बिहार (Bihar) में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार 94 लाख परिवारों को दो-दो लाख रुपये देगी. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस पर काम शुरू हो गया है और इसकी पहली किश्त लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जारी कर दी जाएगी. जानकार इसे नीतीश-तेजस्वी सरकार का लोकसभा चुनाव से पहले "मास्टर स्ट्रोक" बता रहे हैं. अब सवाल है कि ऐसा क्यों हैं? ये राशि किसे, कैसे और कब तक मिलेगी? आइये इन सवालों का जवाब देते हैं.
कैबिनेट ने क्या फैसला लिया और क्यों?
कैबिनेट की मंगलवार (16 जनवरी) को पटना में हुई बैठक में फैसला लिया गया कि राज्य सरकार 94 लाख परिवारों को "बिहार लघु उद्यमी योजना" के तहत दो-दो लाख रुपये देगी. इस योजना के तहत सरकार गरीब परिवारों को रोजगार के लिए आर्थिक मदद करना चाहती है. इसका लाभ सामान्य, ओबीसी, ईबीसी, एससी, एसटी समेत सभी वर्गों को मिलेगा यानी किसी विशेष वर्ग के लिए योजना नहीं लाई गई है.
दरअसल, बिहार में कुछ महीने पूर्व नीतीश-तेजस्वी सरकार द्वारा कराए गए जातीय आधारित गणना के नतीजे सामने आए थे, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने ऐलान किया था कि राज्य के सारे गरीबों को दो-दो लाख रुपये की मदद की जाएगी.
कैसे मिलेगा पैसा?
"बिहार लघु उद्यमी योजना" के तहत सरकार ने आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आवेदन के बाद लॉटरी सिस्टम के जरिए उन लोगों का चयन किया जाएगा, जिन्हें पैसा मिलना है.
जानकारी के अनुसार, किसी को भी एक साथ दो लाख रुपये नहीं मिलेगा. सरकार तीन किश्तों में पैसे जारी करेगी.
पहली किश्त में 25 फीसदी, दूसरे में 50 फीसदी और तीसरे में 25 फीसदी राशि जारी की जाएगी यानी पहले चरण में पचास हजार, दूसरे में एक लाख और तीसरे में पचास हजार रुपये मिलेंगे. खास बात यह है कि योजना का लाभ पांच वर्षों में पूरा होगा.
जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में आर्थिक रूप से कमजोर 94 लाख 32 हजार 312 गरीब परिवार हैं. राज्य सरकार अपनी योजना के तहत हर गरीब परिवार के कम से कम एक सदस्य की नौकरी के लिए पांच साल में दो लाख की आर्थिक मदद करेगी, जिससे वो अपना कोई लघु उद्योग लगा सकें. इससे प्रदेश में बेरोजगारी दर में भी कम आएगी.
सरकार का कितना खर्च आएगा?
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पंच वर्षीय योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 250 करोड़ रुपये खर्च होंगे जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए एक हजार करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी गई है. कुल मिलाकर देखें तो दो साल में एक हजार दो सौ पचास करोड़ रुपये की राशि खर्च करने की मंजूरी कैबिनेट ने दी है. क्योंकि 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में उसके आगे की राशि अभी स्वीकृति नहीं की गई है.
योजना का लाभ पाने के लिए क्या मापदंड है?
जानकारी के अनुसार, बिहार सरकार पांच वर्ष में बारी-बारी से सभी परिवारों को अनुदान राशि देगी और हर परिवार से किसी एक व्यक्ति को पैसा मिलेगा. लेकिन किसे मिलना है, उसका चयन लॉटरी आवेदन मिलने के बाद ही होगा.
इस योजना की विशेषता यह है कि इसका लाभ उसी परिवार को मिलेगा, जिसकी मासिक आय छह हजार रुपये या इससे कम है.
योजना के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. आवेदन करने वाले की उम्र 18 से 50 साल के बीच की हो और उसका बिहार का निवासी होना अनिवार्य है. आवेदक के आधार कार्ड पर बिहार का पता होना चाहिए. लाभ किसे मिलना है, इसका चयन रैंडमाइजेशन के जरिए कंप्यूटर करेगा, और उस साल के निर्धारित लक्ष्य के अनुसार लाभार्थी का चयन होगा.
