लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले हरियाणा (Haryana) में बीजेपी और जेजेपी (JJP) की राहें अलग-अलग हो गई हैं. ऐसे में हरियाणा में लोकसभा चुनाव का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) बीजेपी से अलग तो हो गए हैं लेकिन वह इसे कैसे देखते हैं, किसान आंदोलन और परिवारवाद पर उनकी क्या राय ये जानने के लिए क्विंट हिंदी ने उनसे विस्तार से बातचीत की.
BJP ने ठीक लोकसभा चुनावों से पहले JJP से गठबंधन क्यों तोड़ा?
दुष्यंत चौटाला: हमारा गठबंधन हरियाणा को स्थिर सरकार देने के लिए था. बीजेपी आज भी निर्दलीयों के साथ सरकार में है. लेकिन निर्दलीयों के साथ ये स्थिरता 4.5 साल तक मुमकिन नहीं था.
प्रदेश के भीतर दोनों पार्टियों ने अपने अपने वादे को पूरा किया. मैं ये नहीं कहता कि उन्होंने (बीजेपी) वादे पूरे करें या मैंने. जनता तय करेगी कि हरियाणा में विकास का क्रेडिट किसे जाएगा.
क्या बीजेपी ने गठबंधन तोड़ने से पहले आपको बताया था?
दुष्यंत चौटाला: सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से चार दौर की चर्चा हुई. लेकिन जब सहमति नहीं बनी तो हमने अलग चलने का रास्ता अपना लिया. हमने विधानसभा की सीट शेयरिंग और वृद्धा पेंशन 5,100 रुपये करने की बात कही जिसपर बात नहीं बन सकी तो हम अलग हो गए.
बीजेपी को लेकर आप आक्रामक नहीं हैं?
दुष्यंत चौटाला: पिछले 11 दिनों में अगर मैं आक्रमक नहीं हूं तो कोई और नहीं है. अभी 15 दिन पहले तो हम बीजेपी से अलग हुए हैं, 15 दिनों की ही कमी तो बताऊंगा. मुझे कभी बीजेपी के साथ काम करने में दिक्कत नहीं आई.
जब किसान आंदोलन चल रहा था तो आप कहां थे?
दुष्यंत चौटाला: हमने किसानों को 3 स्तर पर मोटिवेशन दिया. पहला, हरियाणा में पहले 5 फसलों पर एमएसपी मिलती थी लेकिन हमने उसे 14 कर दिया. दूसरा, कई और फसल थे जिसकी किसान मांग कर रहे थे- हमने उसकी भरपाई की. पहले 8 फसलें इसमें आती थी, हमने 19 फसल कर दिए. तीसरा, पहले किसानों को आढ़तियों के जरिए चेक से पेंमेंट होता था. लेकिन हमने 24 घंटों के भीतर ये पेंमेंट हो ये सुनिश्चित किया. मैं तो हमेशा कहता हूं कि सरकार को किसानों की सुननी चाहिए.
MSP की गारंटी केंद्र सरकार को देनी चाहिए या नहीं?
दुष्यंत चौटाला: देनी चाहिए. लेकिन ये मामला समवर्ती सूची में है (यानी केंद्र सरकार और राज्य दोनों को साथ मिलकर फैसले लेने होते हैं.) कानूनी गारंटी देने के बावजूद अगर सभी राज्य सरकार इसपर फैसला नहीं लेती है तो कैसे संभव है.
PM मोदी के परिवारवाद पर अटैक से क्या कभी तकलीफ हुई?
दुष्यंत चौटाला: अगर जनता के बीच आपकी स्वीकार्यता है तो आप कहीं से आते हो, जनता आपको चुनती है. अगर कोई एक आदमी किसी दल में ये तय करने लगता है कि कौन चुनाव लड़ेगा-कौन नहीं, तब दिक्कत है. भारत के इतिहास में सबसे अच्छे जज, सबसे अच्छे डॉक्टर वहीं बने हैं जिनके पिता उसी फील्ड से आते हों.
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