ADVERTISEMENTREMOVE AD

किसान आंदोलन: अफसर से अंग्रेजी में बहस करते एक्टर दीप की कहानी

पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर शंभू मोर्चा प्रदर्शन में एक्टर और वकील दीप सिद्धू अहम शख्सियत हैं

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

किसानों के प्रदर्शन के बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें एक प्रदर्शनकारी हरियाणा पुलिस के एक अधिकारी को अंग्रेजी में लेक्चर दे रहा है और बता रहा है कि किसान क्यों विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

सरकार समर्थक फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने इस वीडियो को ट्विटर पर पोस्ट किया और व्यंग्य भरी टिप्पणी की: हाहाहाहाहा. द पुअर लैंडलेस फार्मर फॉर हूम वोक्स आर क्राइंग (गरीब भूमिहीन किसानों के लिए वोक्स दुखी हो रहे हैं (वोक्स एक अमेरिकी स्लैंग है जिसका मतलब है- समाज में अन्याय के लिए खिलाफ लड़ने वाले लोग).

ADVERTISEMENTREMOVE AD

उनका ट्विट अप्रत्यक्ष रूप से कहता है- कोई किसान अंग्रेजी कैसे बोल सकता है?

सच बात तो यह है कि प्रदर्शनकारी किसान बहुत साफ बात कर रहे हैं-भले ही उनकी भाषा पंजाबी हो, अंग्रेजी या हिंदी- और उनकी वाकपटुता उनके अनुभवों से जन्मी है.

लेकिन अंग्रेजी बोलने वाले इस प्रदर्शनकारी को अगर दक्षिणपंथी निशाना बना रहे हैं तो इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.

वीडियो में जो शख्स अंग्रेजी में अपनी बात कह रहा है, वह और कोई नहीं, पंजाबी ऐक्टर दीप सिद्धू हैं. इस साल सितंबर में जब नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को पास किया तभी से वह इन कानूनों का जोरदार विरोध कर रहे हैं.

जैसे ही इन कानूनों के खिलाफ लोगों ने मोर्चा खोला, सिद्धू उसका हिस्सा बन गए. वह पंजाब के पटियाला जिले में शंभू बैरियर स्थित प्रदर्शन स्थल पर मौजूद थे जोकि हरियाणा में अंबाला जिले से सटा हुआ है.

दीप सिद्धू कौन हैं

सिद्धू का जन्म 1984 में श्री मुक्तसर साहिब जिले में एक जाट सिख परिवार में हुआ. उनकी स्कूलिंग पंजाब में हुई. फिर उन्होंने कानून की पढ़ाई की और इसके बाद मॉडलिंग. किंगफिशर मॉडल हंट और ग्रासिम मिस्टर इंडिया कॉन्टेस्ट में उन्होंने हिस्सा लिया और कई कैटेगरी में विजेता भी रहे.

लेकिन मॉडलिंग में उन्हें खासा मजा नहीं आया और उन्होंने कानून के क्षेत्र में हाथ आजमाने का फैसला किया. उन्होंने ब्रिटिश फर्म हैमॉड्स के साथ काम किया और फिर डिज्नी, सोनी पिक्चर्स और बालाजी जैसे प्रॉडक्शन हाउसेज़ के साथ जुड़े. सबसे ज्यादा लंबे समय तक उन्होंने बालाजी के साथ काम किया.

पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर शंभू मोर्चा प्रदर्शन में एक्टर और वकील दीप सिद्धू अहम शख्सियत हैं

हालांकि उन्हें ऐक्टिंग के ऑफर आते रहे लेकिन ऐक्टिंग की शुरुआत उन्होंने 31 साल की उम्र में पंजाबी फिल्म रमता जोगी के साथ की जिसे अभिनेता धर्मेंद्र की विजेता फिल्म्स ने प्रोड्यूस किया था.

कहा जाता है कि सिद्धू देयोल परिवार के काफी करीबी हैं, खासकर धर्मेंद्र और सन्नी देयोल के. सभी जानते हैं कि सन्नी गुरदासपुर से भाजपा सांसद हैं और सिद्धू ने 2019 के चुनावों में सन्नी देयोल के लिए चुनाव प्रचार भी किया था.

फिर भी जिस फिल्म ने सिद्धू को असली शोहरत दिलाई, वह थी जोरा 10 नंबरिया (2017). इस फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे अपराधियों और भ्रष्ट राजनीतिक-ब्यूरोक्रेटिक सिस्टम के कारण हीरो का बचपन बर्बाद हो जाता है (सिद्धू इसमें हीरो थे). वह एक गैंगस्टर बन जाता है लेकिन अच्छे दिलवाला भला इनसान होता है. फिल्म में धर्मेंद्र ने भी एक छोटी सी भूमिका निभाई थी.

फिल्म में पंजाब में अपराधियों और नेताओं की सांठगांठ दिखाई गई थी जिसे आम लोगों ने काफी पसंद किया था. फिल्म के पोस्टर में कैप्शन था- “राजनीति बदमाशों की आखिरी पनाहगार होती है.”

यूं फिल्म में दूसरे राजनीतिक मसले भी थे, जैसे हीरो को एक दलित परिवार शरण देता है और उसके दो मुसलिम दोस्त होते हैं.

सिद्धू ने कई दूसरी फिल्में भी कीं, लेकिन सबसे ज्यादा इंतजार था जोरा 10 नंबरिया के सीक्वेल का. यह इस साल मार्च में आई और इसका नाम था जोरा: द सेकेंड चैप्टर.

