वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी
पंजाब (Punjab) कांग्रेस में महीनों से चली आ रही तनातनी, कैप्टन अमरिंदर सिंह Captain Amarinder Singh) के इस्तीफे के रूप में बाहर आई है. पार्टी आलाकमान की तरफ से पद से हटने के लिए कहे जाने के बाद अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इस्तीफे के बाद कहा कि जिस तरह से बातचीत हुई, इससे वो अपमानित महसूस कर रहे थे.
इस बीच, पार्टी के बागी नेता भी अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सिंह को हटाने की मांग कर रहे थे. 18 सितंबर को, एक तरफ जहां कांग्रेस कमेटी की बैठक हुई, तो वहीं दूसरी तरफ अमरिंदर सिंह ने अपने खेमे के विधायकों के साथ बैठक की.
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राजभवन गेट पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि "मैं कांग्रेस पार्टी में हूं, अपने समर्थकों से परामर्श करूंगा और भविष्य की कार्रवाई तय करूंगा... जिसमें हाईकमान को भरोसा हो उसे बना दें मुख्यमंत्री"
कैप्टन के इस्तीफे के बाद, पंजाब के मुख्यमंत्री पद की कमान किसे मिल सकती है? वो कुछ नाम, जिन्हें लेकर चर्चा जोरों पर है:
नवजोत सिंह सिद्धू
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सिद्धू न केवल सीएम अमरिंदर के साथ अपनी लंबी खींचतान के लिए सुर्खियां बटोर रहे हैं, बल्कि पंजाब चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के साथ बातचीत को लेकर भी चर्चा में रहे हैं.
लेकिन, 2017 में कांग्रेस में शामिल होने से पहले, सिद्धू पहले भी बीजेपी (2004-2016) के साथ रह चुके हैं. उनकी प्रमुख उपलब्धियों में से एक 2018 में करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने में उनकी भूमिका रही है. सिख समुदाय की लंबे समय से ये मांग थी.
कुछ महीनों पहले, मई में सिद्धू के अमरिंदर सिंह की निंदा करने के साथ ही दोनों के बीच विवाद तेज हो गया था. सिद्धू ने आरोप लगाया कि 'बेअदबी' मामले से निपटने और मामले पर सच बोलने पर उनके सहयोगियों को राज्य सरकार धमका रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2017 के चुनावों से पहले जब सिद्धू कांग्रेस में शामिल हुए, तो सिद्धू को लगा था कि राज्य में उनके लिए एक बड़ी भूमिका होगी, लेकिन उन्होंने खुद को कैप्टन के पीछे पाया.
सुनील जाखड़
सिद्धू से पहले, सुनील जाखड़ पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे. वो अबोहर सीट से लगातार तीन बार विधायक चुने गए हैं. वो 2012-2017 के दौरान, पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी थे.
अक्टूबर 2017 में, वो पंजाब के गुरदासपुर से लोकसभा के लिए चुने गए. 2019 में, वो गुरदासपुर से बीजेपी उम्मीदवार और एक्टर सनी देओल से चुनाव हार गए.
सुनील जाखड़ अपनी बातचीत में 'सभ्य' और 'विनम्र' होने के लिए जाने जाते हैं और युद्धरत गुटों के बीच संभावित आम सहमति के उम्मीदवार हो सकते हैं.
प्रताप सिंह बाजवा
बाजवा भी पहले पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष थें. उन्होंने पंजाब (2009-2014) में गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए लोकसभा सांसद के रूप में भी काम किया है.
वह वर्तमान में प्रताप सिंह बाजवा पंजाब से राज्यसभा के सदस्य हैं. बाजवा कभी कैप्टन अमरिंदर के एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में जाने जाते थे. लेकिन कहा जाता है कि दोनों ने इस साल की शुरुआत में आपसी लड़ाई को दफन कर दिया था.
अंबिका सोनी
वर्तमान में सांसद अंबिका सोनी ने मनमोहन सिंह की सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में काम किया है. इससे पहले वो पर्यटन मंत्री और संस्कृति मंत्री थीं.
अंबिका सोनी इससे पहले भारतीय युवा कांग्रेस और अखिल भारतीय महिला कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुकी हैं. साल 1999 से 2006 के बीच वो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव थीं.
राज कुमार वेरका
राज कुमार वेरका अमृतसर पश्चिम से विधायक हैं और कैप्टन अमरिंदर सिंह के वफादार रहे हैं. वह पंजाब कांग्रेस के जाने-माने दलित चेहरा हैं. वेरका विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के बाद वह पहली बार 2002 में विधायक चुने गए थें. वेरका पूर्व में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष भी थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)