बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के नेताओं में घमासान जारी है. कुल 6 में से 5 सांसदों की बगावत के बाद चिराग पासवान (Chirag Paswan) को लोकसभा में पार्टी नेता और अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया. जिसे अब चिराग पासवान ने चुनौती दी है. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि पशुपति पारस को लोकसभा में एलजेपी का नेता चुनने की प्रक्रिया हमारी पार्टी के संविधान के खिलाफ है. चिराग ने स्पीकर से अपील करते हुए कहा है कि वो उनके नाम का नया सर्कुलर जारी करें.
'काफी पहले से पार्टी को तोड़ने की कोशिश'
इसके अलावा चिराग पासवान ने अब खुलकर अपने चाचा के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है. उन्होंने चिट्ठी पोस्ट करने के बाद अब मीडिया के सामने आकर कहा है कि पार्टी को तोड़ने की कोशिश काफी पहले से की जा रही थी. उन्होंने कहा,
“जब मेरे पिता जी हॉस्पिटल में थे तो कुछ लोगों ने पार्टी को तोड़ने की कोशिश की थी. इसके बाद मेरे पिता ने पार्टी नेताओं से इसे लेकर बातचीत की, जिसमें मेरे चाचा पशुपति पारस भी शामिल थे. लेकिन कुछ लोग उस संघर्ष से नहीं गुजरना चाहते थे, जिससे हम गुजरे थे.”
मेरे पीठ पीछे रचा गया षडयंत्र- चिराग
चिराग पासवान ने कहा कि, बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी, उसके बाद भी कुछ लोगों ने और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने हमारी पार्टी को तोड़ने की लगातार कोशिश की है. मेरी पार्टी के पूरे समर्थन के साथ मैने चुनाव लड़ा. कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए तैयार नहीं थे. मेरे चाचा ने खुद चुनाव प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई. मेरी पार्टी के कई और सांसद अपने व्यक्तिगत चुनाव में व्यस्त थे.
चिराग ने कहा कि, दुख मुझे इस बात का है कि जब मैं बीमार था, उस समय मेरे पीठ पीछे जिस तरह से ये पूरा षड्यंत्र रचा गया. मैंने चुनाव के बाद अपने चाचा से संपर्क करने का, उनसे बात करने की लगातार कोशिश की.
क्या LJP अध्यक्ष पद से हटेंगे चिराग पासवान?
बता दें कि चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस को ही सांसदों ने अपना नेता चुन लिया. जिसके बाद ऐलान हुआ कि चिराग पासवान को उनकी ही पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. लेकिन चिराग पासवान के समर्थक नेताओं ने सामने आकर बताया कि, पार्टी ने पांचों सांसदों को निष्काषित कर दिया है. साथ ही बताया कि चिराग पासवान को अध्यक्ष पद से ऐसे नहीं हटाया जा सकता है. एलजेपी के प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने कहा,
‘’पार्टी संविधान स्पष्ट कहता है कि अध्यक्ष स्वेच्छा से या उसके निधन के बाद ही अध्यक्ष पद से हट सकता है. उन्होंने कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मंगलवार को पांच सांसदों को पार्टी से निकाल दिया गया है. बैठक में कम से कम कार्यकारिणी के 35 से ज्यादा सदस्यों की संख्या की जरूरी थी जबकि बैठक में 40 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया. ‘’
भले ही पशुपति पारस ने एलजेपी के सांसदों को अपने पक्ष में कर लिया हो, लेकिन बताया जा रहा है कि, पारस गुट अब तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों और अन्य पदाधिकारियों के समर्थन जुटाने में असफल रहा है. राजनीतिक जानकारों का भी कहना है कि चिराग पासवान को अध्यक्ष पद से हटाना आसान नहीं है.
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