बात साल 1994 की है. केंद्र में नरसिम्हा राव की गठबंधन सरकार थी. वरिष्ठ बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी लोकसभा में विपक्ष की सशक्त अवाज थे. 17 अगस्त के दिन उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान से नवाजा गया. उस मौके पर वाजपेयी ने सदन में एक भावुक भाषण दिया.
आजकल मौजूदा प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को जब-जब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर जुबानी हमला करते देखता हूं तो अटल जी का वो भाषण याद आता है.
साल 1957 में वाजपेयी पहली बार लोकसभा सांसद के तौर पर चुने गये. उस वक्त पंडित नेहरू प्रधानमंत्री भी थे और सदन के नेता भी. उन्हीं दिनों के एक किस्से का जिक्र करते हुए वाजपेयी कहते हैं:
उस वक्त कहे गए पंडित नेहरू के शब्दों को बताते हुए वाजपेयी कहते हैं:
साल 2018 का बजट सत्र याद कीजिए. काम के घंटों के लिहाज से ये बजट सत्र साल 2000 के बाद से अब तक यह सबसे खराब बजट सत्र रहा। दो हिस्सों में 45 दिन चले सत्र में लोकसभा में सिर्फ 34 घंटे और राज्यसभा में कुल 53 घंटे काम हुआ. पूरे सत्र में सिर्फ दो बिल पास हुए और दर्जनों पर चर्चा तक नहीं हो पाई.
सदन चलाना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन वो विपक्ष पर ही ठीकरा फोड़ती रही. तो बीजेपी की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार को अपने सबसे वरिष्ठ नेता वाजपेयी जी के उसी भाषण का ये हिस्सा भी सुनना चाहिए:
मौजूदा वक्त में जब सरकार विपक्ष से तालमेल के बजाए दो-दो हाथ करने पर आमादा रहती हो और सोशल मीडिया के सैनिक असहयोग को बगावत का सर्टिफिकेट देते हों तब वाजपेयी जी का ये भाषण बार-बार सुनने और पढ़े जाने की जरूरत है.
ताजा अपडेट के लिए क्लिक करें : अटल बिहारी वाजपेयी की सेहत में सुधार,कुछ दिन और रहेंगे अस्पताल में
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)