बिहार में चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टी और नेताओं के मिलने और जुदा होने की कहानी शुरू हो चुकी है. अब बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा ने खुद को महागठबंधन से अलग कर लिया है. मांझी की पार्टी की कोर कमेटी ने आज इस बात का फैसला किया. हालांकि अभी एनडीए से गठबंधन को लेकर कोई ऐलान नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि जीतन राम मांझी जेडीयू के साथ जा सकते हैं.
इस पूरे मामले को लेकर पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने क्विंट से बात करते हुए कहा,
“लगातार कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने के लिए कई महीनों से कह रहे थे, लेकिन आरजेडी ने बात नहीं मानी. जब आज हम लोगों की नहीं सुन रहे हैं, तो कल सीएम बन गए तब तो हमारी और बात नहीं सुनेंगे. गठबंधन में सबकी बात सुनी जानी चाहिए, लेकिन यहां हमें दरकिनार किया गया. इसीलिए हिंदुस्तान अवाम मोर्चा ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया है.”
‘हम’ की कोर कमेटी ने बैठक में फैसला किया कि 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव में वो राजेडी, कांग्रेस, आरएलएसपी गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी.
दलित चेहरा मांझी
बिहार में मांझी खुद को दलित नेता के रूप में पेश करते रहे हैं. इससे पहले वो नीतीश कुमार की पार्टी में थे, 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को सीएम बनाया था. लेकिन दोनों के बीच रिश्ते में तल्खी की वजह से जेडीयू ने उन्हें सीएम पद से हटाने का फैसला किया. जिसके बाद मांझी ने जेडीयू से अलग होकर खुद की पार्टी बनाई.
भले ही मांझी जेडीयू से अलग हो गए हों लेकिन अभी तय नहीं हुआ है कि उनकी पार्टी जेडीयू से हाथ मिलाएगी या नहीं. लेकिन कहा जा रहा है कि अगले दो दिन में इसका ऐलान खुद जीतन राम मांझी करेंगे.
तेजस्वी पर देते रहे हैं बयान
बता दें कि कोरोना के शुरुआती दिनों से ही मांझी तेजस्वी यादव के खिलाफ बयान देते रहे हैं. उन्होंने कहा था कि जब भी बिहार में कोई संकट होता है, तब तेजस्वी यादव नहीं होते हैं. जब विपक्ष के नेता ही नहीं हैं, तो हम लोगों के बोलने का सरकार पर क्या असर होगा.
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