जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है. यहां वोटिंग से जुड़ा एक बदलाव हुआ है, जिसे सरकार फायदेमंद कदम बता रही है तो विपक्षी पार्टियां लगातार हमलावर हैं. दरअसल यहां गैर स्थानीय लोगों को भी वोटिंग का अधिकार देने के लिए मतदाता सूची में संशोधन करने की बात कही गई, जिसके बाद जम्मू कश्मीर में 25 लाख नए मतदाता जुड़ने की संभावना है.
पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे चुनावों को प्रभावित करने का "खतरनाक प्रयास" बताया है.
जम्मू और कश्मीर चार साल से अधिक समय से निर्वाचित सरकार के बिना रहा है. अगले साल यहां चुनाव होने की संभावना है. मतदाता सूची में संशोधन करके पहली बार गैर-स्थानीय लोगों को जम्मू-कश्मीर में मतदाता के रूप में पंजीकृत किया जाएगा, जिससे ये लोग चुनावों में वोट दे पाएंगे.
केंद्र ने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया था. इसके लिए सरकार ने गैर-कश्मीरियों को वोट और वहां जमीन का मालिकाना हक देने के लिए संविधान में बदलाव किया था.
20-25 लाख नए मतदाताओं के जुड़ने की उम्मीद
जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी हिरदेश कुमार ने 17 अगस्त को को कहा कि चुनाव से पहले इस क्षेत्र में 20 लाख से अधिक नए मतदाताओं के जुड़ने की उम्मीद है. इससे मतदाताओं की संख्या एक तिहाई से अधिक बढ़ सकती है. फिलहाल यहां 76 लाख मतदाता हैं.
उन्होंने आगे कहा कि, "गैर-कश्मीरियों को शामिल करके हम अंतिम सूची में 20-25 लाख नए मतदाताओं के जुड़ने की उम्मीद कर रहे हैं."
बीजेपी की "असुरक्षा" से प्रेरित फैसला- उमर अब्दुल्ला
इस कदम को लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्य राजनीतिक दलों की ओर से तीखी आलोचना हुई है. नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह निर्णय क्षेत्र में बीजेपी की "असुरक्षा" से प्रेरित है. उन्होंने लिखा था कि,
"क्या बीजेपी जम्मू-कश्मीर के वास्तविक मतदाताओं के समर्थन को लेकर इतनी असुरक्षित है कि उसे सीटें जीतने के लिए अस्थायी मतदाताओं को शामिल करने की जरूरत है? जब जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का मौका दिया जाएगा तो इनमें से कोई भी चीज बीजेपी की मदद नहीं करेगी."
BJP चुनाव परिणामों को प्रभावित करना चाहती है- महबूबा मुफ्ती
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने भी कहा कि BJP चुनाव परिणामों को प्रभावित करने पर केंद्रित है. उन्होंने ट्वीट किया, "गैर-स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देना निश्चित रूप से चुनाव परिणामों को प्रभावित करना है. असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को कमजोर करने के लिए जम्मू-कश्मीर पर शासन करना जारी रखना है."
बाद में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की नीतियों की आलोचना करते हुए नाजी जर्मनी और फिलिस्तीन का जिक्र किया.
जब तक एक भी कश्मीरी खड़ा रहेगा, हम जीतेंगे. जम्मू-कश्मीर के युवाओं में बीजेपी के नापाक मंसूबे कट्टरपंथी हैं. केंद्र डी-रेडिकलाइजेशन पर करोड़ों खर्च कर रहा है, लेकिन यहां उनकी नीतियां ही युवाओं को कट्टरपंथी बना रही हैं. उन्होंने युवाओं के संसाधन, नौकरी, आजादी छीन ली है... उनके पास केवल उनके वोट थे और वो भी उनसे छीन लिया गया है."
बीजेपी का कहना है कि इस क्षेत्र में उसकी नीतियां आम कश्मीरियों के फायदे के लिए हैं.
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