रामपुरहाट के नंबर एक ब्लॉक से तृणमूल कांग्रेस (TMC) के अध्यक्ष अनारुल हुसैन (Anarul Hossain) को शुक्रवार 25 मार्च को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का दावा करने के बाद रामपुरहाट अनुमंडल अदालत में पेश किया गया.
गुरुवार, 24 मार्च को इस नेता को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोगटुई गांव में भीषण हत्याओं, आगजनी, घातक हथियारों से दंगा, आपराधिक साजिश, अन्य के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी की बीरभूम की यात्रा और उनकी अपील ने पुलिस को क्षेत्र में ब्लॉक अध्यक्ष को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था.
इस घटना में 22 मार्च को कम से कम आठ लोगों की हत्या के बाद, बदमाशों ने कई घरों को आग लगा दिया था. पीड़ितों के परिजनों ने हुसैन पर इलाके में अशांति की आशंकाओं को खारिज करने का आरोप लगाया.
कौन है हुसैन ?
हुसैन स्थानीय नेता है, जो केवल 22 साल का है. ये रामपुरहाट के पास संधिपुर इलाके के रहने वाले हैं, जहां उसने स्थानीय राजनीति में प्रवेश करने से पहले एक राजमिस्त्री के रूप में काम किया था. स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, वो पहले कांग्रेस का समर्थक था और धीरे-धीरे ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी की ओर झुक गया. एक कुशल आयोजक की प्रतिष्ठा हासिल करने के बाद, हुसैन ने कथित तौर पर रामपुरहाट के विधायक और पूर्व राज्य मंत्री आशीष बंद्योपाध्याय के सहयोगी का पद ग्रहण किया.
इस हफ्ते की शुरुआत में, सोना शेख, मिहिलाल शेख, फाटिक शेख, और बनिरुल शेखन के घरों में आग लगा दी गई. ये कथित तौर पर दिवंगत टीएमसी नेता भादु शेख के दूर के रिश्तेदार हैं. पुलिस को शक है कि 21 मार्च को शेख की कथित हत्या के बदले के रूप में आग लगा दी गई थी.
भादु शेख एक टीएमसी नेता थे, जिन्हें बरशाल ग्राम पंचायत के सदस्य के रूप में चुना गया था और 2018 में निर्विरोध उप प्रमुख बनाया गया था. बोगतुई गांव, जहां नरसंहार हुआ था, हुसैन के संगठनात्मक क्षेत्र के अंतर्गत स्थित था. स्थानीय लोगों और मारे गए लोगों के रिश्तेदारों के अनुसार, हुसैन क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ निकट संपर्क में था.
मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है और अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी हिंसा की घटना को लेकर राज्य प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)