Ghosi Bypoll 2023: उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला. हालांकि, दोनों पार्टियों के तमाम कोशिशों के बावजूद मतदान प्रतिशत 50.77% ही रहा. साल 2007 में घोसी सीट पर 44.9% वोट पड़े थे. तब बीएसपी की जीत हुई थी.
इस बीच, समाजवादी पार्टी ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया. उसका दावा है कि वोटिंग में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हुआ है. ऐसे में अब लोगों की दिलचस्पी इस बात को लेकर है कि जीत किसे मिलेगी और इन नतीजे का क्या असर होगा?
किसे मिलेगी जीत?
घोसी विधानसभा उपचुनाव में इस बार भी वोटिंग प्रतिशत 2019 के उपचुनाव की तरह ही रहा है. 2019 में हुए उप चुनाव में घोसी में 51.93 प्रतिशत मतदान हुआ था. जबकि 2023 उपचुनाव में भी तस्वीर कुछ ऐसी ही है. वहीं, 2017 विधानसभा चुनाव में घोसी में 58.89 और 2022 विधानसभा चुनाव में 58.59 प्रतिशत मतदान हुआ था.
हालांकि, अगर पिछले नतीजों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2017 में बीजेपी को मिली जीत, 2019 उपचुनाव में भी बरकरार रही थी, लेकिन 2022 में तस्वीर बदल गई. और यहां से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान विजयी हुए, लेकिन क्या 2019, 2023 में रिपीट होगा या फिर 2022 की तरह ही समाजवादी पार्टी की साइकिल तेज दौड़ लगाएगी?
राजनीतिक विश्लेषकों और स्थानीय लोगों की मानें तो घोसी की जंग कांटे की है और अगर नतीजे 2022 की तरह समाजवादी पार्टी के पक्ष में गये तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी. हालांकि, सत्तारूढ़ दल को उपचुनाव में लाभ मिलता रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार आलोक त्रिपाठी ने क्विंट हिदी से बात करते हुए कहा, "हार जीत का फैसला 8 सितंबर को होगा, लेकिन 5 सितंबर की तस्वीर समाजवादी पार्टी को खुश कर सकती है."
समाजवादी पार्टी ने PDA (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) की रणनीति के इतर अग्रणी जातीय के सुधाकर सिंह को टिकट देकर अपने इरादे साफ कर दिये थे. सुधाकर सिंह का घोसी में अच्छा जनाधार है, तो वहीं दारा सिंह चौहान पर 'बाहरी' होने को लेकर आरोप लग रहा था. जनता का कहना है कि दारा सिंह पहले BJP से SP में गये और फिर BJP में आ गये. इसके अलावा 15 महीने के भीतर दूसरी बार चुनाव होने से भी जनता नाराज है, और इसका असर वोटिंग में भी दिखा.आलोक त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार संजय दुबे ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "घोसी को लेकर बीजेपी के पास फीडबैक था कि स्थिति ठीक नहीं है. इसलिए पार्टी ने माहौल बनाने के लिए प्रचार में अपनी पूरी ताकत लगा दी. सीएम से लेकर दोनों डिप्टी सीएम और एक दर्जन से अधिक मंत्री घोसी में डेरा डाले हुए थे. लेकिन अब तक रूझानों में SP को बढ़त मिलती दिख रही है."
राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "चुनाव के नतीजे बहुत हद तक दलित मतदाताओं (घोसी में 70 हजार दलित वोटर्स) पर निर्भर करेंगे, क्योंकि SP प्रत्याशी को INDIA गठबंधन की पार्टी तो समर्थन कर रही थी, लेकिन अगर BSP के वोटर्स बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गये तो, भगवा पार्टी का कमल एक बार फिर घोसी में खिल सकता है."
नतीजे का क्या असर होगा?
आलोक त्रिपाठी ने कहा, "BJP का कमल अगर घोसी में खिलता हो तो NDA साफतौर पर INDIA पर और ज्यादा हमलावर हो जाएगा, लेकिन हार बीजेपी से अधिक ओपी राजभर और सहयोगियों पर सवाल खड़े कर देगी, क्योंकि घोसी में 52 हजार राजभर वोटर्स हैं और अगर ये वोट में नहीं बदले तो ओपी राजभर का कद घटेगा."
SP की जीत INDIA गठबंधन को बढ़त देगी तो समाजवादी पार्टी को मजबूत करेगी और ये संदेश जाएगा की यूपी में बीजेपी को SP ही टक्कर दे सकती है. इसके अलावा, समाजवादी पार्टी की जीत से शिवपाल यादव का पार्टी में कद फिर से बढ़ेगा, जिन्होंने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी. साथ ही, पार्टी को भी जीत ऊर्जा देगी, जो पिछले कई उपचुनाव में हार का सामना कर रही है.आलोक त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार
हालांकि, नतीजे 8 सितंबर को आएंगे, लेकिन हार-जीत को लेकर कयास जारी हैं. बीजेपी की जीत अंक गणित को मजबूत करेगी और लोकसभा चुनाव से पहले NDA को मनौवैज्ञानिक बढ़त देगी, तो वहीं समाजवादी पार्टी की जीत से अखिलेश यादव की छवि INDIA गठबंधन में मजबूत होगी.
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