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Azam Khan 27 महीने बाद रिहा, जेल जाने से लेकर अब तक उनके लिए क्या-क्या बदला?

आजम खान ने 26 फरवरी 2020 को अपनी पत्नी और बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ रामपुर की अदालत में आत्मसमर्पण किया था.

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10 बार विधानसभा चुनाव जीते, दो बार सांसद बने और कई बार उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे आजम खान (Azam Khan) आखिरकार 27 महीने बाद जेल से रिहा हो चुके हैं. भैंस चोरी से लेकर जमीन हड़पने जैसे 88 केस का सामना करने वाले समाजवादी पार्टी नेता आजम खान को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा, तब जाकर जमानत मिली है.

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में या कहें समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम नेता आजम खान ने 26 फरवरी 2020 को अपनी पत्नी तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ रामपुर की अदालत में आत्मसमर्पण किया था. जिसके बाद से वो जेल में थे. आइए आपको बताते हैं कि आजम खान किस मामले में जेल गए थे और उनके खिलाफ कितने केस दर्ज किए गए थे.

आजम खान को क्यों जाना पड़ा था जेल?

समाजवादी पार्टी के रामपुर विधायक आजम खान पर 88 आपराधिक शिकायतें दर्ज हैं. आजम खान परिवार पर दस्तावेजों में हेराफेरी करके फर्जी पैन कार्ड और पासपोर्ट बनवाने को लेकर साल 2019 में मुकदमा दर्ज हुआ था. आरोप था कि आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने अपनी उम्र छिपाने के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र दिया था.

बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने जनवरी, 2019 में अब्दुल्ला पर धोखाधड़ी से दो जन्म प्रमाण पत्र बनाने का आरोप लगाया था. आजम खान और उनकी पत्नी पर इसके लिए शपथपत्र देकर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था. इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अप्रैल, 2019 में चार्जशीट दाखिल की थी. आजम खान पर आरोप था कि वो इस मामले में अदालत के बार-बार बुलाने के बावजूद हाजिर नहीं हो रहे थे. जिसके बाद कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था. 26 फरवरी 2020 तीनों ने अदालत में आत्मसमर्पण किया और जमानत मांगी लेकिन, अदालत ने उन्हें रामपुर की जिला जेल भेज दिया. तब से लेकर अबतक आजम खान पर एक के बाद कई केसों में आजम खान का नाम जुड़ता गया.

आजम खान पर कैसे-कैसे आरोप?

आजम खान के परिवार पर बकरी चोरी, बिजली चोरी, वक्फ की जमीन हड़पने जैसे मुकदमे दर्ज हैं.

आजम खान के खिलाफ ज्यादातर मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 120B, 323, 342, 386, 500 (मानहानि), 153 (ए) (धार्मिक आधार पर विभिन्न समूहों के बीच घृणा को बढ़ावा देना), 509 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना) से संबंधित हैं. साथ ही आजम खान पर धारा 171 G (चुनाव के सिलसिले में झूठा बयान) देने से जुड़े मामले में भी केस दर्ज किया गया था.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल ही में जमीन हड़पने के एक मामले में आजम खान की जमानत अर्जी पर फैसला लेने में देरी पर असंतोष जताया था. सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ये एक ट्रेंड बन गया है. एक ही आदमी पर 89 मुकदमे दर्ज हुए हैं. जब जमानत मिलती है, एक नया केस आ जाता है. ये कैसे हो रहा है?

आजम खान के खिलाफ कौन-कौन से बड़े आरोप

वहीं एक और बड़ा मामला देखें तो आजम के खिलाफ वक्फ बोर्ड की जमीन गलत तरीके से अपने पक्ष में कराने के मामले में साल 2019 में केस दर्ज हुआ था. हालांकि इस मामले में पांच मई को सुनवाई हुई थी, तब अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. हालांकि 10 मई को इस मामले में उनको जमानत मिल गई थी.

एक केस तीन स्कूलों की फर्जी कागजात या कहें गलत तरीके से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देने से जुड़ा है. साथ ही केस दर्ज कराने वाले अधिकारी को धमकाने का भी मामला था. बता दें कि बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने आजम खान के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि आजम खान ने रामपुर पब्लिक स्कूल की बिल्डिंग का सर्टिफिकेट फर्जी बनवा कर मान्यता प्राप्त की थी.

आजम के जेल में रहते राजनीति में क्या बदला?

आजम खान ही नहीं उनके बेटे और समाजवादी पार्टी के विधायक अब्दुल्ला आजम खान भी कई महीनों जेल में रहे. वहीं उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले अब्दुल्ला आजम जेल से बाहर आए. अब्दुल्ला आजम पर भी करीब 43 मुकदमें दर्ज हैं.

जेल में रहते हुए आजम खान ने रामपुर से 60 हजार से ज्यादा वोटों से विधानसभा चुनाव जीत लिया. यही नहीं रामपुर जिले की 5 में से 3 पर आजम का दबदबा दिखा और समाजवादी उम्मीदवार चुनाव जीत गए. अब्दुल्ला आजम ने भी चुनाव जीता.

आजम खान भले ही जेल में हों लेकिन अखिलेश यादव भी उनकी ताकत को पहचानते हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी के सूत्र बताते हैं कि आजम खान ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने और अपने साथियों के लिए 16 टिकट की मांग की थी, जिसे अखिलेश यादव ने माना था.

किसके आजम?

आजम खान उत्तर प्रदेश की राजनीति में हॉट केक हमेशा बने रहते हैं. समाजवादी पार्टी में यादव परिवार के बाद सबसे बड़े नेता के रूप में पहचाने जाने वाले आजम खान को इस वक्त अलग-अलग पार्टियों का साथ मिल रहा है.

करीब 20 प्रतिशत मुस्लिम वोटों पर नजर जमाई पार्टियां और नेता आजम खान के समर्थन में बयान दे रहे हैं. अखिलेश यादव के नाराज चाचा शिवपाल यादव हों या फिर बीएसपी अध्यक्ष मायावती. सब ये बताने में जुटे हैं कि अखिलेश ने आजम का साथ नहीं दिया.

वहीं आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत खान शानू ने तो ये तक कह दिया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सही कहा था कि अखिलेश नहीं चाहते कि आजम खान जेल से बाहर आएं.

खबर आने लगी कि आजम खान इस बात से नाराज हैं कि सिवाय एक बार के अखिलेश उनसे सीतापुर जेल में मिलने नहीं गए, जहां वह फरवरी 2020 से बंद हैं. फिर क्या था समाजवादी कुनबा बताने लगा कि नहीं नहीं अखिलेश से आजम नाराज नहीं हैं, सब साथ हैं. अब अखिलेश यादव ने भले ही आजम खान के जेल से निकलने पर ट्विट कर स्वागत किया हो, लेकिन शिवपाल दो कदम आगे बढ़कर आजम खान को लेने सीतापुर जेल के बाहर पहुंच गए. ऐसे में सवाल बना हुआ कि आजम किसके हैं और कौन आजम का?

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