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एकनाथ शिंदे की हिंदुत्व विचारधारा- शिव सेना की कम, बीजेपी की ज्यादा

Eknath Shinde Hindutva Ideology: शिंदे जिस तरह से अपनी पार्टी की विचारधारा गढ़ रहे हैं, वह बीजेपी की नकल लगती है.

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महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या (Ayodhya) की अपनी पहली यात्रा के दौरान एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने रविवार, 9 अप्रैल को यह संदेश देने की कोशिश की कि उनकी पार्टी शिवसेना पूर्ण रूप से हिंदुत्व पार्टी है.

उन्होंने कहा, "राम मंदिर और अयोध्या भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है. यह एक ऐसा मुद्दा है जो हमारे दिल के करीब है, यह हमारी आस्था और भावनाओं से जुड़ा है."

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शिंदे ने दावा किया कि उनका गुट शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ा रहा है, उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण देखना ठाकरे का सपना था.

"500 साल के इंतजार के बाद यह किसी सपने जैसा लगता है. हर कोई राम मंदिर चाहता था. यह हमारे हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे का सपना था. यह लाखों और करोड़ों हिंदुत्ववादी और राम भक्तों का सपना था. यह अयोध्या, यह राम मंदिर हिंदुत्व का प्रतीक है.”
एकनाथ शिंदे

शिंदे ने 2022 में पार्टी प्रमुख और तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ यह कहते हुए बगावत कर दी थी कि उद्धव ने अपने पिता की विचारधारा के साथ धोखा किया है. उन्होंने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन करके अपनी राजनीति से समझौता किया है. शिंदे ने उद्धव पर हिंदुत्व से दूर जाने का आरोप लगाकर अपने विद्रोह को एक वैचारिक और नैतिक आधार दिया और खुद को और अपनी पार्टी का इसका संरक्षक बताया.

जब शिंदे ने ठाकरे से नाता तोड़ा और बीजेपी से हाथ मिलाया, तब उनकी राज्यव्यापी उपस्थिति नहीं थी, और न ही उन्हें एक विशेष रूप से मुखर राजनेता के रूप में जाना जाता था. वह संयोग से एक पार्टी के नेता बन गए और उन्हें अचानक उस पार्टी की पहचान ढूंढनी पड़ी.

जब आप किसी पार्टी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाते हैं, तब आपको पुरानी पार्टी और उसके नेताओं से अलग अपनी एक पहचान बनानी पड़ती है. शिंदे गुट ने हिंदुत्व और कुछ हद तक मूल शिवसेना की वंशवादी राजनीति को आधार बनाया.

शिंदे ने पूरे दिल से हिंदुत्व विचारधारा को अपनाया. वह नियमित रूप से इसका उल्लेख करते हैं और ठाकरे पर व्यक्तिगत लाभ के लिए इसे छोड़ने का आरोप लगाते नहीं थकते. इस प्रक्रिया में, हिंदुत्व को लेकर उनका रुख और स्पष्ट हो गया है. यहां तक कि अब उन्हें गलती से भी कोई बीजेपी नेता समझने की गलती नहीं कर सकता.

"कुछ लोगों को हिंदुत्व से एलर्जी है. आजादी के बाद से, कुछ लोग जानबूझकर हिंदुत्व का अपमान कर रहे हैं, इसके बारे में लोगों को गुमराह कर रहे हैं. हिंदुत्व, हिंदू धर्म जीवन का एक तरीका है. हिंदू धर्म का मतलब सहिष्णुता है."
एकनाथ शिंदे
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शिंदे अपनी शिवसेना को एक हिंदुत्व पार्टी के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं. जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में वीडी सावरकर पर कटाक्ष किया, तो शिवसेना और बीजेपी ने पूरे महाराष्ट्र में सावरकर गौरव यात्राएं निकालीं. राहुल ने कहा था, "मैं गांधी हूं, सावरकर नहीं और गांधी परिवार माफी नहीं मांगते."

शिंदे ने इस बयान के जवाब में गांधी पर जमकर निशाना साधा और कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर भी उद्धव पर निशाना साधा. उन्होंने सावरकर की रैलियों में भी उत्साहपूर्वक भाग लिया.

शिवसेना ने सकल हिंदू समाज के बैनर तले राज्यव्यापी हिंदू राष्ट्रवादी रैलियों को मौन समर्थन दी है, जो "भूमि जिहाद" और "लव जिहाद" जैसे व्यापक रूप से खारिज किए गए मुद्दों को उठाते रहे हैं. संदीपन भुमारे, अतुल सावे और प्रदीप जायसवाल जैसे पार्टी नेता इन रैलियों में शामिल भी हुए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में शिंदे ने न तो इन रैलियों के आयोजकों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है और न ही नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है.

Eknath Shinde Hindutva Ideology: शिंदे जिस तरह से अपनी पार्टी की विचारधारा गढ़ रहे हैं, वह बीजेपी की नकल लगती है.

शिवसेना का कार्यक्रम ज्यादातर बीजेपी जैसा लगने लगा है. शिंदे जिस तरह से अपनी पार्टी की विचारधारा गढ़ रहे हैं, वह बीजेपी की नकल लगती है. वह बीजेपी नेता की तरह लगभग हर मौके पर प्रभावशाली ढंग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हैं.

तो फिर सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या है जो शिवसेना को बीजेपी से अलग करता है? क्या इसका अपना कोई कार्यक्रम है, कोई विचारधारा है जो इसे एक अलग पहचान देती है?

शिंदे को अभी इन सवालों का जवाब नहीं देना पड़ सकता है, जब वह मुख्यमंत्री हैं और उनकी पार्टी राज्य में शासन कर रही है. हालांकि, चुनाव के दौरान जब वह वोट के लिए महाराष्ट्र की जनता के पास जाएंगे, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता उनकी पार्टी को भगवा पार्टी की सस्ती कॉपी के रूप में न देखें.

अगर शिंदे इसमें विफल रहते हैं, तो बीजेपी के लिए अतिक्रमण करना और इसे महाराष्ट्र के नक्शे से मिटा देना मुश्किल नहीं होगा, जैसा कि कई राजनीतिक टिप्पणीकारों ने भविष्यवाणी की है.

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