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दिखावे के लिए दलित के घर खाकर फोटो खिंचवायी जा रही है: BJP सांसद

दलितों के घर में खाना खाने का नेताओं का चलन बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले को रास नहीं आ रहा है.

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दलितों के घर में खाना खाने का नेताओं का चलन बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले को रास नहीं आ रहा है. उन्होंने इसे दिखावा और बहुजन समाज का अपमान करार दिया है. बीजेपी की वरिष्ठ नेता फुले ने हाल में दलितों के घर में खाना खाए जाने के बारे में सवाल पूछे जाने पर नेताओं को लताड़ लगाई है.

बहराइच लोकसभा सीट से सांसद सावित्री ने कहा कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने भारत के संविधान में जाति व्यवस्था को खत्म करते हुए सबको बराबर की जिंदगी जीने का अधिकार दिया है, लेकिन आज भी अनुसूचित जाति के प्रति लोगों की मानसिकता साफ नहीं है.

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दिखावा है दलितों के घर नेताओं का भोजन: फुले

बीजपी सांसद ने कहा, ''इसलिए लोग उनके घर में खाना खाने तो जाते हैं लेकिन उनका बनाया हुआ खाना नहीं काते. उनके लिए बाहर से बर्तन आते हैं, बाहर से खाना बनाने वाले आते हैं, वे ही परोसते भी हैं. दिखावे के लिए दलित के दरवाजे पर खाना खाकर फोटो खिंचवायी जा रही है और उन्हें व्हाट्सअप, फेसबुक पर वायरल किये जाने के साथ-साथ टीवी चैनलों पर चलवाकर वाहवाही लूटी जा रही है. इससे पूरे देश के बहुजन समाज का अपमान हो रहा है.''

यूपी के कैबिनेट मंत्री विवादों में हैं

पिछले दिनों ही उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा के एक दलित के घर में डिनर पर विवाद पैदा हो गया था. मंत्री पर आरोप लगे थे कि मंत्री अपनी तरफ से भोजन और पानी लेकर वहां पहुंचे थे. सावित्री ने कहा कि बात तो तब हो जब दलित के हाथ का बनाया हुआ खाना खाएं और खुद उसके बर्तनों को धोएं. उन्होंने कहा कि अगर अनुसूचित जाति के लोगों का सम्मान बढ़ाना है तो उनके घर पर खाना खाने के बजाय उनके लिये रोटी, कपड़े, मकान और रोजगार का इंतजाम किया जाए.

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SC-ST के लिए नौकरी पैदा करे सरकार: फुले

हम सरकार से मांग करते हैं कि वह अनुसूचित जाति के लोगों के लिये नौकरियां पैदा करे. केवल खाना खाने से अनुसूचित जाति के लोग आपसे नहीं जुड़ेंगे। क्या वह इस मुद्दे को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सामने रखेंगी, इस सवाल पर पार्टी सांसद ने कोई साफ जवाब नहीं दिया. सावित्री ने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति के लोगों को आज भी हीन भावना से देखा जाता है. मैं सांसद हूं और मुझे बीजेपी सांसद के बजाय दलित सांसद कहा जाता है.

देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दलित राष्ट्रपति कहा जाता है. क्या ये अनुसूचित जाति के लोगों का अपमान नहीं है. उन्होंने कहा कि इस नजरिये से आज भी संविधान को नहीं माना जा रहा है. अगर संविधान को उसकी मूल भावना से लागू कर दिया जाए तो देश में गैर बराबरी और जाति व्यवस्था खुद ब खुद ही खत्म हो जाएगी. आज आंबेडकर प्रतिमा को तोड़ा जा रहा है और उसे खंडित करने वालों की गिरफ्तारी नहीं हो रही है.

घोड़ी चढ़ने पर दलित की हत्या की जा रही है. इससे पहले पिछले महीने सांसद सावित्री ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित काशीराम स्मृति उपवन में 'भारतीय संविधान और आरक्षण बचाओ महारैली का आयोजन' कर सरकार के लिए असहज हालात पैदा कर दिए थे.

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