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बिहार के नेताओं को घेरेंगी केंद्रीय एजेंसियां? तेजस्वी समेत इनपर चल रहे केस

JDU-RJD Alliance: बिहार के कौन से नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं?

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बिहार में महागठबंधन की सरकार ने आकार ले लिया है. सीएम की कुर्सी नीतीश कुमार के पास है और डिप्टी सीएम बने हैं तेजस्वी यादव. नीतीश कुमार ने BJP से अलग होकर महागठबंधन की राह चुन तो ली है, लेकिन इस राह में उनके लिए कई रोड़े आने वाले हैं? बीजेपी नेता सुशील मोदी ने तो नीतीश-तेजस्वी की शपथ के दिन ही कह दिया कि तेजस्वी के खिलाफ इतने सबूत हैं कि वो जेल जा सकते हैं. बीजेपी ने नीतीश के अलग होने को विश्वासघात बताया है और आशंका जताई जा रही है कि अब बिहार के गैर बीजेपी नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा कस सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं बिहार के किन नेताओं के खिलाफ केस हैं.

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इन मामलों में ED-CBI कर सकती है पूछताछ

स्नैपशॉट
  • सृजन घोटाले में CBI नीतीश कुमार सरकार में शामिल रहे कई वरिष्ठों से पूछताछ कर सकती है.

  • इसी तरह रेलवे के IRCTC घोटाले में खुद तेजस्वी का नाम है. RJD के कुछ और नेता भी CBI के निशाने पर हैं.

बताया जा रहा है कि मौजूदा समय में तीन दलों के बड़े नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं. RJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव के हनुमान कहे जाने वाले पूर्व विधायक भोला यादव पर वर्तमान में CBI का शिंकजा कसा हुआ है. भोला यादव से मिले इनपुट के आधार पर RJD के कई और नेताओं को CBI पूछताछ के समन भेजने की तैयारी कर रही है.

IRCTC घोटाला और तेजस्वी पर आरोप

दरअसल, IRCT घोटाला, होटल के टेंडर से जुड़ा है. रेलवे टेंडर घोटाला मामले में लालू यादव और राबड़ी देवी के साथ तेजस्वी यादव भी आरोपी हैं. इस केस में अगस्त 2018 में ED ने चार्जशीट दाखिल की थी. अभी तक इस केस में फैसला नहीं आया है. इसी केस में CBI ने तेजस्वी यादव से पूछताछ भी की थी.

इस मामले की FIR में कहा गया था कि लालू यादव ने एक प्राइवेट कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया. इसके बदले में उन्हें एक बेनामी कंपनी डिलाइट मार्केटिंग की ओर से कीमती जमीन मिली.

सुजाता होटल्स को ठेका मिलने के बाद 2010 और 2014 के बीच डिलाइट मार्केटिंग कंपनी का मालिकाना हक सरला गुप्ता से राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के पास आ गया. हालांकि, इस दौरान लालू रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके थे. आरोप पत्र में ED ने लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव, पूर्व मंत्री प्रेमचंद्र गुप्ता, उनकी पत्नी सरला गुप्ता और तत्कालीन एमडी बीके अग्रवाल के अलावा अन्य लोगों को आरोपी बनाया था.

सृजन घोटाल: किन पर है आरोप ?

सृजन घोटाला भागलपुर के सृजन महिला विकास सहयोग समिति नामक NGO से जुड़ा हुआ है. इसकी शुरुआत मनोरमा देवी ने साल 1993-94 में की थी. मनोरमा देवी की मौत के बाद उनकी बहू प्रिया कुमार और उसके पति अमित कुमार ने सृजन का काम संभाला था.

बिहार में जेडीयू-बीजेपी की सरकार में साल 2007-2008 में भागलपुर के सबौर में सृजन को-ऑपरेटिव बैंक खुल जाने के बाद घोटाले का खेल शुरू हुआ. भागलपुर ट्रेजरी के पैसे को सृजन को-ऑपरेटिव बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने और फिर वहां से सरकारी पैसे को बाजार में लगाया जाने लगा.

घोटाला सामने आने के बाद विपक्ष के हमले के बीच 13 अगस्त 2017 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सृजन घोटाले की CBI जांच की अनुशंसा कर दी थी. CBI ने सृजन घोटाले में 25 अगस्त 2017 को इघई दर्ज करते हुए इसकी जांच शुरू की. CBI इस मामले में अब तक 12 प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है. साथ में आरोप पत्र भी दायर कर चुकी है. वर्तमान में इस घोटाला के 15 आरोपित अभी जेल में हैं.

बताया जा रहा है कि इसी मामले में नीतीश कुमार के कई सहयोगियों से भी CBI पूछताछ कर सकती है, जो JDU की मुश्किलें बढ़ा सकती है.

'RJD का मौजूदा नेतृत्व पहले के मुकाबले ज्यादा सतर्क है'

वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश उर्मिल कहते हैं कि जिन राजनीतिक दलों की जनता और समाज में जड़े हैं या जिनके पास जनाधार है, उनको गैर जरूरी या गलत ढंग से परेशान करके कोई भी राजनीतिक दल बहुत लंबी दूरी तय नहीं कर सकता. जो वर्तमान का RJD नेतृत्व है वो पहले के मुकाबले ज्यादा सतर्क है.

नीतीश कुमार भी मौजूदा समय के किसी भी नेता के मुकाबले अनुभव में कम नहीं है. यही वजह है कि नीतीश कुमार के सामने वो समस्याएं नहीं आईं जो, महाराष्ट्र के नेताओं के साथ रहीं.
उर्मिलेश उर्मिल, वरिष्ठ पत्रकार

'JDU-RJD जनता के मूड का गठबंधन है'

बिहार की राजनीति को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश उर्मिल कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई बिहार में तेज होगी. लेकिन, हमें यहां समझने की जरूरत ये है कि बिहार की जनता का मूड इस समय JDU-RJD गठबंधन के साथ है. जनता का यही मूड सरकार को मदद करेगा, उनको ताकत देगा और निर्भीक होकर सरकार चलाने का रास्ता बनाएगा.

अगर बार-बार आप ED-CBI का इस्तेमाल करेंगे, जैसा इन दिनों पूरे देश में किया जा रहा है, तो एक दिन ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी कि जनता को लगेगा कि ED का मतलब बीजेपी. हालांकि, अभी भी लोग कहने लगे हैं कि ED तो बीजेपी की है.
उर्मिलेश उर्मिल, वरिष्ठ पत्रकार

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