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राहुल के बदले-बदले तेवर, कहीं 2019 की दावेदारी का आगाज तो नहीं?

पढ़िए- अमेरिका यात्रा के दौरान राहुल गांधी के बदले-बदले तेवर किस ओर इशारा करते हैं

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी दो हफ्ते के लिए अमेरिका दौरे पर क्या गए, भारत में उनके हर भाषण पर चर्चा होने लगी. वहां उन्होंने यूनिवर्सिटी के छात्रों से बातचीत की. प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया. दक्षिण एशियाई विशेषज्ञों के साथ चर्चा की.

इस दौरान उन्होंने न सिर्फ देश की डगमगाती अर्थव्यवस्था के लिए मोदी सरकार को घेरा, बल्कि बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दे पर नाकामी की बात से शुरुआत की, फिर मौजूदा सरकार को चेताने के अंदाज में बात खत्‍म की.

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विपक्षी दल भी नजरअंदाज नहीं कर पाए राहुल का संबोधन

अमेरिका यात्रा के दौरान राहुल का संबोधन ऐसा था कि विपक्षी दलों से लेकर राजनीति के विशेषज्ञ भी उन्हें नजरअंदाज नहीं कर पाए.

अमेरिका यात्रा के दौरान राहुल के अंदर दिखे आत्मविश्वास ने संकेत दे दिया है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले वो अपनी दावेदारी मजबूती से पेश करना चाहते हैं.

अक्टूबर महीने में कांग्रेस पार्टी में संगठन चुनाव भी होना है और राहुल का कांग्रेस अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है. अमेरिका में राहुल गांधी ने बोला तो बहुत कुछ, लेकिन उसमें से कुछ बातें ऐसी हैं, जो आने वाले कल में राजनीति की जमीन पर नए समीकरण गढ़ने का दम रखती हैं.

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राहुल ने माना, कांग्रेस से गलती हुई है

केंद्र की सत्ता से कांग्रेस के बाहर होने के लिए राहुल गांधी ने पार्टी के लोगों को ही जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि साल 2012 के आस-पास कांग्रेस पार्टी ने लोगों के साथ बातचीत करना बंद कर दिया था. पार्टी को इसी रवैये का नुकसान उठाना पड़ा.

2014 के चुनावी प्रचार के बाद से अब तक ये शायद पहली बार है जब कांग्रेस उपाध्यक्ष पार्टी से हुई गलतियों पर खुलकर और खुले दिल से बात करते नजर आते हैं.
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वंशवाद के आरोप पर भी बोले राहुल

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोनिर्या के छात्रों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने यह भी कहा कि वंशवाद की राजनीति भारत में ज्यादातर पार्टियों के लिए एक समस्या है.

पढ़िए- अमेरिका यात्रा के दौरान राहुल गांधी के बदले-बदले तेवर किस ओर इशारा करते हैं
कांग्रेस पर लगने वाले वंशवाद की राजनीति के आरोपों पर राहुल गांधी ने जवाब देकर जता दिया है कि कांग्रेस वंशवाद के लिए अकेला उदाहरण नहीं है.
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नोटबंदी के जरिए मोदी सरकार पर चोट

राहुल गांधी ने बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा था. इससे जीडीपी को 2 फीसदी तक का नुकसान हुआ.

राहुल ने कहा कि नोटबंदी का फैसला मुख्य आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया था और इससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ.

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कश्मीर में आतंकवाद के लिए मोदी को ठहराया जिम्मेदार

राहुल गांधी ने बर्कले में ही जम्मू-कश्मीर में बढ़ती हिंसा और आतंकवाद के पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराया. गांधी ने पीडीपी के साथ बीजेपी के राजनीतिक गठबंधन को भी मोदी की रणनीतिक भूल बताया.

पीडीपी ऐसा जरिया थी जो कश्मीरी युवाओं को राजनीति में लाई. और जिस दिन नरेंद्र मोदी ने पीडीपी और बीजेपी के बीच गठबंधन किया, इसने युवाओं को राजनीति में लाने के माध्यम के तौर पर पीडीपी को नष्ट कर दिया. जिस दिन उन्होंने (पीएम मोदी) ऐसा किया, उन्होंने कश्मीर में आतंकवाद के लिए जगह बनाई और हिंसा बढ़ी.
राहुल गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष
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‘असहिष्णुता और बेरोजगारी बड़े मुद्दे’

प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में छात्रों से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि दुनिया में बेरोजगारी से लोग परेशान हैं और इसीलिए नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं को लोगों ने चुना. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भारत में बेरोजगारी दूर करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठा रहे. इस बातचीत के दौरान गांधी ने माना कि लोग कांग्रेस पार्टी से बेरोजगारी के मुद्दे पर नाराज थे.

दक्षिण एशियाई विशेषज्ञों के गोलमेज सम्मेलन में राहुल ने कहा कि असहिष्णुता और बेरोजगारी दो मुद्दे हैं, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के लिए गंभीर चुनौती पैदा करते हैं.

नोटबंदी, बेरोजगारी, देश में बढ़ती असहिष्णुता और कश्मीर हिंसा जैसे मुद्दों को विदेशी धरती पर उठाकर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी छवि को चुनौती देने की कोशिश की है.
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राहुल के खुलकर सामने आने के पीछे ये है बड़ी वजह

साल 2014 में मिली हार के बाद राहुल गांधी के आत्मविश्वास में कमी आई थी. इसके बाद से माना जा रहा था कि कांग्रेस के पास 2019 के लिए पीएम पद का कोई चेहरा नहीं है. राहुल शायद उसी परसेप्शन को बदलने की कोशिश में लगे हैं.

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राहुल गांधी ने जिस तरह पहली बार कांग्रेस पार्टी की गलत नीतियों और उनसे उपजी नाकामियों पर खुलकर बात की है, वो शायद कांग्रेसियों में आत्मविश्‍वास जगा सकता है. कई राजनीतिक जानकार इसे राहुल गांधी 2.0 की तरह भी देख रहे हैं. लेकिन, राहुल का असली इम्‍त‍िहान आने वाले दिनों में होगा, जब कई राज्यों के विधानसभा चुनाव होंगे.

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