हर परिवार की परिभाषा में पति,पत्नी और अविवाहित बच्चे शामिल होंगे. सरकार योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य अनुश्रवण समिति का गठन करेगी, जिसमें प्रदेश और जिला स्तर के अधिकारी रहेंगे.
62 प्रकार के उद्योगों का चयन
राज्य सरकार ने इस योजना के तहत आटा, सत्तू, मसाला उत्पादन, नूडल्स, पापड़,मोमबत्ती उत्पादन से लेकर बिजली पंखा एसेंबलिंग, इनवर्टर, यूपीएस, सीसीटीवी एसैंबलिंग जैसे करीब 62 ऐसे उद्योगों को चिह्नित किया है, जिसके लिए राशि दी जाएगी.
किस जाति समूह को कितना लाभ?
कैबिनेट सचिवालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने कहा कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न वर्ग के गरीबों में सामान्य वर्ग के 10 लाख 85 हजार 913 परिवार ( 25.09 फीसदी), ईबीसी के 33 लाख 19 हजार 509 (33.58 प्रतिशत), पिछड़ा वर्ग के 24 लाख 77 हजार 970 (33.16 प्रतिशत), एससी के 23 लाख 49 हजार 111 (42.93 प्रतिशत) और एसटी के 2 लाख 809 (42.70 प्रतिशत) परिवार शामिल हैं.
योजना को क्यों कहा जा रहा 'मास्टर स्ट्रोक'?
दरअसल, लोकसभा चुनाव के पहले बिहार सरकार लगातार रोजगार और नौकरी पर जोर दे रही है. इंडिया टु़डे की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार नवंबर 2023 से जनवरी 2024 तक लगभग सवा दो लाख नव नियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देने वाला देश में पहला राज्य बन गया है.
बिहार सरकार ने 2 नवंबर 2023 को एक लाख 12 हजार नव नियुक्त शिक्षकों को पूरे बिहार में एक दिन में नियुक्ति पत्र दिया था. इसके बाद 13 जनवरी 2024 को बीपीएससी से अनुशंसित 96 हजार 823 शिक्षकों को एक दिन में नियुक्ति पत्र दिया गया.
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव लगातार नौकरी और रोजगार को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमलावर हैं. उनका दावा है कि बिहार की महागठबंधन सरकार लगातार युवाओं, गरीबों, किसानों और महिलाओं के लिए काम कर रही है. तेजस्वी यादव कई बार कह चुके हैं कि उनकी सरकार अपने वादे के अनुरूप लगातार युवाओं को नौकरी और नियुक्ति पत्र बांट रही है.
इससे पहले राज्य सरकार ने पिछले दिनों "बिहार आईटी पॉलिसी 2024" को मंजूरी दी थी, जिसके अंतर्गत अंतर्गत 𝐈𝐓 क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों, निवेशकों व रोजगार प्रदाताओं को न्यूनतम 𝟓 से 𝟑𝟎 करोड़ रुपये निवेश करने पर 𝟑𝟎% का पूंजी निवेश सब्सिडी सरकार देगी.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो, बिहार सरकार की ये योजनाएं लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को लाभ पहुंचा सकती है. नीतीश कुमार महिलाओं के लिए पहले से ही तमाम योजनाएं चला रहे हैं, मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना के तहत किसानों को 70 पैसे में बिजली दी जा रही, छात्रों को प्रोत्साहन राशि मिल रही है और अब रोजगार के लिए दो लाख की आर्थिक मदद वाकई में "मास्टर स्ट्रोक" साबित हो सकती है.
जानकारों का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह केंद्र सरकार ने 6 हजार "किसान सम्मान निधि" के नाम पर और 2023 में एमपी चुनाव से पहले शिवराज सरकार ने "लाड़ली बहना योजना" के तहत महिलाओं को हर माह 1250 रुपये दिये, उससे उन्हें चुनाव में फायदा हुआ, और अब ऐसा ही लाभ नीतीश-तेजस्वी सरकार को भी चुनाव में मिल सकता है.
इसके अलावा, खास बात यह है कि इस योजना का ज्यादातर लाभान्वित लोग ग्रामीण क्षेत्र के होंगे, जहां पर आरजेडी और जेडीयू की जड़ें मजबूत हैं. ऐसे में इस योजना के तहत उन्हें चुनाव में लाभ मिलने की उम्मीद ज्यादा है.
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