पड़ गई थी. शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने 30 विधायकों के संग उनका साथ छोड़ दिया था. इसके बाद वो बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) की अगुवाई वाली सरकार में शामिल हो गए थे. उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया है. इसके साथ ही उनके कई सहियोगियों को कैबिनेट में भी जगह दी गई है.

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