झारखंड (Jharkhand) में बड़े बदलाव की आहट सुनाई दे रही है. एक बड़े राजनीतिक बदलाव की स्क्रिप्ट लिखी जा रही है. बीजेपी और JMM के बीच बयानबाजी अपने चरम पर है. सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के दावे ने राज्य में सियासी पारा बढ़ा दिया. इसके बाद बीजेपी ने भी अपनी ओर से दावा कर दिया. अब सवाल उठ रहे हैं कि इन दावों की हकीकत क्या है? ये बताएंगे उससे पहले बीजेपी और JMM के दावों के बारे में जान लीजिए.
झारखंड में टूटेगी JMM या बिखरेगी BJP?
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने सोमवार को दावा किया कि झारखंड में बीजेपी के 16 विधायकों का समूह अलग गुट बनाकर राज्य की सरकार को समर्थन देने को तैयार हैं. JMM प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बीजेपी के 16 विधायक प्रदेश बीजेपी के नेतृत्व और विधायक दल के स्वयंभू नेता से त्रस्त हैं. वह जेएमएम के नेतृत्व वाली सरकार के साथ चलना चाहते हैं. ऐसे में जेएमएम भी बीजेपी नेतृत्व से नाराज विधायकों का स्वागत करने के लिए तैयार है.
वहीं बीजेपी ने इस सनसनीखेज दावे को हास्यास्पद और सरासर झूठ बताते हुए कहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा खुद समाप्ति की कगार पर है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे (MP Nishikant Dubey) ने दावा किया है कि JMM के 21 विधायकों ने विद्रोह करने का मन बना लिया है.
झारखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने क्विंट से बातचीत में कहा, "JMM सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है. ये सरकार जनता की नजर में गिर गई है. JMM के नेता बौखलाहट में इस तरह के बयान दे रहे हैं. बीजेपी के सभी विधायक एकजुट हैं."
बालूलाल मरांडी का दिल्ली दौरा
झारखंड की सियासत को लेकर कई तरह की थ्योरी चल रही है. इसे बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) के दिल्ली दौरे से भी जोड़कर देखा जा रहा है. पीएम मोदी के देवघर दौरे के अगले दिन बाबूलाल मरांडी को दिल्ली बुलाया गया था. उस समय कहा जा रहा था कि बीजेपी झारखंड में राजनीतिक भविष्य तलाश रही है और आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति नयी करवट ले सकती है. बीजेपी नेताओं ने भी ट्वीट कर इस बात को हवा दी थी. हालांकि, उस समय तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. लेकिन ताजा घटनाक्रम को मरांडी के दिल्ली दौरे से जोड़कर देखा जा रहा है.
आपको बता दें कि मई के महीने में भी सांसद दीपक प्रकाश और बाबूलाल मरांडी दिल्ली गये थे. दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. और उन्हें प्रदेश के राजनीतिक हालात से अवगत कराया था.
अमित शाह और हेमंत सोरेन की मुलाकात के मायने
जून के अंत में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. उस दौरान हेमंत ने इशारों-इशारों में कहा था कि, "हमारी मुलाकात आपने देख लिया, आगे भी कुछ होगा, लेकिन ब्रेक के बाद." झारखंड सीएम के इस बयान की राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा हुई थी. राजनीतिक विशेषज्ञ इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे थे.
दूसरी तरफ हाल के दिनों में हेमंत सोरेन एक साथ कई मोर्चे पर मुश्किलों में घिरे हैं. खनन लीज मामले में चुनाव आयोग से जहां विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने को लेकर हेमंत सोरेन को अयोग्यता का नोटिस दिया गया है. वहीं ED ने अप्रत्यक्ष रूप से उनकी कड़ी घेराबंदी कर रखी है.
भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग मामले में उनके विभागीय सचिव और नजदीकी कही जाने वाली IAS अधिकारी पूजा सिंघल से शुरू हुई जांच की आंच हेमंत सोरेन तक पहुंचती दिख रही है. वहीं हेमंत सोरेन के खिलाफ सीबीआई जांच कराने संबंधी दो-दो मुकदमे झारखंड हाई कोर्ट में चल रहे हैं.
झारखंड में गठबंधन का क्या होगा?
राष्ट्रपति चुनाव में JMM ने NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था. जिसके बाद से झारखंड की गठबंधन सरकार में मनमुटाव बढ़ने के कयास लगाए जा रहे थे. प्रदेश में JMM, कांग्रेस और RJD एक साथ मिलकर सत्ता चला रही है. लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में जेएमएम ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर गठबंधन को बड़ा झटका दिया था. जिसके बाद से ही कहा जा रहा हैं कि आने वाले दिनों में राज्य में नए राजनीतिक समीकरण विकसित हो सकते हैं.
बहरहाल, अब देखना होगा कि झारखंड में ऊंट किस करवट बैठता है. बीजेपी और JMM की ओर से दावे तो बड़े-बड़े किए जा रहे हैं लेकिन उनमें कितना दम है ये तो वक्त ही बताएगा.
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