कांग्रेस ने आशंका जताई है कि मोदी सरकार ग्रोथ रेट को कृत्रिम तौर पर तेज करने के लिए आंकड़ों में हेरफेर कर सकती है. कांग्रेस ने कहा है कि सरकार की ओर से गैर संगठित क्षेत्र के आंकड़ों को शामिल करने के लिए 'ऑफिशियल स्टेटस्टिक्स को रीवैम्प' करने की बात करने लगी है. लेकिन सरकार को कृत्रिम तौर पर ग्रोथ को बढ़ाने के लिए ऐसी किसी भी कोशिश से बचना चाहिए.
सिंघवी ने कहा,अब भी ग्रोथ रेट को बढ़ा-चढ़ा कर दिखा रही है सरकार
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार अचानक चिंतित हो उठी है और 'ऑफिशियल स्टेटस्टिक्स को रीवैम्प' करने की बात करने लगी है. उसे लग रहा है कि गैर संगठित क्षेत्रों के आंकड़ों को नहीं देखा जा रहा है. यह अच्छी बात है. लेकिन अगर सरकार पहले से ही 4.9 फीसदी पर आ चुकी ग्रोथ रेट को कृत्रिम रूप से ऊपर उठाना चाहती है तो ऐसा नहीं करना चाहिए. यह ग्रोथ रेट इससे भी कम है. खुद सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (पूर्व सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ) मान चुके हैं यह जितना कहा जा रहा है उससे 2 से 2.5 फीसदी तक कम है.
‘जुमला सॉल्यूशन निकालने के फेर में मोदी सरकार’
सिंघवी ने कहा यह सरकार अर्थव्यवस्था का कोई क्विक-फिक्स सॉल्यूशन निकालने के लिए बेचैन है. यह जुमला सॉल्यूशन या गुमराह करने वाला हल निकालना चाहती है. उन्होंने नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के हवाले से देश में युवाओं की आत्महत्या पर भी सरकार को घेरा.
सिंघवी ने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में देश में हर दिन 35 बेरोजगारों ने खुदकुशी. साथ ही अपना रोजगार करने वाले 36 युवाओं ने हर दिन जान दी. 2018 में 26,085 युवाओं ने आत्महत्या की.
उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, बेरोजगारी चरम पर है लेकिन मोदी सरकार इन चुनौतियों से लड़ने की बजाय जुमलों से काम चला रही है. 2016-17 में बेरोजगारी दर 9.65 फीसदी थी, यह अपने आप में बेहद खराब है. पिछले साल कुछ कम हुई लेकिन वापस एक बार फिर सवा सात फीसदी पर पहुंच गई है.
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