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चुनावी हार के बाद कांग्रेस में 'कोहराम', 24 घंटे में G-23 नेताओं की दो बार बैठक

कांग्रेस हाईकमान से असंतुष्ट नेताओं (G-23) के कोर ग्रुप की दोबारा बैठक में हरियाणा से भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी पहुंचे

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पांच राज्यों में बुरी तरह हार का मुंह देखने के बाद कांग्रेस (Congress) के अंदर आंतरिक कलह शांत होती नहीं दिख रही है. कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं (G-23) के कोर ग्रुप ने गुरुवार, 17 मार्च की शाम वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के घर पर फिर से मुलाकात की है. यह पिछले 24 घंटे में उनकी दूसरी बैठक है.

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बैठक में शामिल कांग्रेस नेतृत्व से असंतुष्ट नेताओं में गुलाम नबी आजाद के साथ-साथ कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और भूपेंद्र हुड्डा शामिल थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बैठक में भूपेंद्र हुड्डा के साथ आज राहुल गांधी की हुई मुलाकात पर चर्चा की गयी.

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार कुछ नेताओं ने यह भी संकेत दिया है कि बैठक में आगे के लिए ठोस कदमों पर चर्चा होगी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर लगातार दबाव बनाए रखने के लिए इस तरह की बैठकें अब से नियमित रूप से की जाएंगी.

मालूम हो कि एक दिन पहले कांग्रेस के असंतुष्ट या विद्रोही नेताओं, जिन्हें G-23 समूह के रूप में जाना जाता है, ने बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया था जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस के लिए आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका सभी स्तरों पर सामूहिक और समावेशी नेतृत्व और निर्णय निर्माण (डिसीजन मेकिंग) का मॉडल अपनाना है.

गांधी परिवार के वफादारों से परेशान G-23 

कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) में गांधी परिवार के वफादारों के स्टैंड से परेशान असंतुष्ट नेताओं की कई बैठकें हो रही हैं. गांधी परिवार के वफादार लगातार हार के बावजूद गांधी परिवार के नेतृत्व पर डटे हुए हैं.

इस बार पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था CWC ने सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा सभी पदों से हटने की पेशकश को ठुकरा दिया है. वो भी तब जब कांग्रेस पंजाब हार चुकी है और व्यावहारिक रूप से उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में उसका सफाया हो गया है.

G-23 में शामिल कांग्रेसी नेता मनीष तिवारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि

"इस बात पर अधिक बल नहीं दिया जा सकता है कि कांग्रेस अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है. शायद कांग्रेस मुक्त भारत की ओर देख रहे हैं. हम 2014 और 2019 में हारे... 2014 से 49 विधानसभा चुनावों में से हम 39 चुनाव हार चुके हैं. हमने केवल चार चुनाव जीते हैं... इसलिए हम वास्तव में एक अत्यंत गंभीर स्थिति को देख रहे हैं."

वफादारों के निशाने पर कपिल सिब्बल और G-23 ग्रुप

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव ने आज वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को गांधी परिवार के खिलाफ टिप्पणी के लिए पार्टी से बाहर निकालने की मांग की है.

कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए टीएस सिंह देव ने ट्विटर पर कहा कि शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ व्यक्तिगत और निंदनीय राय को सार्वजनिक करने के लिए उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया जाना चाहिए.
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी G-23 सदस्यों पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी हर कांग्रेसी से बात करने को तैयार हैं, अगर किसी की मंशा सही है तो बात करने में क्या दिक्कत है?

"सोनिया गांधी हर कांग्रेसी से बातचीत के लिए तैयार हैं. अभी जरूरत है हमें एक साथ लड़ना चाहिए, तो कुछ राजनेता (G23 नेता) पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. अगर उनकी नीयत ठीक है तो सोनिया गांधी से बात क्यों नहीं करते?"

उन्होंने आगे कहा कि "जब इन राजनेताओं को (यूपीए) सरकार में मंत्री बनाया गया था, तो क्या उन्होंने पूछा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को देखते हुए पद दिए जाने चाहिए? तब सब कुछ सही था क्योंकि हम सत्ता में थे. राजनीतिक दल उतार-चढ़ाव देखते हैं, इसका मतलब विद्रोह नहीं है"

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इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी मंगलवार, 15 मार्च को कपिल सिब्बल पर निशाना साधा था और कहा कि वो "कांग्रेस संस्कृति" के व्यक्ति नहीं थे और उनकी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की तरह रगड़ाई नहीं हुई है.

"कपिल सिब्बल कांग्रेस संस्कृति के व्यक्ति नहीं हैं. वह एक प्रसिद्ध वकील हैं जिन्होंने कांग्रेस में प्रवेश किया. सोनिया जी और राहुल जी के आशीर्वाद से उन्हें बहुत मौके दिए हैं. उनके मुंह से ऐसी बात निकलना दुर्भाग्यपूर्ण है"
अशोक गहलोत

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कपिल सिब्बल को नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक टिप्पणी करने के बजाय खुद कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की चुनौती दी है.

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