बिहार विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के एनडीए से अलग चुनाव लड़ने के फैसले पर बीजेपी के साथ "अच्छी तरह से चर्चा" की गई थी, यह बात चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने कही है.
द इंडियन एक्स्प्रेस को दिए इंटरव्यू में चिराग पासवान ने कहा कि उनका अभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में विश्वास है, लेकिन एलजेपी "विकल्पों को देखने के लिए मजबूर" होगी अगर यह विश्वास "एकतरफा" साबित होगा.
दरअसल, चाचा पशुपति पारस और चिराग पासवान के झगड़े से राम विलास पासवान की एलजेपी में फूट पड़ चुकी है. अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने और नीतीश कुमार की जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के फैसले को एलजेपी सांसद और चिराग के चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व वाले विद्रोही गुट ने गलत फैसला बताया था. चिराग का ये फैसला भी पार्टी में टूट की एक बड़ी वजह मानी जा रही है.
बिहार चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने के अपने फैसले का बचाव करते हुए चिराग ने कहा कि बीजेपी इस चर्चा में शामिल थी. चिराग ने कहा,
“उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष, गृह मंत्री और राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष जी एक बैठक में थे, और यह स्पष्ट रूप से तय था कि मेरे लिए सिर्फ 15 सीटों पर चुनाव लड़ना संभव नहीं है और जब मेरे एजेंडे को आने वाली सरकार में कोई महत्व नहीं दिया जाएगा तो मैं इस तरह के गठबंधन का हिस्सा क्यों बनूं? लेकिन चूंकि मेरा गठबंधन 2014 से बीजेपी के साथ था, मेरी पार्टी ने फैसला किया कि हमें बीजेपी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाहिए.”चिराग पासवान
यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी ने अकेले लड़ने के फैसले का समर्थन किया, मुख्यतः जेडीयू द्वारा लड़ी गई सीटों पर, उन्होंने कहा,
“हां, बिल्कुल ... उनके साथ इस पर अच्छी तरह से चर्चा हुई. मैंने उनसे साफ कह दिया कि मेरा गठबंधन आपके साथ है. मुझे अब भी हमारे प्रधानमंत्री पर विश्वास है और मुझे बहुत उम्मीद है. और यह भी उन्हें पहले ही बता दिया गया था कि मैं छह सीटों को छोड़कर आपके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारूंगा. दो सीटों पर एलजेपी के विधायक थे और हमें उन छह सीटों पर चुनाव लड़ना था.चिराग पासवान
"अगर सभी सीटों पर लड़ता तो बीजेपी को होता नुकसान"
चिराग पासवान ने कहा कि अगर उन्होंने सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा होता, तो "अलग सरकार" होती.
“जब मैं कहता हूं कि मुझे 6 फीसदी वोट मिले, तो यह सिर्फ 135 सीटों पर चुनाव लड़ने की वजह से हुआ. अगर मैं सभी 243 पर चुनाव लड़ता, तो मुझे 10 प्रतिशत से अधिक वोट मिलते और इससे बीजेपी को भी नुकसान होता. छह सीटों पर, जहां हम और बीजेपी दोनों लड़े, बीजेपी दो पर हार गई. अगर मैंने उन सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं दिए होते तो वे जीत जाते. अगर मैं चुनाव लड़ता तो इससे नुकसान होता और आज राज्य में दूसरी सरकार होती.”चिराग पासवान
क्या तेजस्वी यादव से मिलाएंगे हाथ?
यह पूछे जाने पर कि क्या नीतीश कुमार के खिलाफ तेजस्वी यादव और आरजेडी के साथ गठजोड़ संभव है, तो पासवान ने कहा, "आप राजनीति में कभी भी ‘नहीं’ नहीं कह सकते. इतना कहने के बाद भी अब तक मुझे अपने प्रधानमंत्री पर भरोसा है, जिनका हमने पूरे समय समर्थन किया है. लेकिन हां, मैं इस विश्वास को एकतरफा नहीं रख सकता. अगर बीजेपी मुझे एक कोने में धकेलती रहती है... तो हां, यह पार्टी पर निर्भर करेगा कि वो विकल्प तय करे और तय करे कि आगे क्या होना चाहिए. पार्टी फैसला करेगी."
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