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बांसुरी स्वराज कौन हैं? मीनाक्षी लेखी की जगह BJP ने नई दिल्ली से क्यों बनाया प्रत्याशी?

Bansuri Swaraj Profile: बांसुरी स्वराज (40) सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं. उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली है

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नई दिल्ली लोकसभा सीट से बांसुरी स्वराज (Bansuri Swaraj) को प्रत्याशी बनाया है. बांसुरी बीजेपी की दिवंगत महिला नेत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी हैं. बीजेपी ने बांसुरी को केंद्रीय मंत्री और नई दिल्ली सीट से मौजूदा सांसद मीनाक्षी लेखी की जगह पर टिकट दिया है. आईये जानते हैं कि बीजेपी नेता बांसुरी स्वराज कौन हैं और उन्हें पार्टी ने नई दिल्ली सीट से टिकट क्यों दिया है?

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बांसुरी स्वराज कौन हैं?

बीजेपी नेता बांसुरी स्वराज का जन्म 3 जनवरी 1984 को हुआ था. उनकी माता का नाम सुषमा स्वराज और पिता का नाम स्वराज कौशल है. बांसुरी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता स्वराज कौशल साल 1990-1993 तक मिजोरम के राज्यपाल और 1998 से 2004 से सांसद रह चुके हैं.

बांसुरी कीं मां सुषमा स्वराज हरियाणा में विधायक, मंत्री, दिल्ली की सीएम के अलावा लोकसभा और राज्यसभा की सदस्य के साथ केंद्र में मंत्री रह चुकी हैं. वो लोकसभा में दक्षिण दिल्ली सीट का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं.

जानकारी के अनुसार, 40 वर्षीय बांसुरी स्वराज सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं. उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली है और इनर टेम्पल से बैरिस्टर एट लॉ रही हैं. कानून की पढ़ाई करने से पहले बांसुरी स्वराज ने इंग्लैंड के वारविक विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री ली है.

बांसुरी साल 2007 से वकालत कर रही हैं. वो हरियाणा की अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) थीं.

बांसुरी को पिछले साल दिल्ली बीजेपी के कानूनी प्रकोष्ठ का सह-संयोजक नियुक्त किया गया था, बाद में उन्हें सचिव बना दिया गया.

उन्होंने जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान वुमन 20 स्पेशल इंगेजमेंट ग्रुप के एक हिस्से के रूप में काम किया था.

BJP ने बांसुरी स्वराज को क्यों बनाया उम्मीदवार?

बीजेपी ने जिस नई दिल्ली सीट से बांसुरी को उम्मीदवार बनाया है, उसके अंतर्गत विधानसभा की 10 सीटें आती हैं. इसमें तत्कालीन दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट के कुछ हिस्से भी शामिल हैं, जहां से सुषमा स्वराज पहली बार 1996 में और फिर 1998 में चुनी गईं थीं. बीजेपी नेताओं की मानें तो, भले ही सुषमा स्वराज ने कम समय के लिए ही दिल्ली के सीएम का पद संभाला था, लेकिन इसका लाभ बांसुरी को चुनाव में मिल सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि, "13 दिन की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं स्वराज ने यहां संगठन के आधार के लिए जमीन तैयार की थी."

बीजेपी ने एक वरिष्ठ नेता इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "राष्ट्रीय नेतृत्व क्या कर सकता था जब नई दिल्ली सीट के 28 सदस्यीय संगठन में एक भी व्यक्ति ने मीनाक्षी लेखी के लिए अपना समर्थन नहीं दिया लेकिन सर्वसम्मति से बांसुरी का समर्थन किया?"

नेता ने कहा कि पार्टी के एक दिवंगत नेता की बेटी होने के नाते इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बांसुरी "सिर्फ एक साल से अधिक समय में कड़ी मेहनत के जरिए" अपार लोकप्रियता हासिल करने में सफल रही हैं.

नई दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले 10 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी के संगठन के सदस्य अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति का अनुरोध करने के लिए शीर्ष नेतृत्व को लगातार फोन कर रहे हैं.
बीजेपी नेता

रिपोर्ट के अनुसार "कड़ी मेहनत और जमीनी संपर्क स्थापित करने" के अलावा बांसुरी को तमाम सर्वे में लोकप्रिय होने में खुद मीनाक्षी लेखी की "सार्वजनिक गलतियों" और "सार्वजनिक जुड़ाव की कमी" ने मदद की.

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