कांग्रेस (Congress) शासित छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच सीएम भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने शनिवार, 2 अक्टूबर को कहा कि उनका राज्य कभी पंजाब नहीं बन सकता.
रिपोर्टरों द्वारा यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस में उथल-पुथल को लेकर बीजेपी ने छत्तीसगढ़ और पंजाब को एक बताया है, सीएम बघेल ने कहा
“छत्तीसगढ़ हमेशा छत्तीसगढ़ रहेगा, पंजाब नहीं बन सकता. दोनों राज्यों में एक ही समानता है कि दोनों के नाम में नंबर हैं... पंजाब पंज (पांच) आब (पानी) की भूमि है. यह पांच नदियों से मिलकर बना है. इसी तरह छत्तीसगढ़ ने अपना नाम 'छत्तीस' 'गढ़' (किला) से लिया है. किसी अन्य राज्य के नाम में नंबर नहीं हैं. दोनों राज्यों के बीच कोई अन्य समानता नहीं है”
नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस प्रमुख के रूप में इस्तीफे और बागी होते कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ कांग्रेस पार्टी पंजाब में चल रहे संकट से जूझ रही है. लेकिन अब पार्टी छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह के संकट का सामना करती दिख रही है.
गौरतलब है कि पार्टी ने सीएम बघेल को यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पर्यवेक्षक घोषित किया है. राज्य में कांग्रेस के चुनावी अभियान के निगरानी का जिम्मा होगा.
दिल्ली पहुंचे विधायक, बढ़ी कांग्रेस की चिंता
छत्तीसगढ़ कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि राज्य प्रभारी पीएल पुनिया और पार्टी आलाकमान से मिलने के लिए शनिवार, 2 अक्टूबर को लगभग 35 विधायकों के दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि अभी आगे और भी आएंगे.
विधायकों का यह दिल्ली दौरा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच कथित खींचतान के बीच आया है, जिसमें टीएस सिंह देव के खेमे ने नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी.
भूपेश बघेल ने जून 2021 में मुख्यमंत्री के रूप में ढाई साल पूरे कर लिए हैं. टीएस सिंह देव के गुट ने दावा किया कि 2018 में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने आधा कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें सीएम का पद सौंपने पर सहमति व्यक्त की थी.
विधायक कई बार दिल्ली की यात्रा करते हैं, हर कोई स्वतंत्र है- बघेल
बघेल ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए विधायकों के दिल्ली दौरे का राजनीतिक मतलब न निकालने की बात कही.
"मीडिया की इतनी दिलचस्पी क्यों है? विधायक कई बार दिल्ली की यात्रा करते हैं... हर कोई स्वतंत्र है. यदि कोई राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है, तो समानता खोजी जानी चाहिए अन्यथा ऐसा करने का कोई मतलब नहीं है”
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में अंदरूनी कलह की खबरों के बीच, दोनों वरिष्ठ नेताओं को विवाद को सुलझाने के लिए अगस्त में दिल्ली बुलाया गया था. हालांकि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार नेतृत्व के परिवर्तन पर कोई बातचीत नहीं हुई और यह विवाद जारी रहा.
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