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कांग्रेस चिंतन शिविर: हिंदुत्व के सवाल पर BJP से कैसे जंग? पार्टी में एकराय नहीं

Congress Chintan Shivir: भूपेश बघेल और कमलनाथ दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस हिंदुओं से 'दूर' हो गई है.

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Congress Chintan Shivir: एक मुद्दा जिसने उदयपुर (Udaipur) में कांग्रेस के चिंतन शिविर में तीखी बहस छेड़ दी, वो है हिंदू धार्मिकता (Hindu) के प्रति पार्टी के दृष्टिकोण का सवाल. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस हिंदुओं से 'दूर' हो गई है और पूरे 'हिंदू स्पेस' को बीजेपी को सौंप दिया है.

इस सुझाव का हिंदी भाषी राज्यों के कई नेताओं ने समर्थन भी किया. कुछ नेताओं ने कहा कि बीजेपी और मीडिया कांग्रेस को "हिंदू विरोधी" के रूप में पेश करने में कुछ हद तक सफल रहे हैं.

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बघेल ने कथित तौर पर सुझाव दिया कि पार्टी के नेताओं को नियमित रूप से हिंदू समारोहों में भाग लेना चाहिए और सार्वजनिक रूप से किसी की धार्मिकता का दावा करने से नहीं शर्माना चाहिए. बघेल ने कहा,

"मंदिरों में जाना केवल चुनाव के समय का मामला नहीं होना चाहिए ... नेताओं को नियमित रूप से धार्मिक कामों में भाग लेना चाहिए, तभी धारणा बदली जा सकती है."

बघेल खुद भी धार्मिक समारोहों में भाग लेने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि सार्वजनिक धार्मिकता को धर्मनिरपेक्षता के विरोधी के रूप में नहीं देखाना चाहिए. चिंतन शिविर में ये भी कहा गया कि "सॉफ्ट हिंदुत्व" का लेबल गलत है और ये सिर्फ मीडिया निर्माण है.

एक नेता ने कहा,

अपनी खुद की धार्मिक प्रथाओं का पालन करना सॉफ्ट हिंदुत्व नहीं है." कुछ नेताओं ने कहा कि उन्हें बघेल और कमलनाथ के दृष्टिकोण में भी कुछ अंतर दिखाई देता है. एक नेता के अनुसार, "बघेल धर्मनिरपेक्षता पर टिके रहने के साथ धार्मिकता के सार्वजनिक प्रदर्शन के पक्षधर रहे. दूसरी ओर कमलनाथ ने इन मुद्दों पर चुप्पी साधने का सुझाव दिया."
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साउथ का रिस्पांस

कहा जा रहा है कि दक्षिणी राज्यों के नेताओं के एक वर्ग ने हिंदू धार्मिक कार्यों में भागीदारी बढ़ाने के सुझाव का विरोध किया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल के कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने संगठन समिति की बैठक में जोर देकर कहा कि कांग्रेस को बीजेपी के मैदान पर खेलने से बचना चाहिए और इसके बजाय सभी प्रकार के धार्मिक ध्रुवीकरण के खिलाफ सक्रियता का रास्ता अपनाना चाहिए.

हालांकि, ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर पार्टी ने यथास्थिति में किसी भी बदलाव के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाया. शनिवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला दिया और कहा कि किसी भी पूजा स्थल की स्थिति नहीं बदलनी चाहिए.

ऐसा भी कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने चर्चा में धार्मिक कार्ड खेलने के खिलाफ एक स्पष्ट स्टैंड लिया. हालांकि, चिंतन शिविर से इतर मीडिया से बात करते हुए चव्हाण ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई मतभेद नहीं है. चव्हाण ने कहा, "हर राज्य की अपनी परिस्थितियां होती हैं. लोगों ने अपने-अपने राज्यों की वास्तविकता के आधार पर अपने विचार रखे. पार्टी में कोई विभाजन नहीं है."

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डूंगरपुर के बनेश्वर धाम जाएंगे राहुल गांधी

15 मई को चिंतन शिविर समाप्त होने के बाद, सोनिया गांधी और राहुल गांधी सोमवार, 16 मई को राजस्थान के डूंगरपुर जिले के बनेश्वर धाम में एक रैली को संबोधित करने वाले हैं.

राहुल गांधी के बनेश्वर धाम मंदिर जाने की उम्मीद है जो दक्षिणी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्सों में आदिवासियों के लिए एक प्रमुख पूजा स्थल है.

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