ADVERTISEMENTREMOVE AD

नीतीश आखिर क्या चाहते हैं? केंद्र की फसल बीमा योजना को किया खारिज

कभी नोटबंदी तो कभी गठबंधन पर रार, पिछले कुछ दिनों से नीतीश बीजेपी की कई नीतियों से कुछ खास खुश नजर नहीं आ रहे हैं

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कभी नोटबंदी तो कभी गठबंधन पर रार, पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार बीजेपी की कई नीतियों से कुछ खास खुश नजर नहीं आ रहे हैं. अब नीतीश ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को हटाकर बिहार में राज्य सरकार की स्कीम को लागू कर दिया है.

मंगलवार को राज्य कैबिनेट ने 'बिहार राज्य फसल सहायता योजना' को हरी झंडी दे दी है, इसी के साथ केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना को राज्य में खारिज कर दिया गया है. नीतीश सरकार की नई योजना में किसानों को कोई प्रीमियम नहीं भरना होगा, प्राकृतिक आपदा के कारण फसल खराब होने पर उन्हें मुआवजा दिया जाएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सहकारी विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अतुल प्रसाद इसे इंश्योरेंस स्कीम नहीं असिस्टेंस स्कीम बताते हैं, उन्होंने कहा कि इससे पहले वाली इंश्योरेंस स्कीम से किसानों से ज्यादा इंश्योरेंस कंपनियों को फायदा होता था. उन्होंने कहा कि ये बीमा योजना रैयत और गैर रैयत दोनों तरह के किसानों के लिए है.

प्रसाद ने बताया कि पुराने इंश्योरेंस स्कीम के तहत, 2016 में खरीफ फसल के दौरान केंद्र और राज्य सरकार ने 495-495 करोड़ का प्रीमियम भरा था, किसानों से भी 2 फीसदी प्रीमियम लिए गए लेकिन राज्य में फसल बर्बाद होने पर इंश्योरेंस कंपनियों ने सिर्फ 221 करोड़ रुपये ही दिए. यहां तक की राज्य सरकार को अपना प्रीमियम वापस भी नहीं मिला.

2019 चुनाव से पहले क्या चाहते हैं नीतीश कुमार?

नीतीश कुमार एक के बाद एक ऐसे फैसले ले रहे हैं या संकेत दे रहे हैं जिससे एनडीए के खिलाफ उनकी नाराजगी जाहिर होती है. 19 अगस्त 2017 को लालू यादव की आरजेडी से नाता तोड़कर एनडीए में शामिल हुई थी जेडीयू, 3 सितंबर 2017 को हुए कैबिनेट के तीसरे विस्तार में पार्टी को जगह नहीं मिली थी.

तब नाराजगी की बात तो सामने नहीं आई, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह नीतीश कुमार ने नोटबंदी पर सवाल उठाकर न केवल अपनी सहयोगी बीजेपी को चौंकाया, बल्कि अपनी पार्टी के नेताओं को भी हैरत में डाल दिया. बिहार के सीएम ने बैंक अधिकारियों के साथ एक मीटिंग में कहा था:

“मैं नोटबंदी का समर्थक रहा हूं, लेकिन कितने लोगों को इसका फायदा मिला? कुछ शक्तिशाली लोगों ने अपना पैसा एक जगह से दूसरी जगह पर कर लिया.”

ऐसे में अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को खारिज करना अगली कड़ी ही माना जा रहा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×