दिलचस्प बात यह है कि सेकेंड चैप्टर में हीरो बने सिद्धू राजनीति में आ जाते हैं और दिग्गज नेताओं से मुकाबला करते हैं. तो क्या रियल लाइफ रील लाइफ से बराबरी करेगी? इस पर बाद में...

पर प्रदर्शन में सिद्धू का क्या काम?

पंजाबी फिल्म और म्यूजिक बिरादरी मोदी सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रही है और प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन. सिद्धू भी इसमें अपवाद नहीं हैं.

हालांकि सिद्धू उनसे कुछ आगे बढ़ गए हैं. वह शंभू बैरियर धरना स्थल या जिसे शंभू मोर्चा कहा जा रहा है, में लगातार दो महीने से जमे हुए हैं.

यह जगह काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां पहले भी कई धरना प्रदर्शन हुए हैं, जैसे सतलुज-यमुना नहर विवाद. सिद्धू और बाकी के कलाकारों में एक फर्क यह भी है कि उन्होंने किसान यूनियन्स से अलग विचार प्रकट किए हैं.

जैसे वह लगातार यह कह रहे हैं कि “प्रदर्शनों का मकसद सिर्फ रियायत लेना नहीं होना चाहिए, इनका उद्देश्य पूरे सत्ता समीकरण को बदलना होना चाहिए.”

उनकी असहमतियों के चलते बहुत से लोग उन्हें “आरएसएस एजेंट” कहते हैं. आलोचक सन्नी देयोल और उनके परिवार से सिद्धू की नजदीकी का जिक्र भी करते हैं.

शंभू में सिद्धू के भाषण दिलचस्प हैं और उनकी खुद की राजनीति की झलक दिखाते हैं. वह अक्सर पंथिक इमेजरी का इस्तेमाल करते हैं और अंतरराष्ट्रीय इतिहास का हवाला देते हैं. कई मौकों पर उन्होंने भारत में दलित उत्पीड़न की बात की है.

28 नवंबर दोपहर वह हरियाणा दिल्ली के बीच कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे. यह साफ नहीं कि क्या वह निरंकारी समागम मैदान में प्रदर्शनकारियों के साथ जुड़ जाएंगे या कुंडली में प्रदर्शनकारियों के साथ बने रहेंगे.

क्या दीप सिद्धू की राजनीतिक महत्वकांक्षाएं हैं

साफ है, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा प्रदर्शनकारी किसानों के लिए मेन विलेन है. अब हरियाणा में पुलिस ने जिस तरह प्रदर्शनकारियों पर हमला किया है, उसके बाद मनोहर लाल खट्टर की राज्य सरकार भी उसी श्रेणी में आ गई है.

लेकिन सच यह है कि पंजाब की दो बड़ी पार्टियों-कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के लिए भी किसानों में गुस्सा है. ये दोनों पार्टियां आजादी के बाद से राज्य की राजनीति में छाई रही हैं.

पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर शंभू मोर्चा प्रदर्शन में एक्टर और वकील दीप सिद्धू अहम शख्सियत हैं

दोनों पार्टियों पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और सिर्फ पैसेवालों के हितों की रक्षा करने का आरोप है. दूसरी पार्टियों ने समय-समय पर इनका एकाधिकार तोड़ने की कोशिश की है- 1990 में शिरोमणि अकाली दल (मान) और बसपा, कुछ क्षेत्रों में लेफ्ट और 2014 से आम आदमी पार्टी. बसपा को छोड़कर, बाकी सभी पार्टियां मालवा क्षेत्र में विकल्प बनकर उभरी हैं जहां किसानों में गुस्सा सबसे अधिक है.

लेकिन सत्ता में कोई नहीं आ पाई. हां, विकल्प के लिए जगह खाली है. संभव है कि भविष्य में सिद्धू इन प्रदर्शनों की नैय्या पर सवार होकर राजनीति के दरिया को पार कर लें और उस खाली जगह पर कब्जा जमा लें.

वह जैसा कहते हैं, कि “रियायत काफी नहीं, सत्ता समीकरण बदलने चाहिए”, वह इस कदम से मेल खाता है.

कई महीने पहले उन्होंने इसका संकेत दिया था. अगस्त में पंजाब में नकली शराब के चलते 112 लोगों की मौत हुई थी. इस तस्वीर को उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया और पंजाबी भाषा में कैप्टर अमरिंदर सिंह सरकार की आलोचना की. उन्होंने लिखा- “बीज घोटाला, जिप्सम घोटाला, गैर कानूनी खनन और अब नकली शराब की बिक्री... क्या पंजाबी ऐसे ही मरते रहेंगे?”

हालांकि अगर उनकी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है तो वह 2022 के विधानसभा चुनाव के समय ही नजर आएगा.

फिलहाल सिद्धू किसान आंदोलन की एक अहम आवाज बनकर उभर रहे हैं जिससे सरकार समर्थक चिढ़ रहे हैं- विवेक अग्निहोत्री के ट्विट से यह साफ पता चलता है.

लेकिन सिद्धू का आगे का रास्ता इस पर निर्भर करता है कि आंदोलन किस दिशा में मुड़ता है.

पढ़ें ये भी: हैदराबाद का नाम बदलने को लेकर योगी के बयान पर ओवैसी का पलटवार

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×