गोवा में विधानसभा की 40 सीटों पर मतदान हुआ. 301 उम्मीदवारों के लिए 79% वोट पड़े. 2017 में 81%, 2012 में 82% और 2007 के विधानसभा चुनाव में 70% वोट पड़े थे. यानी पिछले दो विधानसभा चुनावों की तुलना में अबकी बार लोगों ने कम उत्साह दिखाया. नॉर्थ गोवा में 80.24% और साउथ गोवा में 78.21% वोट रहे. वोटिंग परसेंटेज के जरिए समझते हैं कि इस बार गोवा में मतदाता का मूड कैसा था?
सीएम की सीट पर सबसे ज्यादा मतदान-वोटिंग पैटर्न पुराना
नॉर्थ गोवा की संक्वेलिम में 89.64% वोट पड़े. ये गोवा सीएम प्रमोद सावंत की सीट है. साल 2017 में 89.2% और 2012 में 89.7% वोट पड़े. यहां से पिछले दो चुनावों में बीजेपी जीत रही है. इस बार भी पुराना वोटिंग पैटर्न ही दिखा है. हालांकि गोवा की राजनीति में एक ट्रेंड दिखा है कि वोटिंग प्रतिशत 79 से 85 के बीच रहता है लेकिन सत्ता बदलती है. अबकी बार 10 साल से सत्ता में रही बीजेपी को एंटी इनकम्बेंसी का डर है.
मनोहर पर्रिकर को छोड़ दें तो बीजेपी का सीएम अपनी सीट नहीं बचा पाता है. लक्ष्मीकांत पारसेकर 2014 से 2017 तक गोवा के सीएम रहे, लेकिन साल 2017 के चुनाव में मेंड्रम से हार गए थे. इसके अलावा इस सीट पर ग्रामीण वोट कर सकता है लेकिन अर्बन काउंसिल कांग्रेस के पास है. ऐसे में सीएम का संक्वेलिम से जीतना थोड़ा मुश्किल हो सकता है.
चर्च निकायों के ऐलान का गोवा की राजनीति पर असर
गोवा में चर्च निकायों ने मतदान से पहले चेतावनी दी थी कि सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतों से सावधान रहें. हालांकि एडवाइजरी में किसी पार्टी का नाम नहीं था. लेकिन इस ऐलान का भी चुनाव में असर दिखा.
जहां टीएमसी-आप मजबूत, वहां औसत से अच्छा मतदान
पिछले तीन साल से आम आदमी पार्टी ने तीन सीटों बेनाउलिम, नवेलिम और वेलिम पर ज्यादा फोकस किया है. साल 2017 में बेनाउलिम सीट से चर्चिल अलेमाओ ने आप उम्मीदवार रोयल क्लेरिना को हराया था, लेकिन अबकी बार यहां पर दिलचस्प मुकाबला दिखा.
वोटिंग प्रतिशत देखें तो टीएमसी दो तीन सीट पर कुछ कर सकती है. तिविम (Tivim) से टीएमसी उम्मीदवार कविता कांदोलकर मैदान में थी. यहां 80% वोट पड़े. साल 2017 में 84% वोट पड़े थे. दूसरी सीट बेनाउलिम है. यहां से टीएमसी के चर्चिल अलेमाओ मैदान में थे. 70% वोट पड़े. साल 2017 में 73% वोट पड़े थे. पार्टी थोड़ा बहुत नवेलिम में टक्कर दे रही है.
साउथ गोवा में कांग्रेस की पकड़ पहले से रही है मजबूत
गोवा में कोस्ट से लगे इलाकों में कांग्रेस मजबूत दिखती है. बीजेपी उतनी स्ट्रांग नहीं दिखती है, लेकिन लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन करती रही है. जैसे- जैसे अंदर की तरफ जाएंगे बीजेपी स्ट्रांग दिखेगी. साउथ गोवा का ही इलाका है जहां आम आदमी पार्टी पैठ बनाना चाहती है. इसे कुछ उदाहरणों से समझते हैं.
साउथ में 2012 और 2017 में कांग्रेस की सीटें भले ही कम ज्यादा हुईं, लेकिन वोटिंग प्रतिशत 28 से 34 के बीच ही रहा है. वहीं अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. साल 2017 में आप ने चुनाव लड़ा था और 7% वोट मिले थे. वहीं नॉर्थ में 5% वोट मिले. ऐसे में साउथ में आम आदमी पार्टी की पकड़ अच्छी है. लेकिन ये वोट कांग्रेस से कट सकते हैं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का वोटर लगभग एक सा है.
2012 में साउथ गोवा से बीजेपी 12(35.5%), कांग्रेस 4 (34%) और अन्य को अन्य 5 (31%) सीट मिली.
2017 में साउथ गोवा से बीजेपी 5(25%), कांग्रेस 10(28.5%), एमजीपी 2(12.5%), जीएफपी 1(2.5%), आप 0(7%) और अन्य को 3 (24%) सीट मिली.
नॉर्थ गोवा में बीजेपी का वोट प्रतिशत 40% से ऊपर ही रहा है. साल 2012 की बात करें या फिर 2017 की. दोनों बार नॉर्थ में बीजेपी ने बढ़िया प्रदर्शन किया. कांग्रेस 2017 को 28% वोट मिलता है लेकिन 7 सीट ही जीत पाती है वहीं साउथ में इतने ही वोट पर 10 सीटों पर कब्जा कर लेती है.
2012 में नॉर्थ गोवा में बीजेपी 12(48%), कांग्रेस 5 (38%), अन्य को 2(16%) सीट मिली.
2017 में नॉर्थ गोवा में बीजेपी 8 (40%), कांग्रेस 7 (28%), एमजीपी 1(10%), जीएफपी 2(4.5%), आप 0 (5.5%) और अन्य को 1 (11.5%) सीट मिली थी.
मनोहर पर्रिकर के बेटे को टिकट न देना पड़ सकता है भारी
गोवा में मनोहर पर्रिकर ने पार्टी को खड़ा करने का काम किया है, लेकिन इस बार उनके बेटे उत्पल पर्रिकर को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने बीजेपी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बनाया और पणजी से मैदान में थे. उनकी पणजी सीट पर 73.75% मतदान हुआ. 2017 में 77% और 2012 में 78% मत पड़े थे. उत्पल पर्रिकर को टिकट न देने से गोवा में बीजेपी के अंदर ही एक धड़ा नाराज था. ऐसे में कहीं न कहीं इस सीट से बीजेपी को घाटा हो सकता है.
गोवा में मतदान के बाद कांग्रेस उत्साहित दिख रही है. पार्टी के प्रदेश प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने कहा कि निर्णायक वोट देने के लिए लोग घरों से बाहर निकले. लोग बीजेपी को सत्ता से बाहर करना चाहते हैं. वहीं बीजेपी वोटिंग प्रतिशत को अपनी उपलब्धि बता रही है. प्रमोद सावंत ने कहा कि सरकार की नीतियों को समर्थन मिला है. आम आदमी पार्टी ने कहा कि ये मतदान नए बदलाव का संकेत है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी जीत की हैट्रिक लगा पाती है या फिर मनोहर पर्रिकर की गैरमौजूदगी में सत्ता से बेदखल हो जाती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)