ADVERTISEMENTREMOVE AD

MP: खुद चुनाव हारने के बाद भी जीतू पटवारी कैसे बने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष?

Jeetu Patwari राहुल गांधी के करीबी हैं, युवा पीढ़ी के हैं लेकिन एक बात उनके खिलाफ जा सकती है...

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में बीजेपी (BJP) के किला फतह के बाद कांग्रेस (Congress) भी सर्जरी के मूड में दिख रही है. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में अपना नया अध्यक्ष जीतू पटवारी (Jeetu Patwari) को घोषित कर दिया है.

सवाल है कि युवा पीढ़ी के नेता जीतू पटवारी 2023 के विधानसभा चुनाव में हार गए, फिर भी वे प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस की पहली पसंद कैसे बनें? और कैसा रहा जीतू पटवारी का राजनीतिक करियर? यहां समझते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पहले जानते हैं जीतू पटवारी कौन हैं?

ओबीसी जाति से आने वाले जीतू पटवारी इंदौर के पास राऊ विधानसभा क्षेत्र से आते हैं. हालांकि 2023 में हुए चुनाव में जीतू पटवारी 35,500 वोट के अंतर से हार गए. जीतू के पिता भी कांग्रेस में रह चुके हैं और उनके दादा आजादी से पहले की कांग्रेस में थे.

जीतू पटवारी ने पहली बार 2013 में चुनाव लड़ा था और वे जीते थे, साथ ही 2018 में भी जीतू पटवारी ने चुनाव जीता था. वे दो साल तक चली कमलनाथ की सरकार में मंत्री भी रहे.
0

ओबीसी चेहरा जीतू पटवारी मालवा-निमाड़ क्षेत्र से आते हैं 

हार के बाद भी जीतू पटवारी को कांग्रेस ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है. मध्य प्रदेश में करीब 51 फीसदी ओबीसी हैं और जीतू पटवारी भी ओबीसी वर्ग से आते हैं. वहीं एमपी के नए सीएम मोहन यादव की तरह जीतू भी मालवा-निमाड़ क्षेत्र से आते हैं.

मालवा-निमाड़ में कुल 66 सीटें जहां कांग्रेस का इस बार बहुत बुरा प्रदर्शन रहा. पार्टी केवल 17 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई जबकि पिछले चुनावों में कांग्रेस ने 35 सीटें जीतीं थीं.

जीतू पटवारी युवा कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं, युवा नेता हैं, पूरी एमपी में उनका अपना एक नेटवर्क हैं. वो ओबीसी वर्ग से आते हैं. कांग्रेस ओबीसी की राजनीति को ही आगे बढ़ाना चाहती है, कांग्रेस राज्य में एक जनरेशनल शिफ्ट भी करना चाहती है और इस सभी मानदंडों पर जीतू पटवारी फिट बैठते हैं. वे एनरजेटिक और मेहनती हैं. हां वे कुछ मामलों में एरोगेंट नजर आते हैं जिनसे उन्हें बचना होगा.
दीपक तिवारी, राजनीतिक विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक दीपक तिवारी ने ये भी बताया कि एमपी में कई युवा नेता हैं जो राहुल गांधी की पसंद हैं, जीतू पटवारी राहुल गांधी के संपर्क वाले नेता हैं. दीपक तिवारी ने एक किस्सा साझा करते हुए बताया कि, एमपी के मंदसौर में जब किसान आंदोलन में किसानों पर गोली चली थी तब राहुल गांधी को घटना स्थल पर पहुंचना था तब जीतू पटवारी ने खुद राहुल गांधी को बाइक पर बैठा कर वहां तक पहुंचाया था.

जीतू पटवारी कांग्रेस के राज्य में हुए कई विरोध प्रदर्शनों में देखें गए हैं, फिर वह कोरोना के समय हो या किसान आंदोलन के समय.

Jeetu Patwari राहुल गांधी के करीबी हैं, युवा पीढ़ी के हैं लेकिन एक बात उनके खिलाफ जा सकती है...
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जीतू पटवारी की नियुक्ति से एमपी में गुटबाजी पर लगाम लगेगी?  

मध्य प्रदेश कांग्रेस में इस समय दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की गुटबाजी चरम पर है, जीतू पटवारी की प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद माना जा रहा है कि इससे गुटबाजी पर विराम लगेगा.

लेकिन दीपक तिवारी ने जोर देकर क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा है कि स्वयं ब्रह्मा भी आ जाएं तो भी मध्य प्रदेश में गुटबाजी खत्म नहीं होगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में गुटबाजी दशकों से है और बनी रहेगी.

उन्होंने आगे कहा कि, दिग्विजय सिंह के खेमे से जीतू पटवारी को उनके बेटे जय वर्धन सिंह की ओर से चुनौती मिल सकती है.

दीपक तिवारी ने कहा है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की ओर से जीतू पटवारी को कितना सहयोग मिलता है, जीतू पटवारी के पद संभालने के बाद कई चीजें देखने को मिलेगी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×