Bihar Politics: नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) की यारी के बाद बिहार में सत्ता से बाहर हो चुकी बीजेपी संगठनात्मक स्तर पर बड़ा बदलाव करने जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दशहरा के तुरंत बाद अब संजय जायसवाल की जगह नए प्रदेशाध्यक्ष की घोषणा की जा सकती है. बता दें कि बीजेपी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू के NDA गठबंधन से बाहर निकलने के बाद अपने दम पर लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार की 40 में से 35 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है.
आइए ऐसे में जानते हैं कि इस अहम फेरबदल में बीजेपी ने किन नेताओं का नाम प्रदेशाध्यक्ष की रेस में सबसे आगे चल रहा है. साथ ही यह भी जानने कि कोशिश करते हैं कि बीजेपी बिहार में अपने नए मुखिया के चुनाव में किन जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश कर रही है.
बीजेपी को RJD प्रमुख लालू यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नई जोड़ी से मुकाबला करने के लिए प्रदेश में कुशल नेतृत्व की जरूरत है. 14 सितंबर को ही अपना कार्यकाल पूरा कर चुके प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल के बाद माना जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान को बिहार में ऐसे चेहरे की तलाश है जिसमें अनुभव और नीतीश सरकार के खिलाफ मुखरता से विरोध रखने की कूवत हो.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीजेपी सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार और लालू यादव की धुरी के सामने किसी अति पिछड़ा वर्ग के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती है.
बता दें कि बिहार में सत्ता हाथ से निकलने के बाद दिल्ली में बीजेपी कोर कमेटी की एक बैठक हुई थी जिसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह समेत बिहार के कई बड़े नेता मौजूद रहे. इसी बैठक में 2024 के आम चुनाव के लिए बिहार की 40 में से 35 लोकसभा सीटों पर अपने दम पर बीजेपी उम्मीदवारों की जीत का लक्ष्य रखा गया था. और इसी उद्देश्य के लिए पार्टी संगठन को मजबूत करने और सांगठनिक स्तर पर बड़े बदलाव करने पर सहमति बनी.
बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष- किसका नाम सबसे आगे?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस रेस में संजीव चौरसिया का नाम सबसे आगे है क्योंकि वे एक साथ कई पैमाने पर बीजेपी के लिए इस नए रोल में फिट बैठते हैं. पिछले दो बार से पटना के दीघा से विधायक संजीव चौरसिया का परिवार बीजेपी के लिए पुराना वफादार माना जाता है. संजीव चौरसिया के पिता गंगा प्रसाद चौरसिया भी पुराने भाजपाई रहे हैं और अभी सिक्किम के राज्यपाल भी हैं. अगर मौजूदा पार्टी संगठन में संजीव चौरसिया के रोल की बात करें तो वे प्रदेश महामंत्री के पद पर हैं.
संजीव चौरसिया अति पिछड़ा वर्ग के जुझारू नेता माने जाते हैं और लो-प्रोफाइल होने के बावजूद पार्टी में केंद्रीय स्तर के नेताओं से इनका सीधा संपर्क भी है.
इसके अलावा अति पिछड़ा वर्ग से ही आने वाले प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता भी चर्चा में हैं. इसी वर्ग से आने वाले मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद और अररिया के सांसद प्रदीप सिंह का नाम भी दौड़ में शामिल है. याद रहे कि हाल ही में सीमांचल में हुई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जनभावना रैली के बाद प्रदीप सिंह चर्चा में आए हैं. वे भी अति पिछड़ा जाति से आते हैं. सीमांचल की 4 लोकसभा सीट में बीजेपी के पास फिलहाल मात्र एक ही सीट है- अररिया कि जहां से प्रदीप सिंह सांसद हैं.
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